प्लास्टिक संधि वार्ता: नए मसौदे में उत्पादन संबंधी बाध्यकारी सीमाओं का उल्लेख न होने से गतिरोध
जोहेब मनीषा
- 14 Aug 2025, 01:05 PM
- Updated: 01:05 PM
नयी दिल्ली, 14 अगस्त (भाषा) प्लास्टिक प्रदूषण पर अंकुश लगाने के लिए पहली वैश्विक संधि पर बातचीत कर रहीं सरकारों को एक नया मसौदा सौंपा गया है, जिसमें प्लास्टिक उत्पादन पर बाध्यकारी सीमाओं का उल्लेख नहीं है।
इस कमी ने वार्ता को गतिरोध में डाल दिया है जबकि पर्यावरण से जुड़े संग्ठनों ने मसौदे की तीखी आलोचना की है।
मंगलवार को जिनेवा में प्लास्टिक संधि (आईएनसी-5.2) पर पांचवें दौर की वार्ता के दौरान जारी किया गया यह मसौदा महासागरों, वन्यजीवों, मानव स्वास्थ्य व जलवायु के लिए खतरा कहे जाने वाले "प्लास्टिक प्रदूषण संकट" को खत्म करने के लिए 2022 में शुरू किए गए प्रयासों का हिस्सा है।
वैज्ञानिकों का अनुमान है कि प्रत्येक वर्ष 43 करोड़ टन से अधिक प्लास्टिक उत्पादन होता है, इनमें से अधिकांश प्लास्टिक के अल्पकालिक उत्पाद होते हैं जो कुछ ही महीनों में अपशिष्ट बन जाते हैं। वैज्ञानिकों का अनुमान है कि लगभग 1.1 करोड़ टन प्लास्टिक प्रतिवर्ष समुद्र में समा जाता है।
मसौदे के साथ दिए गए नोट में वार्ता के अध्यक्ष लुइस वायस वाल्डिविएसो ने कहा कि मसौदा "एक संतुलित निष्कर्ष के मेरे दृष्टिकोण को दर्शाता है। विभिन्न प्रतिनिधिमंडलों द्वारा व्यक्त की गई सीमाओं, संवेदनशीलताओं, आकांक्षाओं और लक्ष्यों पर सावधानीपूर्वक विचार किया गया है। इसका उद्देश्य हमेशा प्रत्येक देश की आवश्यकताओं व हितों का सम्मान करते हुए आम लोगों की सेवा करना है।"
उन्होंने प्रतिनिधिमंडलों से आग्रह किया कि वे "मसौदे को समग्र रूप में और एक विचारशील संतुलित रूपरेखा के तौर पर देखें, जो विभिन्न दृष्टिकोणों के बीच आपसी समझ कायम करेगा।"
हालांकि, मसौदे में प्लास्टिक उत्पादन पर बाध्यकारी सीमा निर्धारित नहीं की गई है जबकि यह पहलू उच्च-महत्वाकांक्षी देशों के बीच वार्ता के केंद्र में रहे हैं। ये देश कारगर उपायों की मांग कर रहे हैं और अपशिष्ट प्रबंधन व पुनर्चक्रण पर ध्यान केंद्रित करने के पक्षधर हैं।
मसौदा जारी होने के कुछ ही मिनटों बाद पर्यावरण कार्यकर्ताओं ने सम्मेलन केंद्र के बाहर विरोध प्रदर्शन किया, और प्रतिनिधियों से आग्रह किया कि वे "प्लास्टिक प्रदूषण को खत्म करने के लिए अपने प्रभाव व आवाज का उपयोग करें।”
अंतरराष्ट्रीय पर्यावरण कानून केंद्र में प्रतिनिधिमंडल प्रमुख और पर्यावरण स्वास्थ्य कार्यक्रम निदेशक डेविड अजोले ने कहा कि यह मसौदा तीन वर्ष तक चले परामर्श का "मजाक उड़ाने” जैसा है।
‘इंटरनेशनल इंडिजीनियस पीपुल्स फोरम ऑन प्लास्टिक’ ने भी मसौदे की आलोचना की है।
भाषा जोहेब