स्थगन आदेश के बावजूद मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के नए निर्देशों पर उच्चतम न्यायालय नाराज
नोमान सुरेश
- 14 Aug 2025, 07:06 PM
- Updated: 07:06 PM
नयी दिल्ली, 14 अगस्त (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को इस बात को लेकर मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के प्रति गहरी नाराजगी जताई कि उसने राज्य में शैक्षणिक वर्ष 2023-24 और 2024-25 के पैरामेडिकल पाठ्यक्रमों की प्रवेश प्रक्रिया के संबंध में नये निर्देश जारी किये।
उच्च न्यायालय ने प्रवेश प्रक्रिया पर रोक लगा दी थी, लेकिन भारत के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) बी आर गवई की अध्यक्षता वाली पीठ ने एक अगस्त को यह रोक हटाकर प्रवेश प्रक्रिया फिर से शुरू करने का मार्ग प्रशस्त किया था।
न्यायमूर्ति गवई और न्यायमूर्ति के. विनोद चंद्रन की पीठ बृहस्पतिवार को मध्य प्रदेश पैरामेडिकल काउंसिल के रजिस्ट्रार की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसका प्रतिनिधित्व वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने की।
रोहतगी ने कहा, ‘‘मुझे उसी दिन कार्यवाही पर रोक लगाने की मांग करनी चाहिए थी... आप देखिए, उच्च न्यायालय ने उच्चतम न्यायालय के आदेश का संज्ञान लिया, फिर भी मामले की सुनवाई की और आगे निर्देश जारी किए... यह चौंकाने वाला है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘उच्च न्यायालय को इस तरह से आदेश पारित नहीं करना चाहिए।’’
सीजेआई ने आदेश में कहा, ‘‘उच्च न्यायालय द्वारा आदेश पारित करने के तरीके से हम आश्चर्यचकित हैं। इस न्यायालय ने एक अगस्त को उच्च न्यायालय के आदेश पर रोक लगा दी थी। अपने आदेश में यह उल्लेख करने के बाद भी कि उच्चतम न्यायालय ने उसके पहले के आदेश पर रोक लगा दी थी, उच्च न्यायालय ने मामले की आगे की सुनवाई जारी रखी।"
पीठ ने कहा कि उच्चतम न्यायालय उच्च न्यायालयों पर प्रशासनिक नियंत्रण नहीं रखता है। प्रधान न्यायाधीश ने न्यायिक औचित्य के महत्व पर बल दिया।
पीठ ने कहा, "जहां इस अदालत ने 16 जुलाई के उच्च न्यायालय के आदेश पर रोक लगा दी है, वहां आगे निर्देश पारित करना उस संवैधानिक योजना के अनुरूप नहीं है जिसके तहत अदालतें काम करती हैं।"
इसने विवादित आदेश और उच्च न्यायालय में चल रही कार्यवाही दोनों पर रोक लगाने का आदेश दिया।
इससे पहले, शीर्ष अदालत ने पैरामेडिकल पाठ्यक्रमों में प्रवेश प्रक्रिया पर उच्च न्यायालय द्वारा लगाई गई रोक हटा दी थी।
मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय की जबलपुर पीठ ने विधि छात्र संघ द्वारा दायर याचिका पर संज्ञान लेते हुए 16 जुलाई को 2023-24 और 2024-25 के लिए पैरामेडिकल पाठ्यक्रमों की मान्यता और प्रवेश प्रक्रिया पर रोक लगा दी।
मध्य प्रदेश पैरामेडिकल काउंसिल के रजिस्ट्रार की ओर से पेश रोहतगी ने शीर्ष अदालत को बताया कि उच्च न्यायालय ने कुछ विधि छात्रों द्वारा दायर याचिका पर ऐसा कठोर आदेश पारित किया है, जिनका इस मामले से कोई संबंध नहीं है।
प्रधान न्यायाधीश ने पूछा, "कानून के छात्र ऐसी याचिका कैसे दायर कर सकते हैं?" इसके साथ ही उन्होंने उच्च न्यायालय के आदेश पर रोक लगा दी।
प्रधान न्यायाधीश ने पैरामेडिकल काउंसिल की याचिका पर राज्य सरकार और अन्य को नोटिस भी जारी किया था।
भाषा नोमान