दिल्ली के 111 गांवों में पीएनजी पहुंचाना भारत के स्वच्छ ऊर्जा अभियान में महत्वपूर्ण सुधार: विशेषज्ञ
निहारिका मनीषा
- 16 May 2025, 01:10 PM
- Updated: 01:10 PM
(अपर्णा बोस)
नयी दिल्ली, 16 मई (भाषा) भारत में व्यावसायिक एवं पर्यावरणीय बेहतरी के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन के सहयोगी केंद्र की निदेशक कल्पना बालकृष्णन ने कहा कि दिल्ली के आसपास के 111 गांवों में पाइप्ड नेचुरल गैस (पीएनजी) ‘कनेक्शन’ का विस्तार करना भारत में स्वच्छ खाना पकाने के ईंधन के बदलाव में पीछे छूट गए समुदायों की जरूरतों को पूरा करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
बालकृष्णन ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘ ये गांव ऐसे हैं जो उनके समीप ही आर्थिक अवसर मौजूद होने के बावजूद बदलाव का हिस्सा नहीं बन सके। यदि यह पहले संभव हो पाता तो अब तक इनका कायापलट हो गया होता। ये वे परिवार हैं जिनके सामाजिक-आर्थिक विशेषाधिकार सबसे कम हैं जिससे यह एक महत्वपूर्ण समानता-अनुकूल पहल बन जाती है।’’
उन्होंने ग्रामीण क्षेत्रों में पीएनजी आपूर्ति बढ़ाने के दिल्ली सरकार के नवीनतम प्रयास का जिक्र करते हुए यह बात कही।
दिल्ली सरकार ने इंद्रप्रस्थ गैस लिमिटेड (आईजीएल) के जरिये 111 गांव में पाइप्ड नेचुरल गैस (पीएनजी) की बृहस्पतिवार को आपूर्ति शुरू की, जिससे पीएनजी से जुड़े गांव की कुल संख्या अब 241 हो गई है।
सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट (सीएसई) की कार्यकारी निदेशक अनुमिता रॉय चौधरी ने ‘पीटीआई-भाषा’ के साथ बातचीत में कहा कि यह प्रयास न केवल दिल्ली के वायुक्षेत्र में ग्रामीण उत्सर्जन को नियंत्रित करने के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि ग्रामीण परिवारों को ईंधन प्रदूषण के संपर्क में आने से होने वाली परेशानियों से भी बचाएगा।
सीएसई की 2024 की रिपोर्ट ‘इंडियाज ट्रांजिशन टू ई-कुकिंग’ के अनुसार, भारत की 41 प्रतिशत आबादी अब भी ठोस बायोमास ईंधन पर निर्भर है, जो सालाना लगभग 34 करोड़ टन कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जित करती है जो देश के ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन का लगभग 13 प्रतिशत है।
चौधरी ने कहा, ‘‘ पीएनजी से जुड़ने से पाइपलाइन अवसंरचना के साथ ईंधन भरने और पहुंच की समस्याओं को दूर किया जा सकता है, जिससे स्वच्छ ईंधन की निरंतर आपूर्ति संभव हो सकेगी।’’
संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (यूनिसेफ) के साथ साझेदारी में एक स्वतंत्र अमेरिकी शोध संगठन की 2024 की रिपोर्ट के अनुसार, 2021 में वायु प्रदूषण के कारण दुनिया भर में 81 लाख लोगों की जान गई जिसमें भारत तथा चीन के क्रमशः 21 लाख और 23 लाख लोग थे।
रिपोर्ट में कहा गया है कि वायु प्रदूषण से 2021 में भारत में पांच साल से कम उम्र के 1,69,400 बच्चों की जान गई। वहीं दक्षिण एशिया में वायु प्रदूषण से मौत के मामले सबसे अधिक हैं।
भाषा निहारिका