महिला स्वतंत्रता सेनानियों से परिचय कराती एक अनोखी प्रदर्शनी
शोभना नेत्रपाल
- 16 Aug 2025, 12:13 PM
- Updated: 12:13 PM
नयी दिल्ली,16 अगस्त (भाषा) देश आजादी की 79वीं वर्षगांठ मना रहा है, ऐसे में राष्ट्रीय राजधानी में एक स्थान ऐसा भी है जहां लोगों को स्वतंत्रता सेनानियों खास तौर पर महिला स्वतंत्रता सेनानियों के बारे में पूरी जानकारी उपलब्ध कराई गई है।
इंडिया इंटरनेशनल सेंटर की कला दीर्घा में ‘हमारा इतिहास आर्काइव ऑफ फ्रीडम फाइटर्स’ नामक प्रदर्शनी लगाई गई है। संभवत: यह भारत का पहला और एकमात्र अंतरराष्ट्रीय संग्रह है जहां महिला स्वतंत्रता सेनानियों पर विशेष ध्यान केन्द्रित किया गया है।
यहां जारी एक विज्ञप्ति के अनुसार, इस संग्रह में भारत, मलेशिया, सिंगापुर, थाईलैंड और म्यांमा से प्राप्त मौखिक साक्ष्य, तस्वीरें, ऑडियो, वीडियो और फ़िल्म रिकॉर्डिंग शामिल हैं। इसमें लंदन, पेरिस, जिनेवा, स्टटगार्ट, सैन फ्रांसिस्को और अन्य स्थानों से प्राप्त तस्वीरों और दस्तावेजों को भी शामिल किया गया है जो यह दिखाते हैं कि भारत का स्वतंत्रता संग्राम क्रांतिकारी और अहिंसक दोनों प्रकार का था।
इस प्रदर्शनी में मैडम भीकाजी कामा और वैंकूवर तथा सैन फ्रांसिस्को स्थित ग़दर पार्टी द्वारा शुरू किए गए अखबार ‘बंदे मातरम' और ‘तलवार’ के दुर्लभ दस्तावेज़ भी शामिल किए गए हैं।
विज्ञप्ति के अनुसार, इस प्रदर्शनी में महान स्वतंत्रता सेनानी सुभाष चंद्र बोस की आजाद हिंद फौज पर एक विशेष खंड है, जिसमें ‘झांसी की रानी रेजिमेंट’ पर विशेष ध्यान केन्द्रित किया गया है। इसे दुनिया की सबसे प्रारंभिक महिला सैन्य रेजिमेंट में से एक माना जाता है।
सागरी छाबड़ा के निर्देशन में महिला स्वतंत्रता सेनानियों पर बने वृत्तचित्र ‘असली आज़ादी’ को भी इसमें प्रदर्शित किया गया। इसमें उन स्वतंत्रता सेनानियों का साहस और बलिदान भी दर्ज है जो गुमनाम ही रह गए। यह प्रदर्शनी नौ अगस्त से शुरू हुई और 23 अगस्त तक जारी रहेगी।
छाबड़ा पुरस्कार विजेता लेखिका और फिल्म निर्देशक हैं, जिन्होंने विभिन्न साहित्यिक विधाओं में काम किया है।
उनकी पुस्तक ‘इन सर्च ऑफ फ्रीडम - जर्नीज़ थ्रू इंडिया एंड साउथईस्ट एशिया’ को राष्ट्रीय लाडली मीडिया पुरस्कार मिला तथा ‘नाउ आई विल स्पीक’ को इंटरनेशनल एसोसिएशन ऑफ वीमेन इन रेडियो एंड टेलीविजन और नॉर्थ इंडियन फिल्म्स एसोसिएशन द्वारा पुरस्कृत किया गया, तथा पुस्तक ‘ग्लोबल वार्मिंग’ को संयुक्त राष्ट्र, खाद्य एवं कृषि संगठन से और ‘तत्व’ को रजत कमल से पुरस्कार मिला और भारतीय पैनोरमा में चुना गया।
भाषा शोभना