पंजाब मंत्रिमंडल ने ‘लैंड पूलिंग’ नीति को गैर-अधिसूचित करने को मंजूरी दी
देवेंद्र पारुल
- 14 Aug 2025, 07:28 PM
- Updated: 07:28 PM
चंडीगढ़, 14 अगस्त (भाषा) पंजाब मंत्रिमंडल ने ‘लैंड पूलिंग’ नीति को गैर-अधिसूचित करने को बृहस्पतिवार को मंजूरी दे दी। राज्य सरकार ने इस नीति को कुछ दिन पहले वापस ले लिया था।
मुख्यमंत्री भगवंत मान की अध्यक्षता में चंडीगढ़ में हुई मंत्रिपरिषद की बैठक में ‘लैंड पूलिंग’ नीति को गैर-अधिसूचित करने के संबंध में फैसला लिया गया।
मुख्यमंत्री कार्यालय के एक प्रवक्ता ने बताया कि मंत्रिमंडल ने पंजाब के आवास एवं शहरी विकास विभाग द्वारा चार जून को जारी ‘लैंड पूलिंग’ नीति 2025 से संबंधित अधिसूचना को बाद में किए गए संशोधनों समेत वापस लेने का निर्णय लिया है।
भगवंत मान सरकार द्वारा नीति वापस लेने के बाद भी किसान संगठन और विपक्षी दल राज्य सरकार पर नीति वापस लेने की अधिसूचना जारी करने का दबाव बना रहे थे।
किसान संगठनों और विपक्षी दलों के बढ़ते दबाव के चलते पंजाब सरकार ने 11 अगस्त को ‘लैंड पूलिंग’ नीति वापस ले ली थी, जिसे उसने कभी ‘‘किसान-हितैषी’’ बताया था।
विपक्षी दलों और किसान संगठनों ने इस नीति को भूमि ‘‘हड़पने’’ की योजना बताया था। इस नीति को वापस लिए जाने के बाद उन्होंने इसे पंजाब के लोगों की जीत बताया था और दावा किया था कि उन्होंने भगवंत मान सरकार को इसे वापस लेने के लिए ‘‘मजबूर’’ किया।
कुछ दिन पहले पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय ने ‘लैंड पूलिंग’ नीति के क्रियान्वयन पर चार सप्ताह के लिए अंतरिम रोक लगा दी थी।
अदालत ने सात अगस्त को कहा था कि पंजाब की ‘लैंड पूलिंग’ नीति जल्दबाजी में अधिसूचित की गई प्रतीत होती है और इसकी अधिसूचना जारी करने से पहले सामाजिक प्रभाव आकलन तथा पर्यावरण प्रभाव आकलन समेत विभिन्न चिंताओं का समाधान किया जाना चाहिए था।
पंजाब मंत्रिमंडल ने जून में इस ‘लैंड पूलिंग’ नीति को मंजूरी दी थी और कहा था कि भूमि मालिकों से जबरदस्ती एक गज जमीन भी अधिग्रहित नहीं की जाएगी।
राज्य की आम आदमी पार्टी (आप) सरकार ने आवासीय और औद्योगिक क्षेत्र विकसित करने के लिए लुधियाना में ही लगभग 45,000 एकड़ भूमि समेत कई स्थानों पर लगभग 65,000 एकड़ भूमि अधिग्रहीत करने की योजना बनाई थी।
राज्य सरकार ने कहा था कि नीति के तहत, मालिक को एक एकड़ भूमि के बदले में 1,000 वर्ग गज का आवासीय भूखंड और पूरी तरह से विकसित भूमि पर 200 वर्ग गज का व्यावसायिक भूखंड दिया जाएगा।
इस बीच, एक अन्य निर्णय में मंत्रिमंडल ने पंजाब सहकारी समिति अधिनियम, 1961 में संशोधन और सहकारी समितियों के कुछ वर्गों के लिए स्टांप शुल्क एवं पंजीकरण शुल्क छूट को वापस लेने को मंजूरी दे दी।
वर्तमान में, अधिनियम अनिवार्य पंजीकरण से छूट प्रदान करता है, जिसका मूल उद्देश्य सहकारी संस्थाओं के विकास को सुविधाजनक बनाना है।
प्रवक्ता ने कहा कि इस प्रावधान से संपत्ति का लेन-देन, विशेष रूप से शहरी आवास सोसाइटियों में, बिना औपचारिक पंजीकरण या स्टांप ड्यूटी एवं पंजीकरण शुल्क के भुगतान के हो सकेगा।
उन्होंने कहा कि इस स्थिति से अपंजीकृत कब्जे, बेनामी लेनदेन और अन्य कानूनी रूप से जोखिमपूर्ण व्यवस्थाओं को बढ़ावा मिला है।
मंत्रिमंडल ने पंचायत सचिवों और ग्राम सेवकों (ग्राम विकास अधिकारियों) के संवर्गों का विलय करके ‘पंचायत विकास सचिव’ के पद के सृजन को भी मंजूरी दी।
इसके बाद, राज्यभर में ग्रामीण विकास को गति देने की खातिर इन पदों के लिए एक राज्य कैडर का गठन किया जाएगा।
मंत्रिमंडल ने खरीद सत्र के दौरान खरीफ और रबी फसलों की सुचारु खरीद सुनिश्चित करने के वास्ते मंत्रियों के एक समूह (जीओएम) के गठन के लिए पूर्वव्यापी मंजूरी दे दी।
इस मंत्री समूह की अध्यक्षता कृषि मंत्री करते हैं और इसमें खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति, परिवहन तथा जल संसाधन मंत्री सदस्य के रूप में शामिल होते हैं।
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