एसएंडपी का रेटिंग बढ़ाना भारत की आर्थिक प्रगति, राजकोषीय प्रबंधन पर मुहर: वित्त मंत्रालय
रमण अजय
- 14 Aug 2025, 09:36 PM
- Updated: 09:36 PM
नयी दिल्ली, 14 अगस्त (भाषा) वित्त मंत्रालय ने कहा है कि एसएंडपी का भारत की रेटिंग को बढ़ाना आर्थिक प्रगति और सूझबूझ वाले राजकोषीय प्रबंधन की एक महत्वपूर्ण पुष्टि है।
वित्त मंत्रालय ने बयान में कहा कि साख निर्धारण एजेंसी ने लगभग 19 साल बाद भारत की रेटिंग बढ़ायी है।
इससे पहले एसएंडपी ने जनवरी, 2007 में भारत को सबसे निचले निवेश स्तर की रेटिंग ‘बीबीबी-’ दी थी।
यह किसी वैश्विक रेटिंग एजेंसी द्वारा साख में पहला सुधार है जिसमें भारत को सबसे निचले निवेश स्तर से एक पायदान ऊपर की रेटिंग दी गयी है।
एसएंडपी ने पिछले साल मई में भारत के क्रेडिट रेटिंग परिदृश्य को ‘स्थिर’ से बदलकर ‘सकारात्मक’ कर दिया था।
इससे पहले दिन में, साख निर्धारित करने वाली एजेंसी एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स ने बृहस्पतिवार को भारत की रेटिंग को स्थिर परिदृश्य के साथ बढ़ाकर ‘बीबीबी’ कर दिया। रेटिंग एजेंसी ने मजबूत आर्थिक वृद्धि, राजकोषीय मजबूती के लिए राजनीतिक प्रतिबद्धता और महंगाई को काबू में लाने के लिए बेहतर मौद्रिक नीति उपायों का हवाला देते हुए भारत की रेटिंग बढ़ायी है।
मंत्रालय ने कहा कि विश्वसनीय मुद्रास्फीति प्रबंधन और नीतियों को लेकर बढ़ते भरोसे ने भी इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
एसएंडपी ने अपनी रिपोर्ट में भारतीय अर्थव्यवस्था की प्रमुख खूबियों का विवरण दिया है, जिनकी बदौलत भारत वैश्विक स्तर पर सबसे तेजी से बढ़ने वाली प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में से एक के रूप में उभरा है। वित्त वर्ष 2021-22 से वित्त वर्ष 2023-24 तक वास्तविक जीडीपी वृद्धि दर औसतन 8.8 प्रतिशत रही, जो एशिया-प्रशांत क्षेत्र में सबसे अधिक है।
मंत्रालय ने रेटिंग एजेंसी का हवाला देते हुए कहा कि मौद्रिक नीति सुधारों, विशेष रूप से मुद्रास्फीति के लिए लक्ष्य निर्धारित करने की व्यवस्था को अपनाने से महंगाई को और अधिक प्रभावी ढंग से नियंत्रित किया गया है।
एसएंडपी ने यह भी माना है कि वैश्विक प्रतिकूल परिस्थितियों और मूल्य झटकों के बावजूद, भारत ने समग्र मूल्य स्थिरता बनाए रखकर मजबूती दिखायी है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत की बाह्य और वित्तीय स्थिति मजबूत बनी हुई है और लोकतांत्रिक संस्थाएं नीतियों के स्तर पर निरंतरता और दीर्घकालिक आर्थिक स्थिरता सुनिश्चित करती रहेंगी।
एजेंसी के अनुसार, कम होता राजकोषीय घाटा और निरंतर सार्वजनिक निवेश आगे की सकारात्मक रेटिंग कार्रवाइयों को समर्थन दे सकते हैं।
मंत्रालय के अनुसार, रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि भारत के बड़े और मजबूत घरेलू उपभोग आधार के कारण, हाल ही में लगाए गए अमेरिकी शुल्क का प्रभाव सीमित रहने की उम्मीद है।
भाषा रमण