बिकरू नरसंहार मामले में उप निरीक्षक की छठी जमानत याचिका खारिज
राजकुमार
- 14 Aug 2025, 09:54 PM
- Updated: 09:54 PM
प्रयागराज (उप्र), 14 अगस्त (भाषा) इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने कानपुर के चर्चित बिकरू नरसंहार कांड में आरोपी पुलिस उप निरीक्षक और चौकी प्रभारी कृष्ण कुमार शर्मा उर्फ केके शर्मा की छठी जमानत याचिका खारिज कर दी है।
कृष्ण कुमार ने मुख्य आरोपी गैंगस्टर विकास दूबे के खिलाफ पुलिस की दबिश के बारे में कथित तौर पर उसे जानकारी दी थी और गैंगस्टर के साथ उसके संबंध थे। दबिश की जानकारी मिलने पर गैंगस्टर विकास दूबे ने तीन जुलाई, 2020 को घात लगाकर पुलिस टीम पर हमला किया था जिसमें आठ पुलिसकर्मी मारे गए थे।
इसके बाद, 10 जुलाई, 2020 को विकास दूबे को उज्जैन में गिरफ्तार कर जब कानपुर लाया जा रहा था तब पुलिस का वाहन दुर्घटनाग्रस्त हो गया था एवं पुलिस हिरासत से भागते समय मुठभेड़ में गोली लगने से दूबे की मृत्यु हो गई थी।
इस मामले में याचिकाकर्ता कृष्ण कुमार और चौबेपुर थाना के तत्कालीन प्रभारी विनय कुमार तिवारी के खिलाफ इसी थाने में षड़यंत्र के आरोप में आपराधिक मुकदमा दर्ज किया गया था।
पूर्व में 12 मई, 2025 को उच्च न्यायालय द्वारा याचिकाकर्ता कृष्ण कुमार की पांचवीं जमानत याचिका खारिज कर दी गई थी और अदालत ने उसे उचित समय के बाद नए सिरे से जमानत याचिका दायर करने की छूट दी थी।
हालांकि, मौजूदा छठी जमानत याचिका आठ जुलाई, 2025 को यानी दो महीने के भीतर इस आधार पर दायर की गई कि सह आरोपी विनय कुमार तिवारी को 16 जून, 2025 को इस बात पर जमानत प्रदान की गई कि वह लंबे समय से जेल में निरुद्ध था, जबकि याचिकाकर्ता के साथ ही विनय तिवारी की पहली जमानत याचिका 21 सितंबर, 2021 को खारिज कर दी गई थी।
याचिकाकर्ता के वकील ने दलील दी कि याचिकाकर्ता की पुलिस विभाग में नई नियुक्ति थी और अपनी सेवा के दो-तीन सप्ताह के भीतर ही वह इस मामले में शामिल था। साथ ही वह पिछले करीब पांच वर्षों से जेल में है।
वहीं दूसरी ओर, अपर शासकीय अधिवक्ता ने कहा कि मौजूदा जमानत याचिका, पांचवीं याचिका खारिज किए जाने के दो महीने की अल्पावधि में दायर की गई है और मौजूदा याचिका पर विचार करने के लिए कोई नया आधार नहीं दिया गया है।
जमानत याचिका खारिज करते हुए न्यायमूर्ति सौरभ श्याम शमशेरी ने कहा, “याचिकाकर्ता ने अपनी पांचवी जमानत याचिका खारिज किए जाने के बाद महज दो महीने के भीतर इस अदालत का रुख किया है जो उचित अवधि नहीं है।”
अदालत ने 11 अगस्त को दिए अपने आदेश में निर्देश दिया कि याचिकाकर्ता आज से कम से कम छह महीने की अवधि के बाद मुकदमे की ताजा स्थिति के साथ इस अदालत से संपर्क कर सकता है।
भाषा राजेंद्र