न्यायालय ने जम्मू कश्मीर का पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल करने संबंधी याचिका पर केंद्र से जवाब मांगा
गोला पवनेश
- 14 Aug 2025, 03:46 PM
- Updated: 03:46 PM
नयी दिल्ली, 14 अगस्त (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने जम्मू कश्मीर का पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल करने का अनुरोध करने वाली याचिका पर बृहस्पतिवार को केंद्र से जवाब मांगा और कहा कि हाल में पहलगाम घटना सहित जमीनी हकीकत को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है।
भारत के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) बी आर गवई ने कहा, ‘‘आपको जमीनी हकीकत को भी ध्यान में रखना होगा...पहलगाम में जो हुआ, उसे आप नजरअंदाज नहीं कर सकते।’’
वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल शंकरनारायणन समेत वकीलों ने शीघ्र सुनवाई का अनुरोध किया था, जिसके जवाब में उन्होंने यह टिप्पणी की। उनके साथ पीठ में न्यायमूर्ति के. विनोद भी शामिल रहे।
केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने याचिका खारिज करने का अनुरोध किया और कहा कि पहले भी अदालत ने ऐसी याचिकाओं पर जुर्माना लगाया था।
मेहता ने कहा, ‘‘चुनाव होते हैं, ‘मॉय लॉर्ड’ देश के इस हिस्से से उभरने वाली विशेष स्थिति से अवगत हैं और निर्णय लेने की प्रक्रिया में कई विचार शामिल हैं।’’
पीठ ने शिक्षाविद् जहूर अहमद भट और सामाजिक-राजनीतिक कार्यकर्ता अहमद मलिक द्वारा दायर याचिका को आठ सप्ताह के बाद सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया।
भट्ट की ओर से पेश हुए शंकरनारायणन ने कहा कि संविधान पीठ का फैसला आए 21 महीने हो चुके हैं, जिसमें संविधान के अनुच्छेद 370 को निरस्त करने समेत कई मुद्दों पर निर्णय हुआ था।
उन्होंने कहा, ‘‘आंशिक रूप से कोई प्रगति नहीं हुई है, क्योंकि माननीय न्यायालय ने केंद्र पर भरोसा किया था जब उन्होंने अदालत के सामने यह बयान दिया था कि वे राज्य का दर्जा बहाल करेंगे।’’
निर्णय का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि पीठ ने इस मुद्दे पर इसलिए विचार नहीं किया क्योंकि सॉलिसिटर जनरल ने आश्वासन दिया था कि जम्मू-कश्मीर का राज्य का दर्जा बहाल किया जाएगा।
शंकरनारायणन ने कहा कि पीठ ने केवल यह निर्देश दिया था कि राज्य का दर्जा जल्द से जल्द बहाल किया जाए, लेकिन कोई समय सीमा तय नहीं की थी।
उच्चतम न्यायालय ने 11 दिसंबर 2023 को अनुच्छेद 370 के निरस्तीकरण को सर्वसम्मति से बरकरार रखा था। यह अनुच्छेद पूर्ववर्ती राज्य जम्मू और कश्मीर को एक विशेष दर्जा देता था। न्यायालय ने यह भी आदेश दिया था कि इस केंद्र शासित प्रदेश में सितंबर 2024 तक विधानसभा चुनाव होंगे और इसका राज्य का दर्जा ‘‘जल्द से जल्द’’ बहाल किया जाएगा।
पिछले साल, शीर्ष अदालत में एक याचिका दायर की गई थी जिसमें दो महीने के भीतर जम्मू-कश्मीर का पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल करने के लिए केंद्र को निर्देश देने का अनुरोध किया गया था।
भट्ट की याचिका में कहा गया है, ‘‘राज्य का दर्जा बहाल करने में देरी से जम्मू-कश्मीर में लोकतांत्रिक रूप से चुनी हुई सरकार का गंभीर ह्रास होगा, जो भारत के संविधान की मूल संरचना का हिस्सा संघवाद के विचार का गंभीर उल्लंघन होगा।’’
याचिका में कहा गया है कि जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव और लोकसभा चुनाव बिना किसी हिंसा, अशांति या सुरक्षा संबंधी चिंताजनक घटना के शांतिपूर्वक संपन्न हुए।
अपने दिसंबर 2023 के फैसले में, उच्चतम न्यायालय ने कहा था कि अनुच्छेद 370 एक अस्थायी प्रावधान था, जिसे 1949 में जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने के लिए भारतीय संविधान में शामिल किया गया था।
न्यायालय ने कहा था कि भारत के राष्ट्रपति को यह प्रावधान रद्द करने का अधिकार है, खासकर उस स्थिति में जब पूर्व राज्य की संविधान सभा अस्तित्व में न हो, जिसका कार्यकाल 1957 में समाप्त हो गया था।
भाषा गोला