उमर खालिद से बिल्कुल कोई संबंध नहीं है: शरजील इमाम ने दिल्ली उच्च न्यायालय से कहा
नोमान सुरेश
- 08 May 2025, 09:28 PM
- Updated: 09:28 PM
नयी दिल्ली, आठ मई (भाषा) फरवरी 2020 के दंगों के एक मामले में आरोपी कार्यकर्ता शरजील इमाम ने बृहस्पतिवार को दिल्ली उच्च न्यायालय में दलील दी कि उसका उस स्थान, समय और उमर खालिद सहित सह-आरोपियों से "बिल्कुल कोई संबंध नहीं" था।
इमाम के वकील ने न्यायमूर्ति नवीन चावला और न्यायमूर्ति शालिन्दर कौर की पीठ से उसकी जमानत याचिका पर निर्णय करते समय "करुणा" दिखाने का आग्रह किया।
वकील ने कहा कि उसके भाषणों और व्हाट्सऐप पर की गई बातचीत में कभी भी किसी अशांति की बात नहीं की गयी।
इमाम के वकील ने कहा, "इस लड़के ने लगातार पांच साल से ज़्यादा समय हिरासत में बिताया है। वह (परिवार का) इकलौता कमाने वाला है। उसकी बूढ़ी मां बीमार है और उसके पिता नहीं हैं।"
वकील ने दोहराया कि वह 15 जनवरी 2020 के बाद राजधानी में नहीं था और उसे पुलिस ने 28 जनवरी, 2020 को बिहार में उसके गृहनगर से एक अलग मामले में गिरफ्तार किया था। उन्होंने दलील दी कि इस वजह से इमाम ने दूसरों के साथ किसी भी "षड्यंत्रकारी" बैठक में भाग नहीं लिया।
अभियोजन पक्ष का षड्यंत्र का मामला आरोपियों के बीच आदान-प्रदान किए गए संदेशों पर आधारित है। इमाम के वकील ने उनके साथ बातचीत से इनकार करते हुए कहा कि वह कथित मुख्य व्हाट्सऐप ग्रुप में नहीं था, जहां चक्का जाम पर चर्चा की गई थी।
वकील ने कहा कि इमाम जिस व्हाट्सऐप ग्रुप का हिस्सा था, उसमें कोई भी ऐसा संदेश नहीं था जो "दूर से भी हिंसा भड़काने वाला" हो।
वकील ने कहा, "ऐसा एक भी संदेश नहीं दिखाया गया, जिससे पता चले कि एक समुदाय को दूसरे समुदाय के खिलाफ खड़ा किया गया हो... हिंसा का एक सबूत बनाम अहिंसा के 40 सबूत अभियोजन पक्ष के मामले को ध्वस्त कर देते हैं।"
वकील ने तर्क दिया कि एक गवाह ने आरोप लगाया था कि वह "उमर खालिद और कुछ अन्य आरोपियों से संबंधित है", लेकिन इमाम का ऐसा कोई संबंध नहीं है।
इमाम के वकील ने कहा कि उनके मुवक्किल के खिलाफ पहले से ही राजद्रोह और घृणास्पद भाषण से संबंधित मामलों में मुकदमा चल रहा है, जिसमें उसे जमानत मिल गई है।
उन्होंने कहा कि न्यायिक निर्णयों में पाया गया है कि उनके भाषणों के बाद कोई हिंसा नहीं हुई।
पुलिस के उस मामले के संदर्भ में जिसमें कहा गया है कि उसने शाहीन बाग प्रदर्शन स्थल को खड़ा किया, वकील ने दलील दी कि इमाम ने दो जनवरी 2020 को यह आशंका जताते हुए खुद को उस स्थल से अलग कर लिया था कि वहां कुछ शरारती तत्व शामिल हो सकते हैं।
वकील का कहना है कि इस मामले को दिसंबर 2019 में जामिया मिल्लिया इस्लामिया में हुई हिंसा के साथ "मिलाया" नहीं जाना चाहिए।
उमर खालिद, इमाम और कई अन्य पर फरवरी 2020 के दंगों के कथित "मास्टरमाइंड" होने के आरोप में गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) और भारतीय दंड संहिता के प्रावधानों के तहत मामला दर्ज किया गया है। इन दंगों में 53 लोगों की मौत हो गई थी और 700 से ज्यादा जख्मी हो गए थे।
इस मामले पर 21 मई को सुनवाई नहीं होगी।
भाषा
नोमान