आवारा कुत्तों का मामला: न्यायालय ने कहा कि सारी समस्या स्थानीय अधिकारियों की ‘निष्क्रियता’ के कारण
सुरभि मनीषा
- 14 Aug 2025, 12:27 PM
- Updated: 12:27 PM
नयी दिल्ली, 14 अगस्त (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को कहा कि दिल्ली-एनसीआर में आवारा कुत्तों की पूरी समस्या स्थानीय अधिकारियों की ‘‘निष्क्रियता’’ के कारण है। न्यायालय ने शीर्ष अदालत द्वारा 11 अगस्त को पारित निर्देशों पर रोक लगाने के अनुरोध वाली अंतरिम अर्जी पर अपना आदेश सुरक्षित रख लिया।
शीर्ष अदालत की दो सदस्यीय पीठ ने 11 अगस्त को अधिकारियों को दिल्ली-राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में सभी इलाकों से ‘‘जल्द से जल्द’’ आवारा कुत्तों को उठाना शुरू करने और कुत्तों के लिए बने आश्रय गृहों में भेजने का निर्देश दिया था।
न्यायमूर्ति विक्रम नाथ की अध्यक्षता में न्यायमूर्ति संदीप मेहता और न्यायमूर्ति एन. वी. अंजारिया की तीन सदस्यीय पीठ इस मामले की सुनवाई कर रही है।
पीठ ने बृहस्पतिवार को कहा, ‘‘सारी समस्या स्थानीय अधिकारियों की निष्क्रियता के कारण है।’’
पीठ ने कहा कि उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर करने वाले और हस्तक्षेप के लिए याचिका दायर करने वाले सभी लोगों को जिम्मेदारी लेनी होगी।
सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार ने कहा कि कुत्तों के काटने से ‘रेबीज’ के कारण बच्चों की मौत हो रही है और आवारा कुत्तों के मुद्दे को सुलझाने की जरूरत है, न कि इस पर विवाद करने की।
दिल्ली सरकार की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने तीन सदस्यीय पीठ को बताया कि देश में एक साल में कुत्तों के काटने के 37 लाख से अधिक मामले सामने आए हैं।
मेहता ने पीठ से कहा, ‘‘कोई भी जानवरों से नफरत नहीं करता।’’
कुत्तों की देखभाल करने वाले एक गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा कि स्थिति ‘‘बहुत गंभीर’’ है और इस मामले पर गहराई से बहस करने की जरूरत है।
सिब्बल ने 11 अगस्त को शीर्ष अदालत द्वारा पारित कुछ निर्देशों पर रोक लगाने का अनुरोध किया, जिनमें दिल्ली-एनसीआर के अधिकारियों को सभी इलाकों से आवारा कुत्तों को ‘‘जल्द से जल्द’’ उठाना शुरू करने और उन्हें श्वान आश्रय स्थलों में स्थानांतरित करने के निर्देश शामिल हैं।
दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद उच्चतम न्यायालय ने सड़कों से आवारा कुत्तों को उठाने के 11 अगस्त के आदेश पर रोक लगाने संबंधी अंतरिम अर्जी पर फैसला सुरक्षित रख लिया।
उच्चतम न्यायालय की दो सदस्यीय पीठ ने 11 अगस्त को अधिकारियों को कुत्तों के लिए तुरंत आश्रय स्थल बनाने और आठ सप्ताह के भीतर इस तरह के बुनियादी ढांचे के निर्माण के बारे में रिपोर्ट देने का निर्देश दिया था।
पीठ ने कहा था कि आवारा कुत्तों को आश्रय स्थलों में रखा जाए और उन्हें सड़कों, कॉलोनियों या सार्वजनिक स्थानों पर नहीं छोड़ा जाए।
कुत्तों के लिए तुरंत आश्रय स्थल बनाने और आठ सप्ताह के भीतर इस तरह के बुनियादी ढांचे के निर्माण के बारे में रिपोर्ट देने का निर्देश भी पीठ ने दिया था।
भाषा सुरभि