भारत-पाकिस्तान सैन्य संघर्ष के कारण जम्मू में सीमावर्ती पर्यटन को झटका
खारी संतोष
- 18 May 2025, 11:08 PM
- Updated: 11:08 PM
सुचेतगढ़ (जम्मू-कश्मीर), 18 मई (भाषा) सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के जवानों की वाघा-अटारी जैसी परेड के लिए लोकप्रिय जम्मू के बाहरी इलाके में अंतरराष्ट्रीय सीमा के पास स्थित सुचेतगढ़ का पर्यटक गांव इन दिनों वीरान नजर आ रहा है।
भारत और पाकिस्तान के सैन्य संघर्ष ने गांव को बड़ा झटका दिया है। इस गांव को सरकार के सीमा पर्यटन संवर्धन कार्यक्रम के तहत अक्टूबर 2021 में पहली बार पर्यटकों के लिए खोला गया था।
होटल और रेस्तरां मालिक, दुकानदार और घोड़ागाड़ी संचालक व अन्य हितधारक चिंतित हैं, लेकिन उन्हें उम्मीद भी है कि भारत-पाकिस्तान के बीच सैन्य कार्रवाई रोकने के लिए बनी सहमति से पर्यटकों की वापसी होगी और यह क्षेत्र फिर से गुलजार होगा।
रेस्तरां मालिक सुनील कुमार ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, ‘‘हाल ही में सीमा पर हुई झड़पों के मद्देनजर पर्यटकों की संख्या बिल्कुल न के बराबर हो गई है। सैन्य कार्रवाई रोकने पर बनी सहमति के बावजूद पिछले सप्ताह शायद ही कोई पर्यटक यहां आया हो।’’
भारत और पाकिस्तान द्वारा फरवरी 2021 में सीमा पर संघर्षविराम समझौते के नवीनीकरण की घोषणा किए जाने के बाद सुचेतगढ़ एक पर्यटन स्थल के रूप में उभरा। यह घोषणा अंतरराष्ट्रीय सीमा और नियंत्रण रेखा (एलओसी) के पास रहने वाले लोगों के लिए एक बड़ी राहत बनकर आई।
सप्ताहांत पर सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के जवानों की परेड सहित वाघा-अटारी जैसे समारोह की शुरुआत जम्मू कश्मीर के और बाहर के पर्यटकों के लिए एक प्रमुख आकर्षण साबित हुई।
हालिया झड़पों के बाद पिछले सप्ताह बीएसएफ ने परेड को स्थगित कर दिया।
कुमार ने कहा, ‘‘पहले हमारा रेस्तरां भरा रहता था... खासकर सप्ताहांत पर, बीएसएफ के बीटिंग रिट्रीट समारोह के दौरान हमारी बिक्री 15,000 से 20,000 रुपये तक पहुंच जाती थी। अब हम मुश्किल से 2,000 से 3,000 रुपये कमा पा रहे हैं, क्योंकि पाकिस्तानी गोलेबारी के बाद लोगों ने आना बंद कर दिया है।’’
रेस्तरां मालिक ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि स्थिति सामान्य होने पर सीमावर्ती क्षेत्र में पर्यटन फिर से शुरू हो जाएगा।
क्षेत्र में चाय और मिठाई की दुकान संचालित करने वाले महेंद्र लाल ने कहा कि उनके लिए भी स्थिति उतनी ही गंभीर है।
उन्होंने कहा, ‘‘हमारा काम ठप हो गया है और हमने पर्यटकों की कमी के कारण लोकप्रिय ‘मिल्क केक’ सहित अन्य मिठाइयां बनाना बंद कर दिया है...जहर बांट रहे पाकिस्तान के विपरीत हम मिठाई बेचते थे। हम केवल यही उम्मीद करते हैं कि पाकिस्तान कुछ समझदारी दिखाए और बेहतर संबंधों के लिए शांति को मजबूत करे।’’
भाषा
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