कांग्रेस ने पुणे में गर्भवती महिला की मौत के मामले की जांच एसआईटी से कराने की मांग की
धीरज पवनेश
- 11 Apr 2025, 05:41 PM
- Updated: 05:41 PM
पुणे, 11 अप्रैल (भाषा) कांग्रेस की महाराष्ट्र इकाई के अध्यक्ष हर्षवर्धन सपकाल ने पुणे में एक गर्भवती महिला की मौत की जांच एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश के नेतृत्व में विशेष जांच दल (एसआईटी) से कराने की शुक्रवार को मांग की।
आरोप है कि महिला को पुणे स्थित दीनानाथ मंगेशकर अस्पताल ने 10 लाख रुपये जमा कराने के बावजूद भर्ती करने से इनकार कर दिया था।
सपकाल ने पुणे में संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि संबंधित चिकित्सकों और अस्पताल कर्मचारियों के खिलाफ गैर इरादतन हत्या का मामला दर्ज किया जाना चाहिए।
सपकाल ने ‘फुले’ फिल्म को लेकर सरकार और केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) पर निशाना साधा और उन पर निर्माताओं से कुछ दृश्यों को हटाने के लिए कहकर इतिहास को दबाने की कोशिश करने का आरोप लगाया।
दीनानाथ मंगेशकर अस्पताल तब निशाने पर आया जब उसने मार्च के आखिरी हफ्ते में 10 लाख रुपये की अग्रिम राशि जमा न करने पर गर्भवती महिला तनीषा भिसे को भर्ती करने से कथित तौर पर इनकार कर दिया। बाद में महिला ने जुड़वां बेटियों को जन्म देने के बाद दूसरे अस्पताल में दम तोड़ दिया।
घटना की जांच कर रही चार सदस्यीय समिति ने इंगित किया है कि अस्पताल ने धर्मार्थ अस्पतालों पर आपातकालीन मामलों में अग्रिम भुगतान मांगने पर रोक संबंधी नियमों का उल्लंघन किया है।
कांग्रेस नेता ने कहा, ‘‘इस प्रकरण की जांच सेवानिवृत्त न्यायाधीश के नेतृत्व में एसआईटी द्वारा की जानी चाहिए। जिम्मेदार चिकित्सकों और अस्पताल के कर्मचारियों के खिलाफ गैर इरादतन हत्या का मामला दर्ज किया जाना चाहिए।’’
उन्होंने आरोप लगाया कि दो रिपोर्टों में अस्पताल को दोषी ठहराया गया है, जबकि तीसरी रिपोर्ट में लीपापोती की कोशिश की गई है।
सपकाल ने दावा किया, ‘‘ऐसा प्रतीत होता है कि राज्य सरकार इसमें संलिप्त लोगों को बचाने की कोशिश कर रही है।’’ उन्होंने इस मुद्दे पर मंगेशकर परिवार की कथित चुप्पी पर भी सवाल उठाया।
कांग्रेस नेता ने समाज सुधारक महात्मा ज्योतिबा फुले और सावित्रीबाई फुले की जिंदगी पर बनी फिल्म ‘फुले’ को लेकर सीबीएफसी और केंद्र सरकार द्वारा अपनाए गए रुख पर भी निशाना साधा।
फिल्म ‘फुले’ को 11 अप्रैल को सिनेमाघरों में प्रदर्शित किया जाना था लेकिन निर्माताओं ने इस टाल दिया और अब यह फिल्म 25 अप्रैल को रिलीज होगी।
सपकाल ने कहा, ‘‘सीबीएफसी ने कथित तौर पर ब्राह्मण समुदाय की आपत्ति के बाद निर्माताओं से सावित्रीबाई के उत्पीड़न को दर्शाने वाले दृश्यों को हटाने के लिए कहा है। जिन लोगों ने लड़कियों के लिए भारत का पहला स्कूल शुरू करने के लिए उन्हें परेशान किया, वे विदेशी नहीं थे, बल्कि यहां के लोग थे, जिन्हें डर था कि शिक्षित महिलाएं धर्म को अपवित्र कर देंगी।’’
उन्होंने कहा, ‘‘राज्य और केंद्र सरकार इस फिल्म के माध्यम से इतिहास को दबाने की कोशिश कर रही है। हम ऐसे कदमों की निंदा करते हैं।’’
भाषा धीरज