भूमि मालिकों को अधिक भुगतान: नोएडा के अधिकारियों के खिलाफ एसआईटी जांच का निर्देश
आशीष माधव
- 13 Aug 2025, 09:49 PM
- Updated: 09:49 PM
नयी दिल्ली, 13 अगस्त (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को नोएडा के अधिकारियों के खिलाफ एसआईटी जांच का आदेश दिया, जिन पर बिल्डरों के साथ मिलकर भूमि मालिकों को उनके हक से अधिक मुआवजा देने का आरोप है।
न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमाल्य बागची की पीठ ने विशेष जांच टीम (एसआईटी) की रिपोर्ट को स्वीकार कर लिया। रिपोर्ट के अनुसार आरोपों में प्रथमदृष्टया तथ्य पाया गया है।
पीठ ने भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के वरिष्ठ अधिकारी एस बी शिराडकर की अध्यक्षता वाली एसआईटी की सिफारिशें उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव को सौंपने को कहा, जिन्हें नोएडा को "मेट्रोपोलिटन काउंसिल" में परिवर्तित करने पर विचार करने के लिए मंत्रिपरिषद के समक्ष इसे रखने को कहा गया।
एसआईटी के निष्कर्षों को गंभीरता से लेते हुए, शीर्ष अदालत ने फॉरेंसिक ऑडिटरों और आर्थिक अपराध शाखाओं के विशेषज्ञों की मदद से नोएडा के दोषी अधिकारियों और अनियमितताओं के अन्य लाभार्थियों के बैंक खातों और संपत्तियों का आकलन करने के लिए तीन वरिष्ठ आईपीएस अधिकारियों की एक नयी एसआईटी गठित की।
पीठ ने कहा, "उत्तर प्रदेश के डीजीपी, पिछली एसआईटी द्वारा चिह्नित मुद्दों की जांच के लिए आईपीएस कैडर के तीन पुलिस अधिकारियों वाली एक एसआईटी गठित करेंगे।"
शीर्ष अदालत ने 23 जनवरी को एसआईटी द्वारा जांच के लिए चार मुद्दे तय किए थे- (एक) क्या भूमि मालिकों को भुगतान की गई क्षतिपूर्ति की मात्रा, समय-समय पर अदालतों द्वारा पारित निर्णयों के अनुसार उनके हक से अधिक थी; (दो) यदि हां, तो इस तरह के अत्यधिक भुगतान के लिए कौन से अधिकारी/कर्मचारी जिम्मेदार थे; (तीन) क्या लाभार्थियों और नोएडा के अधिकारियों/कर्मचारियों के बीच कोई मिलीभगत या मिलीभगत थी; और (चार) क्या नोएडा के समग्र कामकाज में पारदर्शिता, निष्पक्षता और जनहित के प्रति प्रतिबद्धता का अभाव है।
बुधवार को पीठ ने नयी एसआईटी को निर्देश दिया कि वह तुरंत प्रारंभिक जांच दर्ज करे और लाभार्थियों एवं नोएडा के अधिकारियों के बीच मिलीभगत या मिलीभगत के मुद्दे पर पिछली एसआईटी द्वारा उजागर किए गए बिंदुओं की जांच करे।
शीर्ष अदालत ने कहा, "यदि प्रारंभिक जांच के बाद एसआईटी को लगता है कि प्रथम दृष्टया संज्ञेय अपराध हुआ है, तो वह मामला दर्ज करेगी और कानून के अनुसार आगे बढ़ेगी।"
जांच में पारदर्शिता के लिए, पीठ ने मुख्य सचिव को निर्देश दिया कि वे एक मुख्य सतर्कता अधिकारी (अधिमानतः आईपीएस कैडर से या नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) से प्रतिनियुक्ति पर) की नियुक्ति करें।
इसने राज्य सरकार को नोएडा में तत्काल एक नागरिक सलाहकार बोर्ड गठित करने का भी निर्देश दिया।
पीठ ने कहा, "इसी प्रकार, मुख्य सचिव भी मामले को सक्षम प्राधिकारी के समक्ष प्रस्तुत करें और सुनिश्चित करें कि चार सप्ताह के भीतर नागरिक सलाहकार बोर्ड का गठन हो जाए।"
मामले की सुनवाई आठ सप्ताह बाद निर्धारित की गई और एसआईटी की रिपोर्ट अदालत के पास सुरक्षित रखने का आदेश दिया गया।
शीर्ष अदालत ने 23 जनवरी को, नोएडा के अधिकारियों द्वारा भूमि मालिकों को दिए गए अवैध मुआवजे के मुद्दे की जांच कर रहे उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा नियुक्त समिति से असंतुष्ट होकर, इस मामले की जांच के लिए एक एसआईटी नियुक्त की।
यह निर्णय नोएडा प्राधिकरण के कानूनी सलाहकार और एक विधि अधिकारी की अग्रिम जमानत याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान आया, जिन पर कुछ भूस्वामियों के पक्ष में भारी मात्रा में मुआवजा जारी करने से संबंधित भ्रष्टाचार का आरोप लगाया गया था। ये भूमि मालिक कथित तौर पर अपनी अधिग्रहित भूमि के लिए इतना अधिक मुआवजा पाने के हकदार नहीं थे।
भाषा आशीष