आतंकवाद मानवता को कैसे कलंकित कर रहा है, पहलगाम हमला इसकी याद दिलाता है: आयोग
अमित अविनाश
- 02 Jun 2025, 08:10 PM
- Updated: 08:10 PM
नयी दिल्ली, दो जून (भाषा) राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने कहा है कि पहलगाम का बर्बर हमला इस बात की भयावह याद दिलाता है कि आतंकवाद किस तरह मानवता को कलंकित कर रहा है। आयोग ने कहा कि पिछले साल अप्रैल से इस साल मार्च तक देशभर में मानवाधिकारों से जुड़े 58,753 मामले दर्ज किए गए।
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने अपनी पत्रिका 'मानवाधिकार' के नवीनतम संस्करण में उन परिवारों के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त की, जिन्होंने 22 अप्रैल के हमले में "अपने प्रियजनों को खो दिया था जो उनके लिए अपूरणीय क्षति" थी। पहलगाम आतंकवादी हमले में 26 लोग मारे गए थे, जिनमें अधिकतर पर्यटक थे।
पत्रिका के मई संस्करण में एनएचआरसी महासचिव भरत लाल ने अपने प्रारंभिक लेख में उस नृशंस आतंकवादी हमले को याद किया है, जिसने पूरे देश को स्तब्ध कर दिया था तथा जिसकी कई देशों और विभिन्न राष्ट्राध्यक्षों ने निंदा की थी।
लाल ने लिखा है, ‘‘22 अप्रैल, 2025 को जम्मू कश्मीर के पहलगाम क्षेत्र में हुए जघन्य आतंकवादी हमले से दुनिया स्तब्ध रह गई, जहां 26 निर्दोष पर्यटकों को उनके धर्म के आधार पर पहचान करने के बाद बेरहमी से मार दिया गया।’’
इसमें कहा गया है, ‘‘यह बर्बर कृत्य इस बात की भयावह याद दिलाता है कि आतंकवाद किस तरह मानवता को कलंकित कर रहा है। हम उन परिवारों के प्रति गहरी संवेदना जताते हैं, जिन्होंने अपने प्रियजनों को खो दिया है जो उनके लिए अपूरणीय क्षति है।’’
लाल ने लिखा कि एनएचआरसी ने हमले की कड़ी निंदा की और निर्णायक कार्रवाई का आग्रह किया है। उन्होंने कहा कि आयोग ने जवाबदेही तय करने के साथ ही अपराधियों को जल्द न्याय के कटघरे में लाने और पीड़ित परिवारों के लिए व्यापक सहायता की मांग की है।
इस अंक में आतंकवादी हमले के बाद आयोग द्वारा जारी बयान भी शामिल है। 25 अप्रैल के बयान में कहा गया था, ‘‘आतंकवाद को सहायता, बढ़ावा, समर्थन देने वालों के खिलाफ कार्रवाई करने और इस खतरे के लिए उन्हें जवाबदेह ठहराने का समय आ गया है।’’
चालीस पन्नों की पत्रिका में मुर्शिदाबाद दंगों का भी उल्लेख है।
इसमें लिखा है, ‘‘इस घटना से कुछ दिन पहले, पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले में एक और बड़ी घटना हुई थी, जिसमें दंगे हुए थे, जान-माल का नुकसान हुआ था और लोगों को पास के मालदा जिले में पलायन करना पड़ा था। आयोग ने मामले की मौके पर जांच के लिए अपने वरिष्ठ पदाधिकारियों की एक टीम भेजी थी।’’
मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम के तहत 12 अक्टूबर, 1993 को गठित एनएचआरसी तीन दशकों से अधिक समय से मानवाधिकारों का संरक्षक है।
आयोग ने अपनेी पत्रिका में अप्रैल 2024 से मार्च 2025 तक उसके द्वारा दर्ज और निस्तारित किये गए मानवाधिकार मामलों की संख्या के बारे में भी आंकड़े साझा किए।
इसमें कहा गया है, ‘‘आयोग ने कुल 58,753 मामले दर्ज किए, जिनमें मीडिया खबरों के आधार पर स्वतः संज्ञान लेकर शुरू किए गए 99 मामले, न्यायिक हिरासत में मौतों के 1,987 मामले, पुलिस हिरासत में मौतों के 140 मामले और पुलिस मुठभेड़ में मौतों के 120 मामले शामिल हैं।"
इसमें कहा गया है कि पिछले वर्ष (अप्रैल 2024 से मार्च 2025 की अवधि के दौरान) कुल 55,821 मामलों का निस्तारण किया गया। इसमें कहा गया है कि 332 मामलों में पीड़ितों या उनके परिजनों को 13.45 करोड़ रुपये की मौद्रिक राहत की सिफारिश की गई।
एनएचआरसी ने कहा कि वर्ष के दौरान अपने कई प्रभावशाली कार्यों के बीच, इसने देश भर में गंभीर मानवाधिकार उल्लंघन के मामलों में कई "उल्लेखनीय हस्तक्षेप" किए।
इसमें कहा गया है, "इनमें पश्चिम बंगाल के संदेशखली में हिंसा और अधिकारों के हनन का समाधान करना और हरियाणा के मानेसर में एक बहुराष्ट्रीय कंपनी के गोदाम में श्रम-विरोधी प्रथाओं को उजागर करना शामिल है।"
एनएचआरसी ने कहा कि समय पर नोटिस और संबंधित अधिकारियों के साथ सक्रिय जुड़ाव के माध्यम से आयोग ने जवाबदेही और न्याय पर जोर दिया। पत्रिका में इस वर्ष अप्रैल में प्राप्त मामलों के बारे में भी विवरण दिया गया है। इसके अनुसार प्राप्त नयी शिकायतों की संख्या 4,829 है, जबकि पुराने मामलों सहित निपटाए गए मामलों की संख्या 3,207 है।
समाचार पत्र के अनुसार, एनएचआरसी के विचाराधीन मामलों की संख्या 12,325 है।
भाषा अमित