हिमंत ने असम के हिस्सों को बांग्लादेशी भूभाग बताने वाले कथित मानचित्र को खारिज किया
संतोष नेत्रपाल
- 21 May 2025, 08:47 PM
- Updated: 08:47 PM
डेरगांव, 21 मई (भाषा) असम के मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा ने बांग्लादेश के कुछ व्यक्तियों द्वारा प्रकाशित उस कथित मानचित्र को खारिज किया है जिसमें दावा किया गया है कि इस पूर्वोत्तर राज्य के कई हिस्से पड़ोसी देश (बांग्लादेश) के भूभाग हैं।
उन्होंने जोर देकर कहा कि बांग्लादेश एक ‘‘छोटा’’ देश है और ‘‘इतना ध्यान’’ दिए जाने का वह हकदार नहीं है। उन्होंने कहा कि बांग्लादेश ताकत के लिहाज से भारत की बराबरी नहीं कर सकता।
शर्मा ने गोलाघाट जिले के डेरगांव में संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘लोग ऐसा नक्शा बना सकते हैं और प्रकाशित कर सकते हैं। हम भी बांग्लादेश को असम का हिस्सा दिखाने वाला नक्शा बना सकते हैं। यहां तक कि भारत और अमेरिका को भी एक नक्शे पर एक साथ रखा जा सकता है। सिर्फ नक्शा बनाने से यह असलियत नहीं बन जाएगा।’’
बांग्लादेश में कुछ कट्टरपंथियों द्वारा कथित तौर पर असम के कुछ हिस्सों को शामिल करते हुए उस देश का नक्शा प्रकाशित करने पर हिमंत से उनकी प्रतिक्रिया मांगी गई थी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि अगर बांग्लादेश के मौलानाओं ने असम को अपने क्षेत्र का हिस्सा बताते हुए ऐसा नक्शा बनाया है, तो भारत के ‘पुरोहित, पंडित’ भी भारत में उनके चटगांव बंदरगाह को शामिल करते हुए नक्शा बना सकते हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘सरकार ऐसा (ऐसा नक्शा प्रकाशित करना) नहीं कर सकती, लेकिन लोग ऐसा कर सकते हैं।’’ शर्मा ने यह भी दावा किया कि यदि बांग्लादेश पश्चिम बंगाल के सिलीगुड़ी में ‘चिकन नेक’ गलियारे पर हमला करता है, तो भारत उसके दो संकरे भूभाग पर जवाबी हमला करेगा।
मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘उनके (बांग्लादेश के) पास दो ‘चिकन नेक’ हैं, भारत के पास एक है। अगर वे हमारे (चिकन नेक) पर हमला करते हैं, तो हम उनके दो चिकन नेक पर हमला करेंगे। मेघालय से चटगांव बंदरगाह के पास उनका ‘चिकन नेक' हमारे से बहुत छोटा है और इसे एक अंगूठी फेंककर भी बंद किया जा सकता है।’’
शर्मा ने बांग्लादेश के दूसरे संकरे भूभाग के बारे में कुछ जिक्र नहीं किया, जिसे उन्होंने पड़ोसी देश का ‘चिकन नेक’ बताया।
सिलीगुड़ी गलियारे के रूप में जाना जाने वाला ‘चिकन नेक’ एक संकरा भूभाग है जिसकी चौड़ाई महज 22 से 35 किलोमीटर तक है और यह पूर्वोत्तर क्षेत्र को शेष भारत से जोड़ता है।
भाषा संतोष