भारत एफएटीएफ की निगरानी सूची में पाकिस्तान को डालने को पुख्ता सबूत पेश करेगा: सूत्र
रमण प्रेम
- 23 May 2025, 03:09 PM
- Updated: 03:09 PM
नयी दिल्ली, 23 मई (भाषा) भारत वित्तीय कार्रवाई कार्यबल (एफएटीएफ) की अगली बैठक में पाकिस्तान को निगरानी सूची में फिर से रखे जाने के लिए ठोस सबूतों के साथ अपना पक्ष रखेगा। धनशोधन पर लगाम लगाने और आतंकवादियों को वित्त पोषण रोकने में पाकिस्तान की नाकामी के कारण भारत यह कदम उठाएगा। सरकारी सूत्रों ने शुक्रवार को यह जानकारी दी।
एफएटीएफ की पूर्ण बैठक साल में तीन बार...फरवरी, जून और अक्टूबर में होती है। पाकिस्तान को 2018 में एफएटीएफ की सूची में रखा गया था। बाद में उसने धनशोधन और आतंकवादियों के वित्तपोषण पर लगाम लगाने के लिए एक कार्ययोजना पेश की थी। इसके बाद 2022 में उसे एफएटीएफ की इस सूची से हटा दिया गया था।
एफएटीएफ एक स्वतंत्र अंतर-सरकारी निकाय है जो धनशोधन, आतंकवादियों को वित्तपोषण और सामूहिक विनाश के हथियारों के प्रसार के वित्तपोषण से निपटने के लिए वैश्विक मानक निर्धारित करता है।
यह पूछे जाने पर कि क्या भारत, पाकिस्तान को दोबारा निगरानी सूची में डालने के लिए वित्तीय कार्रवाई कार्य बल के समक्ष मामला रखेगा, सूत्र ने, "हम इस मामले को एफएटीएफ के समक्ष उठाएंगे।"
उल्लेखनीय है कि 22 अप्रैल को जम्मू कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ गया है। उस हमले में 26 लोग मारे गए थे।
माना जा रहा है कि पाकिस्तान अपने भू-भाग से संचालित होने वाली आतंकवादी गतिविधियों पर कार्रवाई करने में विफल रहा है और हथियार एवं गोला-बारूद खरीदने के लिए बहुपक्षीय एजेंसियों से मिले धन का दुरुपयोग कर रहा है।
सूत्र ने कहा, ‘‘इस बात के ठोस सबूत और आंकड़े हैं कि पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष और अन्य बहुपक्षीय संस्थानों से जो कर्ज मिलता है, उसका उपयोग हथियार खरीदने और आतंकवाद को बढ़ाना देने में किया जाता है। इसको ध्यान में रखते हुए एफएटीएफ की अगली बैठक में पाकिस्तान को एफएटीएफ की निगरानी सूची में रखने के लिए ठोस सबूत रखे जाएंगे।’’
इससे पहले, भारत ने अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष की प्रमुख क्रिस्टलिना जॉर्जीवा के समक्ष पाकिस्तान को वित्तीय सहायता दिये जाने का मुद्दा उठाया था। यही कारण है कि पाकिस्तान को कुछ शर्तों के साथ कर्ज को मंजूरी दी गयी है।
सूत्र ने यह भी कहा कि विश्व बैंक समेत अन्य बहुपक्षीय संस्थानों में अगर पाकिस्तान को कर्ज देने का प्रस्ताव आता है तो भारत उसका विरोध करेगा।
भाषा
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