जम्मू-कश्मीर: बादल फटने से ‘चमत्कारिक’ ढंग से बचे लोगों ने सुनाई आपबीती
देवेंद्र दिलीप
- 15 Aug 2025, 04:55 PM
- Updated: 04:55 PM
(अनिल भट्ट)
चशोती (जम्मू-कश्मीर), 15 अगस्त (भाषा) जम्मू-कश्मीर में किश्तवाड़ जिले के एक सुदूर पहाड़ी गांव चशोती में बृहस्पतिवार को बादल फटने के हादसे में ‘चमत्कारिक’ ढंग से बची नौ वर्षीय देवांशी उन सैकड़ों तीर्थयात्रियों में शामिल थी, जो मचैल माता मंदिर की यात्रा के अंतिम चरण के लिए यहां एकत्र हुए थे। ‘मैगी-पॉइंट’ की दुकान में अचानक आई बाढ़ के कारण वह कीचड़ और मलबे में दब गई थी तथा कुछ घंटों बाद उसके चाचा और अन्य ग्रामीणों ने उसे बचा लिया।
अब भी सदमे में दिखाई दे रही देवांशी ने कहा, ‘‘मैं सांस नहीं ले पा रही थी। मेरे चाचा, बाउजी और बाकी लोगों ने घंटों बाद लकड़ी के तख्ते हटाए और हम सब बाहर निकले। माता ने हमें बचा लिया।’’
उनकी तरह, 32 वर्षीय स्नेहा को भी यकीन नहीं हो रहा कि वह जिंदा हैं। सामान वाहन में लादने के कुछ ही पल बाद, वह और उनके परिवार के चार सदस्य तेज बहाव में बह गए, कीचड़ में दब गए और एक गाड़ी के नीचे दब गए।
स्नेहा ने कहा, ‘‘मैं एक गाड़ी के नीचे कीचड़ में फंस गई थी, चारों ओर लाशें थीं—कुछ बच्चों की गर्दनें टूटी थीं। मैं अपने बचने की उम्मीद खो बैठी थी। किसी तरह, बाहर निकलने में सफल रही।’’
जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ जिले के एक सुदूर पहाड़ी गांव में बादल फटने से अचानक आई बाढ़ में कम से कम 60 लोगों की मौत हो गई।
यहां जीवित बचे प्रत्येक व्यक्ति के पास मौत के मुंह से बच निकलने की एक कहानी है।
देवांशी ने कहा, ‘‘हम मैगी की एक दुकान पर रुके। लोगों ने हमें भागने को कहा (बादल फटने की वजह से), लेकिन हम यहीं रुक गए, क्योंकि हमें लगा कि यहीं सुरक्षित है।’’
उन्होंने कहा कि कुछ ही मिनट के बाद दुकान पर मिट्टी का एक एक बड़ा ढेर गिर गया। उन्होंने बताया कि कैसे उसके परिवार वालों और गांव वालों ने उसे मलबे से बाहर निकाला। उन्होंने कहा, ‘‘माता ने हमें बचा लिया।’’
उसे परिवार के अन्य सदस्यों के साथ अस्पताल ले जाया गया, जहां उसे प्राथमिक उपचार दिया गया।
जम्मू की रहने वाली स्नेहा का कहना है कि एक गाड़ी के नीचे बहकर दब जाने के बाद उसे लगा था कि अब सब कुछ खत्म हो गया है। उन्होंने कहा, ‘‘जैसे ही हम अपनी गाड़ियों के पास पहुंचे, हमें एक जोरदार धमाका सुनाई दिया और पहाड़ी के ऊपर बादल फटता हुआ दिखाई दिया।’’
उन्होंने कहा कि कुछ ही देर में, मिट्टी, पत्थरों और पेड़ों का ढेर उन्हें चिनाब नदी की ओर बहा ले गया और वे फंस गये।
उन्होंने कहा, ‘‘मेरे पिता ने पहले खुद को किसी तरह बाहर निकाला, फिर मेरी मदद की। मैंने अपनी मां को बिजली के खंभे के नीचे से निकाला। वह मुश्किल से होश में थीं और बुरी तरह घायल थीं।’’
स्नेहा ने बताया कि कुछ गांव वाले चिनाब नदी में बह गए। उन्होंने कहा, ‘‘हर जगह लाशें पड़ी थीं। पूरी पहाड़ी ढह गई थी।’’
स्नेहा ने कहा कि अधिकारियों, पुलिस, सेना, सीआरपीएफ और स्थानीय लोगों की त्वरित कार्रवाई से अनगिनत लोगों की जान बच गई। उन्होंने कहा, ‘‘एक घंटे के अंदर ही घायलों को अस्पताल ले जाने के लिए गाड़ी आ गई। अगर वे देर से पहुंचते तो और भी कई लोगों की मौत हो जाती।’’
उधमपुर के सुधीर 12 लोगों के एक समूह के साथ थे।
सुधीर ने कहा, ‘‘धमाके की आवाज के बाद पूरा इलाका कोहरे और धूल से भर गया। मेरे समूह के ज्यादातर सदस्य कीचड़ में फंस गए थे। मेरी पत्नी और बेटी दूसरे लोगों के नीचे दब गईं। पुल निर्माण स्थल पर, मैंने कई लोगों को चिनाब नदी में बहते देखा।’’
अस्पताल में इलाज करा रही नानक नगर की सुनीता देवी ने कहा, ‘‘मैं दौड़ रही थी तभी मैं गिर पड़ी और कुछ औरतें मेरे ऊपर गिर गईं। बिजली के एक खंभे से मैं टकरा गई और मुझे जोर का झटका लगा। मैं पूरे समय अपने बेटे को ढूंढ़ती रही। हम सब बच गए... माता रानी ने हमें बचा लिया।’’
जम्मू की उमा बहने से बचने के लिए एक गाड़ी के टायर से चिपकी रही। उन्होंने कहा, ‘‘एक पुलिसवाले ने मुझे बचा लिया। लेकिन मेरी बहन गहना रैना अभी भी लापता है।’’
पंद्रह सदस्यीय समूह में शामिल वैशाली शर्मा ने बताया कि जब उन्हें बादल फटने की खबर मिली, तो वे लोग शरण लेने के लिए एक दुकान में भाग गए।
उन्होंने कहा, ‘‘अपराह्न लगभग 12:15 बजे हम पुल के पास पहुंचे। हमें भागने को कहा गया और हमने एक दुकान में शरण ली, लेकिन वह कीचड़ और पत्थरों के नीचे धंस गई। मैं चट्टानों के बीच फंस गई थी। मुझे नहीं पता कि मेरे माता-पिता कहां हैं। सेना का शुक्र है कि मुझे और पांच अन्य लोगों को बचा लिया गया।’’
सेना, पुलिस, सीआरपीएफ और ग्रामीणों समेत बचावकर्मी देर रात तक जीवित बचे लोगों को निकालने और शवों को निकालने में लगे रहे।
अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक प्रदीप सिंह ने बताया कि सभी बचाव दल अभियान में लगे हुए हैं।
भाषा
देवेंद्र