भारत की तीन-चौथाई आबादी भीषण गर्मी से जुड़े जोखिम का सामना कर रही : सीईईडब्ल्यू अध्ययन
प्रशांत मनीषा
- 20 May 2025, 05:50 PM
- Updated: 05:50 PM
नयी दिल्ली, 20 मई (भाषा) भारत के लगभग 57 प्रतिशत जिले, जिनमें भारत की कुल जनसंख्या का 76 प्रतिशत भाग रहता है, वर्तमान में ‘उच्च’ से लेकर ‘अत्यधिक’ तापमान के जोखिम की स्थिति में हैं। एक नए अध्ययन में यह जानकारी दी गयी।
दिल्ली स्थित जलवायु एवं ऊर्जा विचारक संस्था ‘काउंसिल ऑन एनर्जी एनवायरनमेंट एंड वाटर’ (सीईईडब्ल्यू) द्वारा मंगलवार को प्रकाशित अध्ययन के अनुसार, सबसे अधिक गर्मी के खतरे वाले 10 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में दिल्ली, महाराष्ट्र, गोवा, केरल, गुजरात, राजस्थान, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश शामिल हैं।
इसमें यह भी पाया गया कि पिछले दशक में बहुत गर्म दिनों की तुलना में बहुत गर्म रातों की संख्या में तेजी से वृद्धि हुई है।
बहुत गर्म रातें और बहुत गर्म दिन ऐसी अवधि के रूप में परिभाषित किए जाते हैं जब न्यूनतम और अधिकतम तापमान 95 फीसदी की सीमा से ऊपर हो जाता है।
अध्ययन के एक भाग के रूप में, सीईईडब्ल्यू शोधकर्ताओं ने 734 जिलों के लिए एक ताप जोखिम सूचकांक (एचआरआई) विकसित किया, जिसमें ताप प्रवृत्तियों, भूमि उपयोग, जल निकायों और हरित आवरण का अध्ययन करने के लिए 40 वर्षों के जलवायु आंकड़े (1982-2022) और उपग्रह चित्रों का उपयोग किया गया।
उन्होंने गर्मी के खतरे की व्यापक तस्वीर के लिए जनसंख्या, भवन, स्वास्थ्य और सामाजिक-आर्थिक कारकों के साथ-साथ रात्रि तापमान और आर्द्रता के आंकड़े भी शामिल किए।
सीईईडब्ल्यू के वरिष्ठ कार्यक्रम प्रमुख विश्वास चितले ने कहा, “हमारे अध्ययन में पाया गया कि 734 भारतीय जिलों में से 417 उच्च और बहुत उच्च जोखिम श्रेणियों में आते हैं (151 उच्च जोखिम के अंतर्गत और 266 बहुत उच्च जोखिम के अंतर्गत)। कुल 201 जिले मध्यम श्रेणी में आते हैं और 116 निम्न या बहुत निम्न श्रेणियों में आते हैं।”
चितले ने कहा, “इसका मतलब यह नहीं है कि ये जिले गर्मी के खतरे से मुक्त हैं, बल्कि यह अन्य जिलों की तुलना में अपेक्षाकृत कम है।”
अध्ययन के अनुसार, भारत में बहुत गर्म दिनों की संख्या बढ़ रही है, लेकिन चिंता की बात यह है कि बहुत गर्म रातों की संख्या और भी अधिक बढ़ रही है, जिससे स्वास्थ्य संबंधी जोखिम पैदा हो रहे हैं।
रात का उच्च तापमान खतरनाक माना जाता है क्योंकि इससे शरीर को ठंडा होने का मौका नहीं मिलता।
रिपोर्ट में कहा गया, “बहुत गर्म रातों में वृद्धि सबसे ज्यादा उन जिलों में देखी गई है, जिनकी आबादी ज्यादा है (10 लाख से ज्यादा), जो अक्सर टियर-1 और टियर-2 शहर होते हैं। पिछले दशक में, मुंबई में हर गर्मियों में 15 अतिरिक्त बहुत गर्म रातें देखी गईं, बेंगलुरु (11), भोपाल और जयपुर (7-7), दिल्ली (6) और चेन्नई (4)।”
अध्ययन से पता चला है कि पारंपरिक रूप से ठंडे हिमालयी क्षेत्रों में भी, जहां मैदानी इलाकों और तटों की तुलना में तापमान की सीमा कम है, बहुत गर्म दिन और बहुत गर्म रातें बढ़ गई हैं।
इससे नाजुक पर्वतीय पारिस्थितिकी तंत्र पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है।
सीईईडब्ल्यू के शोधकर्ताओं ने कहा कि मुंबई, दिल्ली और गंगा के मैदानी इलाकों के अधिकतर शहरों में गर्मी का सबसे अधिक खतरा है, क्योंकि उच्च जनसंख्या घनत्व, घनी इमारतें और मौजूदा सामाजिक-आर्थिक और स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं गर्मी के खतरे को और बढ़ा रही हैं।
भीषण गर्मी ने 2024 में सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए, जो भारत और दुनिया भर में सबसे गर्म साल रहा। इस साल, देश में पहली हीटवेव 27-28 फरवरी को दर्ज की गई, जो पिछले साल पांच अप्रैल से बहुत पहले थी।
देश में भीषण और लगातार आने वाली ऊष्ण लहर निम्न आय वाले परिवारों पर बोझ बढ़ा रही हैं, जिनके पास अक्सर पानी और ठंडा रखने की खराब सुविधा होती है, तथा चिलचिलाती धूप में काम करने वाले बाहरी श्रमिकों की सहनशक्ति की परीक्षा ले रही हैं, जिससे उन्हें बार-बार अवकाश लेने के लिए बाध्य होना पड़ रहा है।
अध्ययनों से पता चलता है कि भारत 2030 तक 3.5 करोड़ पूर्णकालिक नौकरियां खो सकता है और सकल घरेलू उत्पाद में 4.5 प्रतिशत की कमी का सामना कर सकता है।
विशेषज्ञों का कहना है कि बाहरी काम करने वाले, गर्भवती महिलाएं, बुजुर्ग, बच्चे और गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं से ग्रस्त लोगों को गर्मी से थकावट और हीटस्ट्रोक का खतरा अधिक होता है।
भाषा
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