देशभक्ति की भावना के कारण स्वतंत्रता दिवस पर दिल्ली के सदर बाजार में दुकानदारों की हो रही बंपर कमाई
जोहेब सुरेश
- 13 Aug 2025, 08:55 PM
- Updated: 08:55 PM
नयी दिल्ली, 13 अगस्त (भाषा) दिल्ली-एनसीआर के निवासी तिरंगा और स्वतंत्रता दिवस से जुड़ी चीजें खरीदने के लिए बाजार में उमड़ रहे हैं, ऐसे में राष्ट्रीय राजधानी स्थित सदर बाजार की हमेशा व्यस्त रहने वाली गलियों में ग्राहकों की आमद में और भी ज्यादा इजाफा देखने को मिल रहा है।
लोग भारत के 79वें स्वतंत्रता दिवस का जश्न मनाने और इस ऐतिहासिक दिन के लिए देशभक्ति से जुड़ी चीजें खरीद रहे हैं।
मांग में अचानक आई इस तेजी ने लंबे समय से तिरंगा बेचने वालों के लिए इस मौके को पहले ही 'खुशनुमा' बना दिया है। हमेशा की तरह तिरंगे, खासकर साटन वाले तिरंगे फटाफट बिक रहे हैं और बाकी सभी चीजों की बिक्री फीकी पड़ रही है।
विभिन्न बनावट और आकारों के झंडों और दूसरी छोटी-छोटी चीजों से घिरे सोनल इंटरनेशनल के मालिक सतीश खुराना सामानों से भरी अपनी छोटी सी दुकान में ग्राहकों की भीड़ को संभाल रहे हैं।
खुराना ने कहा, “इस बार कारोबार में तेजी है। झंडों की भारी मांग है और अन्य सामानों की भी काफी बिक्री हो रही है। बच्चों के लिए टी-शर्ट, रिस्टबैंड और भी बहुत कुछ उपलब्ध हैं। सभी सामान साटन, सूती और खादी जैसे अलग-अलग कपड़ों में उपलब्ध हैं।”
थोड़ा और आगे बढ़ें, तो आपको नारे लिखी टी-शर्ट, धूप के चश्मे, लड़कियों के लिए तिरंगे हेयर क्लिप, रिस्टबैंड, चूड़ियां, टोपियां, ब्रॉश, बैज और देशभक्ति से जुड़ी लगभग हर चीज से भरी दुकानें मिलेंगी।
प्लास्टिक के झंडे की कीमत 50 पैसे और फैंसी एक्सेसरी की कीमत 200 रुपये प्रति पीस तक है। बड़े कपड़े के झंडों की कीमत उनके आकार व सामग्री के आधार पर और भी ज्यादा है।
सिंधी ट्रेडर्स के दयाल दास सिंधी दो दशकों से भी ज़्यादा समय से इस व्यवसाय से जुड़े हैं। उन्होंने मांग में तेजी का श्रेय भारतीयों में बढ़ती देशभक्ति की भावना को दिया।
उन्होंने कहा, “मांग दिन-ब-दिन बढ़ रही है। यह हर साल बढ़ती ही जा रही है। लोग ज़्यादा देशभक्ति महसूस करते हैं और इसे व्यक्त करना चाहते हैं। पचहत्तरवें स्वतंत्रता दिवस का जश्न एक अलग ही स्तर पर था।”
हालांकि, बाजार में एक जानी-मानी दुकान अनिल भाई राखीवाला में काम करने वाले किशन लाल की राय कुछ और है।
बिक्री से खुश लाल का मानना है कि 'हर घर तिरंगा' अभियान का असर इस साल पिछले सालों के मुकाबले थोड़ा कम है।
उन्होंने कहा कि इसकी वजह यह हो सकती है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इस बार अभियान का "अपेक्षाकृत कम प्रचार" किया है।
उन्होंने कहा, “काश प्रधानमंत्री मोदी ने पहले की तरह ही ज़ोर-शोर से इसका प्रचार किया होता, तो झंडों की बिक्री आसमान छू जाती। हो सकता था कि झंडों की कमी हो जाती। हालांकि मांग अभी भी काफी संतोषजनक है।”
भाषा जोहेब