प्रधानमंत्री मोदी बादल फटने की घटना से प्रभावित किश्तवाड़ में बचाव कार्यों की निगरानी कर रहे: जितेंद्र सिंह
पारुल प्रशांत
- 16 Aug 2025, 09:14 PM
- Updated: 09:14 PM
जम्मू, 16 अगस्त (भाषा) केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने शनिवार को जम्मू के सरकारी मेडिकल कॉलेज में भर्ती उन लोगों से मुलाकात की, जो दो दिन पहले किश्तवाड़ जिले के एक सुदूर गांव में बादल फटने की घटना के बाद अचानक आई बाढ़ के दौरान घायल हो गए थे।
सिंह ने अस्पताल परिसर में संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि खोज एवं बचाव अभियान चौबीसों घंटे जारी है और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी व्यक्तिगत रूप से स्थिति पर नजर रख रहे हैं। उन्होंने बताया कि आपदा प्रभावित चिशोती गांव से अब तक 53 शव बरामद किए जा चुके हैं।
सिंह ने कहा, “प्रधानमंत्री मोदी व्यक्तिगत रूप से बचाव और राहत कार्यों की निगरानी कर रहे हैं। पहले ही दिन उन्होंने समीक्षा बैठक की। शुक्रवार को उन्होंने उपराज्यपाल और मुख्यमंत्री से बात कर स्थिति की जानकारी ली। वह समय-समय पर स्थिति का आकलन करते रहते हैं।”
सिंह शुक्रवार रात चिशोती गांव पहुंचे थे और शनिवार दोपहर जम्मू लौटे थे। अस्पताल प्रशासन ने उन्हें घायलों को उपलब्ध कराए जा रहे इलाज के बारे में जानकारी दी।
केंद्रीय मंत्री ने कहा, “जब प्रधानमंत्री खुद प्रयासों की निगरानी कर रहे हैं, तो हर सरकारी विभाग पूरी तरह सक्रिय है और मिलकर काम कर रहा है। मुआवजा भी उम्मीद से अधिक होगा।”
उन्होंने कहा कि केंद्र-शासित प्रदेश की सरकार को इस मामले में कोई आपत्ति नहीं है।
सिंह ने कहा, “सेना, सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ), केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ और अन्य केंद्रीय बलों के साथ-साथ भारत सरकार और राज्य प्रशासन बचाव कार्यों में पूरी तरह से शामिल हैं। डीजीपी (पुलिस महानिदेशक) खुद मदद के लिए वहां डेरा डाले हुए हैं। सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) की भी सहायता ली जा रही है, क्योंकि वहां बहुत सारा मलबा साफ करना है।”
उन्होंने किश्तवाड़ में बादल फटने की घटना को “बड़ी आपदा” बताते हुए कहा, “हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में आई इसी तरह की आपदाओं से तुलना करें, तो यह हाल-फिलहाल में आई अब तक की सबसे बड़ी आपदा है। यह हम सभी के लिए परीक्षा की घड़ी है।”
सिंह ने बताया कि मौसम संबंधी बाधाओं के कारण वायु सेना की सहायता टीम चिशोती नहीं पहुंच सकी है।
उन्होंने कहा, “हमने रातोंरात उपकरण ले जाने वाले वाहन भेज दिए, ताकि बचाव अभियान में उनकी कमी न सामने आए। लेकिन भारतीय वायु सेना के दो हेलीकॉप्टर अब भी उधमपुर में तैयार खड़े हैं और उड़ान भरने का इंतजार कर रहे हैं।”
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि अलग-अलग समाचार चैनल अलग-अलग आंकड़े बता रहे हैं, लेकिन आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक शुक्रवार रात तक 53 शव बरामद किए जा चुके हैं। उन्होंने बताया, “चार को छोड़कर बाकी शवों की शिनाख्त कर ली गई है।”
सिंह ने मरीजों की उचित देखभाल सुनिश्चित करने के लिए अस्पताल प्रशासन की ओर से किए गए प्रयासों की सराहना की।
उन्होंने कहा, “इन मरीजों को गंभीर शारीरिक चोटें नहीं आईं, लेकिन उन्हें मानसिक आघात पहुंचा है। 66 मरीजों को अस्पताल में भर्ती कराया गया। मौजूदा समय में 52 घायलों का इलाज किया जा रह है, जबकि बाकी को (अस्पताल से) छुट्टी दे दी गई है।”
सिंह ने बताया कि ज्यादातर घायलों को केवल चोटें आईं, क्योंकि वे बड़े पत्थरों के नीचे नहीं दबे थे, बल्कि कीचड़ में फंस गए थे।
उन्होंने कहा, “वे खुशकिस्मत थे कि उन्हें सिर में चोट नहीं आई और उनकी समस्या मुख्यत: मनोवैज्ञानिक प्रवृत्ति की है। उन्हें धीरे-धीरे छुट्टी दी जाएगी, ताकि वे घर पर एक परिचित माहौल में बेहतर ढंग से उबर सकें।”
बचाव अभियान के बारे में पूछे जाने पर सिंह ने कहा कि यह पूरी तत्परता से दिन-रात चल रहा है।
उन्होंने कहा, “मुख्य समस्या मलबे की भारी मात्रा है। मलबे में फंसा एक व्यक्ति आज सुरक्षित बाहर आ गया। वह सामुदायिक रसोई (लंगर) में काम करता था। काम सावधानी से किया जा रहा है। भारी मशीनरी का लापरवाही से इस्तेमाल नहीं किया जा सकता, क्योंकि नीचे फंसा कोई भी व्यक्ति घायल हो सकता है।”
सिंह ने बताया कि लोगों को जानकारी देने के लिए अस्पताल में ‘हेल्प डेस्क’ स्थापित किए जा रहे हैं।
त्रासदी के दौरान तीर्थयात्रियों की भीड़ और गांव के बुनियादी ढांचे के बारे में केंद्रीय मंत्री ने कहा कि 2014 से पहले मचैल माता मंदिर में केवल स्थानीय लोग ही आते थे।
उन्होंने कहा, “2014 के बाद बाहर से और ज्यादा लोग आने लगे। सुविधाओं में सुधार का श्रेय सरकार को जाता है। पहले, मोबाइल कनेक्टिविटी, सड़क, बिजली या शौचालय जैसी कोई सुविधा नहीं थी। सांसद निधि का इस्तेमाल शौचालय, बिजली कनेक्शन, पानी के कनेक्शन, सौर टावर और मोबाइल टावर लगवाने के लिए किया गया। हाल ही में सड़क निर्माण का काम पूरा हुआ है। यहां तक कि एक नया पुल भी बनाया गया था, जो अब बह चुका है।”
मचैल माता यात्रा को स्थगित किए जाने के बारे में सिंह ने कहा कि इसे पहले से इसलिए नहीं रोका गया था, क्योंकि केवल बारिश का पूर्वानुमान था, बादल फटने का नहीं।
उन्होंने कहा, “मौसम विभाग ने बारिश का अनुमान जताया था, लेकिन बादल फटने की पूर्व चेतावनी देना बहुत मुश्किल है। यह एक प्राकृतिक आपदा थी, जिसके लिए कोई भी तैयार नहीं था।”
सिंह ने कहा, “यह पूरा घटनाक्रम बमुश्किल 15 सेकंड तक चला, लेकिन इससे भारी तबाही मची। भविष्य में, ऐसी संभावित परिस्थितियों को देखते हुए तीर्थयात्रा के संबंध में एहतियात बरता जाएगा।”
भाषा पारुल