केंद्र को 31 अक्टूबर तक अपनी रिपोर्ट उपलब्ध कराएगा 16वां वित्त आयोग : पनगढ़िया
राजकुमार अजय
- 19 May 2025, 06:39 PM
- Updated: 06:39 PM
देहरादून, 19 मई (भाषा) सोलहवें वित्त आयोग के अध्यक्ष डॉ. अरविंद पनगढ़िया ने सोमवार को कहा कि वित्त आयोग ने इस वर्ष 31 अक्टूबर तक अपनी रिपोर्ट केंद्र सरकार को उपलब्ध कराने का लक्ष्य रखा है ।
यह बात पनगढ़िया ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के साथ आयोग की यहां हुई एक बैठक में कही ।
पनगढ़िया ने विकास के मोर्चे पर तेजी से आगे बढ़ने के लिए उत्तराखंड की सराहना की और कहा कि विषम भौगोलिक परिस्थितियों के दृष्टिगत उत्तराखंड समेत अन्य पर्वतीय राज्यों के समक्ष आ रही चुनौतियों के समाधान के लिए व्यापक स्तर पर विचार-विमर्श किया जायेगा ।
इससे पहले बैठक में मुख्यमंत्री ने प्रदेश की वित्तीय परिस्थितियों, चुनौतियों एवं विकास आवश्यकताओं पर विस्तार से अपना पक्ष रखा ।
उन्होंने वित्त आयोग से उत्तराखंड की 'ईको सर्विस लागत' को देखते हुए 'पर्यावरण संघवाद' की भावना के अनुरूप उपयुक्त क्षतिपूर्ति देने, 'कर-हस्तांतरण' में वन आच्छादन को निर्धारित भार को 20 प्रतिशत तक बढ़ाने तथा राज्य में वनों के उचित प्रबंधन और संरक्षण के लिए विशेष अनुदान पर विचार करने का अनुरोध किया।
मुख्यमंत्री ने बताया कि पिछले 25 वर्षों में उत्तराखंड ने अन्य क्षेत्रों की भांति वित्तीय प्रबंधन के क्षेत्र में भी उल्लेखनीय प्रगति की है। उन्होंने कहा कि राज्य के बजट का आकार एक लाख करोड़ रुपये को पार कर गया है जबकि नीति आयोग द्वारा जारी वर्ष 2023-24 की एसडीजी इंडेक्स रिपोर्ट में उत्तराखंड सतत विकास के लक्ष्यों को प्राप्त करने वाले राज्यों में देश का अग्रणी राज्य बनकर उभरा है।
राज्य के कुल भौगोलिक क्षेत्र का 70 प्रतिशत से अधिक भाग वनों से आच्छादित होने के कारण प्रदेश के सामने प्रमुख रूप से आ रही दो चुनौतियों का जिक्र करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि इससे जहां एक ओर वनों के संरक्षण के लिए अधिक व्यय करना पड़ता है, वहीं वन क्षेत्र में किसी अन्य विकास गतिविधि के निषेध के कारण ‘इको सर्विस लागत’ का वहन भी करना पड़ता है।
इस संबंध में मुख्यमंत्री ने 'पर्यावरण संघवाद' की भावना के अनुरूप राज्य को उपयुक्त क्षतिपूर्ति दिये जाने, 'कर-हस्तांतरण' में वन आच्छादन हेतु निर्धारित भार को 20 प्रतिशत तक बढ़ाये जाने और राज्य में वनों के उचित प्रबंधन और संरक्षण के लिए विशेष अनुदान दिये जाने का अनुरोध किया।
उन्होंने कहा कि 2010 में प्रदेश का औद्योगिक पैकेज समाप्त होने से ‘लोकेशनल डिसएडवांटेज’ की पूर्ति नहीं हो पा रही है जबकि विषम भौगोलिक परिस्थितियों और अन्य व्यावहारिक कठिनाइयों के कारण राज्य के पर्वतीय क्षेत्रों में शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में निजी क्षेत्र की भागीदारी अत्यंत सीमित होने के कारण विशेष बजट प्रावधान करने पड़ते हैं।
उत्तराखंड को प्राकृतिक आपदाओं के प्रति बहुत संवेदनशील बताते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि आपदाओं से प्रभावी ढंग से निपटने एवं राहत तथा पुनर्वास कार्यों के लिए राज्य को सतत आर्थिक सहयोग की आवश्यकता होती है।
धामी ने गंगा को राष्ट्रीय नदी घोषित किए जाने के बाद लागू नियमों के कारण उत्तराखंड में जल विद्युत उत्पादन की संभावनाएं सीमित होने का जिक्र करते हुए कहा कि इससे जल विद्युत क्षेत्र अपेक्षित योगदान नहीं दे पा रहा है और राजस्व के साथ रोजगार के क्षेत्र में भी भारी क्षति हो रही है।
मुख्यमंत्री ने तीर्थ स्थलों में आने वाली ‘अस्थायी जनसंख्या’ को देखते हुए परिवहन, पेयजल, स्वास्थ्य, कचरा प्रबंधन एवं अन्य सेवाओं के लिए किए जाने वाले अतिरिक्त आधारभूत ढांचे के विकास में आने वाली अधिक लागत को देखते हुए विशेष सहायता प्रदान करने का भी वित्त आयोग से अनुरोध किया।
प्रदेश कांग्रेस उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना के नेतृत्व में पार्टी के एक प्रतिनिधिमंडल ने भी डॉ पनगढ़िया से मुलाकात की और प्रदेश के लिए हरित बोनस तथा पलायन को रोकने और प्रदेश की विशेष भौगोलिक परिस्थितियों को देखते हुए आर्थिक पैकेज देने का अनुरोध किया।
धस्माना ने मांग की कि राज्य को अपनी पर्यावरणीय सेवाओं, देश के लिए जल, जंगल व जैव विविधता की रक्षा के बदले प्रतिपूर्ति के रूप में हरित बोनस प्रदान किया जाए। उन्होंने कहा कि राज्य में दीर्घकालीन आपदा प्रबंधन तैयारियों के लिए राज्य को विशेष पैकेज का भी प्रावधान होना चाहिए।
भाषा दीप्ति
राजकुमार