अगली जनगणना में जातिगत गणना भी शामिल होगी: सरकार
धीरज सुरेश
- 30 Apr 2025, 06:28 PM
- Updated: 06:28 PM
(तस्वीरों के साथ)
नयी दिल्ली, 30 अप्रैल (भाषा) सरकार ने बुधवार को फैसला किया कि आगामी जनगणना में जातिगत गणना को ‘‘पारदर्शी’’ तरीके से शामिल किया जाएगा। केंद्र सरकार ने, साथ ही जाति आधारित सर्वेक्षण को ‘‘राजनीतिक हथियार’’ के तौर पर इस्तेमाल करने के लिए विपक्षी दलों को आड़े हाथों लिया।
कांग्रेस सहित विपक्षी दल देशव्यापी जातिगत गणना कराने की मांग कर रहे हैं और इसे एक बड़ा चुनावी मुद्दा बना रहे हैं। तत्कालीन महागठबंधन सरकार के दौरान बिहार में तथा तेलंगाना और कर्नाटक जैसे कुछ गैर-भाजपाई राज्यों में जाति आधारित सर्वेक्षण भी कराए गए हैं।
केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने राजनीतिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति द्वारा लिये गए निर्णय की जानकारी देते हुए बताया कि जनगणना केंद्र के अधिकारक्षेत्र में आती है, लेकिन कुछ राज्यों ने सर्वेक्षण के नाम पर जातिगत गणना ‘‘गैर-पारदर्शी’’ तरीके से की है, जिससे समाज में संदेह पैदा हुआ है।
केंद्रीय मंत्री ने रेखांकित किया कि स्वतंत्रता के बाद से की गईं सभी जनगणना प्रक्रियाओं में जाति को शामिल नहीं किया गया था। उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस सरकारों ने हमेशा जातिगत गणना का विरोध किया है और पार्टी ने इस मुद्दे का इस्तेमाल ‘‘राजनीतिक हथियार’’ के रूप में किया है।
वैष्णव ने कहा, ‘‘इन सभी तथ्यों पर विचार करते हुए तथा यह सुनिश्चित करने के लिए कि राजनीति के कारण सामाजिक ताना-बाना प्रभावित न हो, सर्वेक्षणों के बजाय जातिगत गणना को पारदर्शी तरीके से जनगणना में शामिल करने का निर्णय लिया गया।’’
उन्होंने कहा कि इससे हमारे समाज का सामाजिक और आर्थिक ढांचा मजबूत होगा और राष्ट्र भी प्रगति करता रहेगा।
मंत्री ने आरोप लगाया कि विपक्षी दलों द्वारा शासित राज्यों ने राजनीतिक कारणों से जाति आधारित सर्वेक्षण किए हैं। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि मोदी सरकार ने आगामी अखिल भारतीय जनगणना प्रक्रिया में जातिगत गणना को पारदर्शी रूप से शामिल करने का संकल्प लिया है।
कांग्रेस और विपक्षी ‘इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इंक्लूसिव अलायंस’ (इंडिया) ने पिछले चुनावों में जातिगत गणना को एक प्रमुख चुनावी मुद्दा बनाया था, जिसमें राहुल गांधी ने लोगों को उनकी जनसंख्या के आधार पर प्रतिनिधित्व देने का वादा किया था।
भारत में प्रत्येक 10 साल के अंतराल पर होने वाली जनगणना अप्रैल 2020 में शुरू होनी थी, लेकिन कोविड महामारी के कारण इसमें देरी हुई।
वैष्णव ने कहा कि 2010 में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने लोकसभा को आश्वासन दिया था कि जातिगत गणना के मामले पर मंत्रिमंडल में विचार किया जाना चाहिए। ज्यादातर राजनीतिक दलों द्वारा जाति आधारित गणना की सिफारिश किए जाने के बाद इस पर विचार करने के लिए मंत्रियों का एक समूह बनाया गया था।
उन्होंने कहा, ‘‘इसके बावजूद कांग्रेस सरकार ने जाति गणना के बजाय सिर्फ सर्वेक्षण कराने का फैसला किया। उस सर्वेक्षण को एसईसीसी (सामाजिक आर्थिक और जातिगत गणना) के नाम से जाना जाता है।’’
मंत्री ने आरोप लगाया, ‘‘यह अच्छी तरह से समझा जा सकता है कि कांग्रेस और उसकी ‘इंडिया’ गठबंधन में सहयोगियों ने जातिगत गणना का इस्तेमाल केवल राजनीतिक हथियार के रूप में किया है।’’
उन्होंने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 246 के तहत ‘जनगणना’ विषय संघ सूची में प्रविष्टि 69 के अंतर्गत सूचीबद्ध है और संविधान के अनुसार जनगणना एक संघ का विषय है।
वैष्णव ने कहा कि कुछ राज्यों ने जातियों की गणना के लिए सर्वेक्षण कराए हैं।
उन्होंने कहा कि कुछ राज्यों ने यह काम बखूबी किया है, जबकि कुछ अन्य ने इस तरह के सर्वेक्षण पूरी तरह से राजनीतिक दृष्टिकोण से गैर-पारदर्शी तरीके से किए हैं। ऐसे सर्वेक्षणों ने समाज में संदेह पैदा किया है।
मंत्री ने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में, राजनीतिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने आज (30 अप्रैल 2025) निर्णय लिया है कि आगामी जनगणना में जातिगत गणना को शामिल किया जाना चाहिए।’’
वैष्णव ने कहा, ‘‘यह दर्शाता है कि हमारी सरकार अपने समाज और देश के मूल्यों और हितों के लिए प्रतिबद्ध है, जैसे अतीत में हमारी सरकार ने समाज के किसी भी वर्ग में तनाव पैदा किए बिना समाज के आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण की शुरुआत की थी।’’
भाषा धीरज