उपहार त्रासदी: अंसल बंधुओं के 60 करोड़ रुपये का इस्तेमाल तीन अस्पतालों में हुआ--दिल्ली सरकार
देवेंद्र माधव
- 16 Aug 2025, 08:46 PM
- Updated: 08:46 PM
नयी दिल्ली, 16 अगस्त (भाषा) दिल्ली सरकार ने उच्चतम न्यायालय को सूचित किया है कि 1997 के उपहार अग्निकांड पीड़ितों की स्मृति में ट्रॉमा सेंटर के निर्माण के लिए अंसल बंधुओं द्वारा भुगतान की गई 60 करोड़ रुपये की राशि का इस्तेमाल तीन सरकारी अस्पतालों में किया गया है।
उच्चतम न्यायालय में दायर हलफनामे के अनुसार, ये तीन अस्पताल संजय गांधी मेमोरियल अस्पताल, मंगोलपुरी, सत्यवादी राजा हरीश चंद्र अस्पताल, नरेला और सिरसपुर अस्पताल हैं।
इन अस्पतालों का चयन दिल्ली के कम सुविधा वाले क्षेत्रों में तत्काल सार्वजनिक आवश्यकता के आधार पर ट्रॉमा सेंटर की स्थापना के लिए किया गया था।
हलफनामे में कहा गया है, ‘‘यह भी प्रस्तुत किया गया है कि यद्यपि इस न्यायालय के मूल निर्देश में द्वारका में उपयुक्त स्थान पर ट्रॉमा सेंटर के निर्माण का उल्लेख था, परन्तु उस समय द्वारका में कोई जीएनसीटीडी अस्पताल नहीं था, जहां ऐसा ट्रॉमा सेंटर स्थापित किया जा सके।’’
इसमें कहा गया है, ‘‘हालांकि, द्वारका सेक्टर 9 में स्थित इंदिरा गांधी अस्पताल का निर्माण हो चुका है और 10 मई, 2021 को यह चालू हो गया।’’
हलफनामे में कहा गया है, ‘‘अस्पताल में कुल 1,241 बिस्तरों की क्षमता है, जिसमें 330 आईसीयू बिस्तर शामिल हैं, और यह पूरी तरह से चालू है, जिससे द्वारका और आसपास के क्षेत्रों के निवासियों को लाभ मिल रहा है।’’
दिल्ली सरकार ने दलील दी कि उसने जनता को अधिकतम लाभ पहुंचाने के लिए तीन अलग-अलग स्थानों पर ट्रॉमा सेंटर स्थापित करके मूल निर्देशों से आगे बढ़कर काम किया है।
एवीयूटी पदाधिकारी नीलम कृष्णमूर्ति, जिन्होंने 1997 की त्रासदी में अपने दो बच्चों को खो दिया था, ने पहले कहा था, ‘‘यह सुनना हैरान करने वाला है कि दिल्ली सरकार ने उच्चतम न्यायालय में दावा किया है कि 60 करोड़ रुपये का इस्तेमाल पहले ही किया जा चुका है, जबकि न्यायालय ने स्पष्ट निर्देश दिया था कि इन निधियों का उपयोग केवल उपहार पीड़ितों की याद में द्वारका में एक उपयुक्त स्थल पर एक ट्रॉमा सेंटर बनाने के लिए किया जाना था।’’
उपहार हादसे में 59 लोगों की मौत हुई थी।
उच्चतम न्यायालय ने सात मई को उपहार त्रासदी पीड़ित संघ (एवीयूटी) द्वारा दायर आवेदन पर दिल्ली सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था।
उच्चतम न्यायालय ने सितंबर 2015 में अंसल बंधुओं, गोपाल और सुशील अंसल को 13 जून 1997 को उपहार सिनेमा हॉल में हुई आग की घटना के लिए लापरवाही के कारण हुई मौत का दोषी ठहराया था।
भाषा देवेंद्र