राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं की पूर्ति के लिए 1947 से पहले ही विभाजन का बीज बो दिया गया था: साहा
रंजन शफीक अविनाश
- 14 Aug 2025, 09:00 PM
- Updated: 09:00 PM
अगरतला, 14 अगस्त (भाषा) त्रिपुरा के मुख्यमंत्री माणिक साहा ने बृहस्पतिवार को दावा किया कि 1947 से काफी पहले ही ‘‘विभाजन का बीज’’ बो दिया गया था, जो कुछ नेताओं द्वारा व्यक्तिगत सत्ता हासिल करने की व्यापक राजनीतिक रणनीति का हिस्सा था।
अगरतला स्थित एमबीबी कॉलेज में ‘विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस’ पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि विभाजन का बीज 1906 में ही पड़ गया था जब मुस्लिम लीग ने अपने ढाका सम्मेलन में मुसलमानों के लिए एक अलग देश की मांग की थी।
उन्होंने दावा किया, ‘‘यह मोहम्मद अली जिन्ना ही थे जिन्होंने 1937 में मुसलमानों के लिए एक अलग राष्ट्र की मांग उठाई थी और कहा था कि हिंदू और मुसलमान शांति से नहीं रह सकते। इस समय तक, अंग्रेजों ने संकेत दे दिया था कि वे द्वितीय विश्व युद्ध के बाद भारत छोड़ देंगे।’’
साहा ने अंग्रेजों पर अपनी सुनियोजित ‘फूट डालो और राज करो’ की रणनीति के जरिए हिंदुओं और मुसलमानों के बीच नफरत फैलाने का आरोप लगाया।
उन्होंने कहा, ‘‘कोलकाता (तत्कालीन कलकत्ता) और नोआखली में हुए दंगों ने दो समुदायों के बीच विभाजन को और गहरा कर दिया था और अंग्रेजों ने इस नफरत को बढ़ावा दिया था।’’
साहा ने दावा किया कि कांग्रेस ने 1940 में अपने रामगढ़ सम्मेलन में भारत के लिए संविधान तैयार करने हेतु एक समिति गठित की थी।
उन्होंने कहा, ‘‘इसके तुरंत बाद, मुस्लिम लीग ने पाकिस्तान के निर्माण की अपनी मांग तेज कर दी। इस समय तक, कांग्रेस ने अंग्रेजों को भगाने के लिए भारत छोड़ो आंदोलन शुरू कर दिया था।’’
मुख्यमंत्री साहा ने कहा, ‘‘हालांकि श्यामा प्रसाद मुखर्जी विभाजन के विरुद्ध थे, लेकिन अंततः उन्होंने हिंदू बंगालियों के हितों की रक्षा के लिए बंगाल के विभाजन की मांग के साथ इसे स्वीकार कर लिया।’’
उन्होंने कहा कि अगर मुखर्जी ने आवाज न उठाई होती, तो पश्चिम बंगाल आज के बांग्लादेश का हिस्सा होता।
साहा ने कहा, ‘‘विभाजन अचानक नहीं हुआ। इसका बीज 1947 से काफी पहले ही बोया गया था और इसे कुछ लोगों की राजनीतिक महत्वाकांक्षा को पूरा करने के लिए अंजाम दिया गया था, जो प्रधानमंत्री बनना चाहते थे।’’
साहा ने दावा किया कि पाकिस्तान और बांग्लादेश में हिंदुओं की आबादी पिछले कुछ वर्षों में चिंताजनक रूप से कम हुई है क्योंकि उन्हें सुरक्षा से वंचित रखा गया।
उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन, भारत ने मुसलमानों को सुरक्षा प्रदान करने का अपना वादा निभाया है और यहां पाकिस्तान की तुलना में इस समुदाय के ज्यादा लोग रहते हैं। यह दर्शाता है कि भारत में मुस्लिम आबादी सुरक्षित है।’’
भाषा रंजन शफीक