राकांपा ने मांस की दुकानें बंद करने पर सवाल उठाये; भाजपा ने कहा-यह प्रतिबंध 1988 के आदेश के अनुसार
देवेंद्र सुरेश
- 13 Aug 2025, 07:31 PM
- Updated: 07:31 PM
मुंबई, 13 अगस्त (भाषा) महाराष्ट्र में कम से कम पांच नगर निकायों ने 15 अगस्त को मांस की दुकानें बंद रखने का आदेश दिया है, जिसके बाद उपमुख्यमंत्री अजित पवार के नेतृत्व वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) ने इस बंद पर सवाल उठाया है, जबकि सत्तारूढ़ सहयोगी भाजपा ने इसका बचाव करते हुए 1988 के राज्य सरकार के उस आदेश का हवाला दिया है, जिसमें इन निकायों को ऐसी पाबंदियां लगाने का अधिकार दिया गया है।
नागपुर, नासिक, मालेगांव, छत्रपति संभाजीनगर और कल्याण-डोंबिवली में नगर निकायों ने इसी तरह के आदेश जारी किए हैं।
नागपुर नगर निगम (एनएमसी) ने भी त्योहारों के मद्देनजर 15 अगस्त को शहर की सीमा के भीतर बूचड़खानों और मांस बेचने वाली दुकानों को बंद करने की घोषणा की है।
एनएमसी के ठोस अपशिष्ट प्रबंधन विभाग के उपायुक्त राजेश भगत ने 12 अगस्त को यह आदेश जारी किया।
आदेश में यह भी कहा गया है कि यदि कोई भी व्यक्ति आदेश का उल्लंघन करता है तो नगर निगम द्वारा उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने बुधवार को कहा कि स्वतंत्रता दिवस पर बूचड़खाने बंद रखने की नीति पहली बार 1988 में लागू की गई थी, जब राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरदचंद्र पवार) अध्यक्ष शरद पवार महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री थे। पार्टी ने जानना चाहा कि क्या विपक्ष इस बारे में वरिष्ठ नेता से सवाल करेगा।
भाजपा की महाराष्ट्र इकाई के मुख्य प्रवक्ता केशव उपाध्याय ने यह सवाल राकांपा (एसपी) विधायक जितेंद्र आव्हाड और शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के विधायक आदित्य ठाकरे से राज्य के कुछ नगर निकायों द्वारा 15 अगस्त को बूचड़खानों और मांस बेचने वाली दुकानों को बंद करने के आदेश पर उठे विवाद के मद्देनजर किया।
उन्होंने कहा कि 15 अगस्त को बूचड़खाने बंद रखने की नीति मूल रूप से शंकरराव चव्हाण के नेतृत्व वाली तत्कालीन कांग्रेस सरकार द्वारा बनाई गई थी।
उन्होंने कहा, ‘‘वर्ष 1988 में एक महीने के भीतर ही शरद पवार मुख्यमंत्री बन गए और पहली बार इस नीति को लागू किया।’’
उन्होंने दावा किया कि महा विकास आघाडी (एमवीए) सरकार के दौरान यही प्रथा बिना किसी विरोध के जारी रही, जिसमें आव्हाड और ठाकरे दोनों मंत्री थे।
एमवीए में उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना (उबाठा), अविभाजित राकांपा और कांग्रेस ने सत्ता साझा की थी। एमवीए सरकार ने नवंबर 2019 से जून 2022 राज्य में शासन किया था।
उपाध्याय ने कहा, ‘‘क्या वे उस समय ऐसा निर्णय लेने के लिए शरद पवार से जवाब मांगेंगे? क्या वे उनकी भी आलोचना करेंगे? आव्हाड और ठाकरे को अब इसका जवाब देना चाहिए।’’
उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘दोनों (आव्हाड और ठाकरे) अपनी (मूल) पार्टी और सरकार खो चुके हैं। इसलिए, वे हताश हैं और राज्य सरकार को निशाना बनाने वाले किसी भी फैसले में खामियां ढूंढते हैं।’’
मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने बुधवार को कहा कि राज्य सरकार लोगों के भोजन विकल्पों को विनियमित करने में रुचि नहीं रखती है। उन्होंने स्वतंत्रता दिवस पर बूचड़खाने बंद करने के विवाद को एक अनावश्यक विवाद बताया।
छत्रपति संभाजीनगर नगर निकाय ने त्योहारों के मद्देनजर दो दिन 15 और 20 अगस्त को शहर की सीमा के भीतर बूचड़खानों और मांस बेचने वाली दुकानों को बंद करने की घोषणा की है।
नगर निकाय ने कहा है कि 15 अगस्त को गोकुल अष्टमी के मौके पर इन्हें बंद करने का आदेश दिया गया है, जो भगवान कृष्ण के जन्म का उत्सव मनाने वाला एक हिंदू त्योहार है और 20 अगस्त को जैन समुदाय के एक प्रमुख त्योहार ‘पर्यूषण पर्व’ के कारण बंद का आदेश दिया गया है। इस पर्व में जैन समुदाय के लोग उपवास रखते हैं और प्रार्थनाएं करते हैं।
यह आदेश मुंबई के निकट ठाणे जिले में कल्याण-डोंबिवली नगर निगम (केडीएमसी) द्वारा 15 अगस्त को मांस की दुकानों को बंद करने का निर्देश देने के तुरंत बाद आया है।
आदित्य ठाकरे ने पहले कहा था कि केडीएमसी आयुक्त को निलंबित कर दिया जाना चाहिए, क्योंकि शाकाहारी या मांसाहारी भोजन के उपभोग पर निर्णय लेना उनका मुद्दा नहीं है।
आव्हाड ने कहा है कि वह केडीएमसी द्वारा लगाए गए प्रतिबंध का विरोध करने के लिए उस दिन ‘मटन पार्टी’ का आयोजन करेंगे।
कांग्रेस ने आरोप लगाया कि भाजपा के नेतृत्व वाली महाराष्ट्र सरकार गंभीर मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए शहरों में कबूतरों को दाना डालने और स्वतंत्रता दिवस पर मांस की बिक्री जैसे ‘‘बेतुके’’ मुद्दों पर विवाद पैदा कर रही है।
कांग्रेस की महाराष्ट्र इकाई के प्रमुख हर्षवर्धन सपकाल ने संवाददाताओं से कहा कि भाजपा अपनी राजनीतिक रणनीति के तहत जाति-आधारित या सांप्रदायिक तनाव को ‘‘प्रतिदिन भड़का रही है’’।
उन्होंने कहा कि सरकार ध्यान भटकाने के लिए ‘‘बेतुकी’’ बहस छेड़ रही है। उन्होंने कहा, ‘‘महाराष्ट्र सरकार को हमें यह नहीं बताना चाहिए कि हमें किस समय मांस खाना चाहिए, कौन से मसाले या नमक का इस्तेमाल करना चाहिए; उसे हमारी व्यक्तिगत आदतों, शादियों या हमारी सोच पर नियंत्रण करने की कोशिश नहीं करनी चाहिए। ऐसी चीजों के लिए हमारे राज्य में कोई जगह नहीं है, लेकिन यह सरकार जानबूझकर ऐसा कर रही है।’’
महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने 15 अगस्त को बूचड़खानों और मांस ब्रिकी करने वाली दुकानों को बंद करने के कुछ स्थानीय निकायों के आदेश पर असंतोष व्यक्त करते हुए कहा है कि इस तरह का प्रतिबंध लगाना गलत है।
पवार ने कहा कि इस तरह के प्रतिबंध आमतौर पर आषाढ़ी एकादशी, महाशिवरात्रि, महावीर जयंती आदि जैसे मौकों पर धार्मिक संवेदनशीलता को ध्यान में रखते हुए लगाए जाते हैं। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र में लोग शाकाहारी और मांसाहारी दोनों तरह का भोजन करते हैं।
पवार ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘इस तरह का प्रतिबंध लगाना गलत है। बड़े शहरों में विभिन्न जातियों और धर्मों के लोग रहते हैं। अगर यह भावनात्मक मुद्दा है तो लोग इसे (प्रतिबंध को) एक दिन के लिए स्वीकार कर लेते हैं, लेकिन अगर आप महाराष्ट्र दिवस, स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस पर ऐसे आदेश जारी करते हैं तो यह मुश्किल है।’’
भाषा
देवेंद्र