पंजाब: बागी अकाली विधायक सुक्खी को अपना पक्ष रखने को कहा गया
शुभम नरेश
- 01 Jun 2025, 08:55 PM
- Updated: 08:55 PM
चंडीगढ़, एक जून (भाषा) पंजाब विधानसभा के अध्यक्ष कुलतार सिंह संधवां ने रविवार को अकाली दल के बागी विधायक सुखविंदर कुमार सुक्खी को अपना पक्ष रखने के लिए कहा है।
सुक्खी पिछले साल शिरोमणि अकाली दल (शिअद) छोड़कर आम आदमी पार्टी (आप) में शामिल हो गए थे। दलबदल की वजह से उन्हें विधानसभा से अयोग्य ठहराने की अर्जी विधानसभा अध्यक्ष को दी गई है।
बंगा विधानसभा सीट से दो बार अकाली दल के टिकट से निर्वाचित हुए सुक्खी को शनिवार को दोआब क्षेत्र के लिए ‘आप’ का प्रदेश उपाध्यक्ष नियुक्त किया गया था।
संधवां ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘डॉ. सुक्खी पंजाब विधानसभा के सम्माननीय सदस्य हैं। कानून के तहत उन्हें वे सभी अधिकार प्राप्त हैं जो अन्य सदस्यों को प्राप्त हैं। उन्हें अपना पक्ष रखने के लिए समय दिया गया है।’’
उन्होंने कहा कि सुक्खी को अपना पक्ष रखने के लिए जुलाई में बुलाया गया है।
पेशे से चिकित्सक सुक्खी पिछले साल अगस्त में पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान की मौजूदगी में आप में शामिल हुए थे।
अधिवक्ता एच सी अरोड़ा ने विधानसभा अध्यक्ष के समक्ष एक याचिका दायर की थी, जिसमें सुक्खी के अकाली दल से आप में शामिल होने के मद्देनजर उन्हें विधानसभा की सदस्यता से अयोग्य करार देने की मांग की गई है।
सुक्खी ने 2023 में जालंधर संसदीय उपचुनाव लड़ा, लेकिन असफल रहे थे।
इस बीच विधानसभा अध्यक्ष संधवां ने कहा कि पंजाब सरकार ने गुरु तेग बहादुर के 350वें शहीदी दिवस और श्री अमृतसर साहिब के 450वें स्थापना दिवस को अभूतपूर्व भव्यता और आधुनिक वैश्विक पहुंच के साथ मनाने का निर्णय लिया है।
अध्यक्ष ने इस बात पर जोर दिया कि गुरू साहिब की शहादत और आध्यात्मिक विरासत न केवल पंजाब के लिए आस्था का विषय है, बल्कि त्याग, साहस और मानवता का एक सार्वभौमिक संदेश है।
उन्होंने कहा, "यह हमारी विरासत है, गौरवशाली और बेजोड़ और इसे अगली पीढ़ियों तक ले जाना हमारी जिम्मेदारी है।"
उन्होंने कहा कि पंजाब सरकार आधुनिक तकनीक का उपयोग करके इन ऐतिहासिक अवसरों को मनाने के लिए प्रतिबद्ध है, ताकि गुरुओं की विरासत पंजाब और भारत से आगे बढ़कर दुनिया के हर कोने तक पहुंचे।
उन्होंने कहा, "धार्मिक संगठनों और नागरिकों से सुझाव आमंत्रित करने के लिए एक व्हाट्सएप नंबर, ई-मेल आईडी और आधिकारिक वेबसाइट पहले ही स्थापित की जा चुकी है और समाचार पत्रों में प्रकाशित की जा चुकी है। ये स्मरणोत्सव केवल प्रशासन की नहीं, बल्कि लोगों की इच्छा के अनुसार आयोजित किए जाएंगे।"
भाषा
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