किश्तवाड़ में बादल फटा: जम्मू-कश्मीर के प्राधिकारियों ने 21 शवों की पहचान की
सिम्मी मनीषा
- 15 Aug 2025, 10:45 AM
- Updated: 10:45 AM
(तस्वीरों के साथ जारी)
जम्मू, 15 अगस्त (भाषा) जम्मू-कश्मीर में प्राधिकारियों ने किश्तवाड़ जिले में बादल फटने से प्रभावित चशोती गांव से बरामद किए गए 46 शवों में से 21 की पहचान कर ली है। अधिकारियों ने शुक्रवार को यह जानकारी दी।
किश्तवाड़ जिले के एक सुदूर पहाड़ी गांव चशोती में बृहस्पतिवार को बादल फटने से केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआईएसएफ) के दो जवानों समेत कम से कम 46 लोगों की मौत हो गयी।
अधिकारियों ने बताया कि मृतकों की पहचान के लिए प्राधिकारियों ने एक व्हाट्सऐप ग्रुप के माध्यम से पीड़ितों की तस्वीरें प्रभावित परिवारों के साथ साझा कीं जिसके परिणामस्वरूप बरामद किए गए 46 शवों में से 21 की पहचान की गई।
अब तक 160 से अधिक घायलों को मलबे से बाहर निकाला गया है जिनमें से 38 की हालत गंभीर बताई जा रही है।
अधिकारियों ने कहा कि मृतकों की संख्या बढ़ने की आशंका है क्योंकि माना जा रहा है कि अभी और लोग फंसे हुए हैं।
जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने बृहस्पतिवार को चशोती गांव से लगभग 15 किलोमीटर दूर पद्दार में एक नियंत्रण कक्ष-सह-सहायता डेस्क स्थापित किया ताकि अचानक आई बाढ़ के बाद लोगों और तीर्थयात्रियों की सहायता की जा सके।
नियंत्रण कक्ष के लिए पांच अधिकारियों को तैनात किया गया है।
अधिकारी ने बताया कि त्रासदी के बाद से ‘हेल्प डेस्क’ को कई लोगों ने फोन किए हैं। उन्होंने कहा कि अधिकारी परिवारों द्वारा लापता बताए गए 67 लोगों का पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘‘अब तक बरामद किए गए शवों में से 21 की पहचान उनके परिवारों ने कर ली है। बाकियों की पहचान की जा रही है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘हमने शवों की तस्वीरें उनके साथ साझा की हैं ताकि उनकी पहचान की जा सके।’’
उन्होंने कहा कि बादल फटने की घटना के बाद से लोग अपने परिवार के सदस्यों का पता लगाने के लिए फोन कर रहे हैं।
अधिकारियों ने बताया कि बादल फटने से प्रभावित क्षेत्र से आगे दो गांव हैं - मचैल और हमोरी, जहां सैकड़ों लोग फंसे हुए हैं। उन्होंने बताया कि आपदा के बाद क्षेत्र की बिजली आपूर्ति ठप हो जाने के कारण उनके मोबाइल फोन की बैटरी खत्म हो गई हैं।
उन्होंने बताया कि उनके संपर्क करने के बाद अधिकारियों को यह पता लग सकेगा कि वे कहां हैं।
अधिकारियों ने बताया कि खोज अभियान के तहत इलाके में मलबे एवं कीचड़ से और पीड़ितों को निकाला जाएगा।
इस बीच, ग्रामीणों ने बताया कि उन्होंने चिनाब नदी में 10 शव तैरते हुए देखे हैं और उन्हें निकालने के प्रयास भी जारी हैं।
मचैल माता मंदिर जाने वाले मार्ग में पड़ने वाले चशोती गांव में यह आपदा अपराह्न 12 बजकर 25 मिनट पर आई। जिस समय हादसा हुआ, उस समय मचैल माता मंदिर यात्रा के लिए वहां बड़ी संख्या में लोग एकत्र थे।
साढ़े नौ हजार फुट की ऊंचाई पर स्थित मचैल माता मंदिर तक जाने के लिए श्रद्धालु चशोती गांव तक वाहन से पहुंच सकते हैं और उसके बाद उन्हें 8.5 किलोमीटर की पैदल यात्रा करनी होती है।
चशोती गांव किश्तवाड़ शहर से लगभग 90 किलोमीटर दूर है। यहां श्रद्धालुओं के लिए लगाया गया एक लंगर (सामुदायिक रसोईघर) इस घटना से सबसे अधिक प्रभावित हुआ। बादल फटने के कारण अचानक बाढ़ आ गई और दुकानों एवं एक सुरक्षा चौकी सहित कई इमारतें बह गईं।
इस आपदा ने एक अस्थायी बाजार, लंगर स्थल और एक सुरक्षा चौकी को तहस-नहस कर दिया है।
अधिकारियों ने बताया कि चशोती और निचले इलाकों में अचानक आई बाढ़ के कारण कम से कम 16 आवासीय मकान एवं सरकारी इमारतें, तीन मंदिर, चार पवन चक्की, 30 मीटर लंबा एक पुल तथा एक दर्जन से अधिक वाहन क्षतिग्रस्त हो गए।
भाषा सिम्मी