खाद्य तेलों पर आयात शुल्क में कटौती से स्थानीय प्रसंस्करणकर्ताओं को संरक्षण मिलेगा: उद्योग निकाय
राजेश राजेश अनुराग
- 31 May 2025, 06:39 PM
- Updated: 06:39 PM
नयी दिल्ली, 31 मई (भाषा) खाद्य तेल उद्योग निकाय एसईए और आईवीपीए ने कच्चे तेलों पर मूल सीमा शुल्क को घटाकर 10 प्रतिशत करने के सरकार के फैसले की सराहना करते हुए कहा है कि इस कदम से तैयार उत्पादों के आयात को हतोत्साहित किया जाएगा और घरेलू तेल परिशोधक कंपनियों (रिफाइनरों) के हितों की रक्षा होगी।
शुक्रवार को सरकार ने कच्चे पाम तेल, कच्चे सोयाबीन तेल और कच्चे सूरजमुखी तेल पर मूल सीमा शुल्क को पहले के 20 प्रतिशत से घटाकर 10 प्रतिशत कर दिया।
इन तीनों उत्पादों पर प्रभावी आयात शुल्क (मूल सीमा शुल्क और अन्य शुल्क सहित) अब 16.5 प्रतिशत होगा, जबकि पहले यह 27.5 प्रतिशत था।
पिछले छह महीनों में रिफाइंड पामोलीन के आयात में तेज वृद्धि होने के बाद, दोनों उद्योग निकाय, सरकार से कच्चे खाद्य तेलों और रिफाइंड खाद्य तेलों के बीच शुल्क अंतर को बढ़ाने का आग्रह करते आ रहे हैं।
सरकार के इस निर्णय का स्वागत करते हुए सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एसईए) के अध्यक्ष संजीव अस्थाना ने कहा, ‘‘शुल्क अंतर को 8.25 प्रतिशत से बढ़ाकर 19.25 प्रतिशत करने का सरकार का निर्णय एक साहसिक और समय पर उठाया गया कदम है। यह रिफाइंड पाम तेल के आयात को हतोत्साहित करेगा और मांग को वापस कच्चे पाम तेल की ओर ले जाएगा, जिससे घरेलू रिफाइनिंग क्षेत्र को पुनर्जीवित किया जा सकेगा।’’
उन्होंने कहा कि इस कदम से खाद्य तेल आयात की कुल मात्रा पर कोई असर नहीं पड़ेगा और इससे खाद्य तेल की कीमतों पर कोई दबाव पड़ने की संभावना नहीं है।
अस्थाना ने कहा, ‘‘इसके विपरीत, कच्चे तेल पर शुल्क में कमी करने से घरेलू कीमतों को कम करने में मदद मिलेगी, जिससे उपभोक्ताओं को लाभ होगा।’’
भारत अपनी घरेलू खाद्यतेल आवश्यकता का 50 प्रतिशत से अधिक हिस्से का आयात करता है।
भारत ने तेल विपणन वर्ष 2023-24 (नवंबर से अक्टूबर) के दौरान 1.32 लाख करोड़ रुपये मूल्य के 159.6 लाख टन खाद्य तेलों का आयात किया।
रिफाइंड तेलों पर मूल सीमा शुल्क 32.5 प्रतिशत पर अपरिवर्तित बना हुआ है।
वर्तमान में, रिफाइंड तेलों पर प्रभावी शुल्क 35.75 प्रतिशत है।
भारतीय वनस्पति तेल उत्पादक संघ (आईवीपीए) के अध्यक्ष सुधाकर देसाई ने कहा, ‘‘हम कच्चे और रिफाइंड खाद्य तेल के बीच शुल्क अंतर को बढ़ाकर 19.25 प्रतिशत करने की आईवीपीए की सिफारिश को स्वीकार करने के लिए सरकार को धन्यवाद देते हैं।’’
देसाई ने कहा कि यह ‘मेक इन इंडिया’ को सुनिश्चित करने और इस क्षेत्र को रिफाइंड तेलों के प्रवाह से बचाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण साहसिक कदम है, जो देश की वनस्पति तेल क्षेत्र की क्षमता को नुकसान पहुंचाता है।
एसईए के कार्यकारी निदेशक बी वी मेहता ने कहा, ‘‘यह वनस्पति तेल रिफाइनर और उपभोक्ताओं दोनों के लिए लाभ की स्थिति है, क्योंकि कच्चे तेलों पर कम शुल्क के कारण स्थानीय कीमतें कम हो जाएंगी।’’
भारत मलेशिया और इंडोनेशिया से पाम तेल आयात करता है। सोयाबीन तेल ब्राजील और अर्जेंटीना से आता है।
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