केंद्रीय मंत्री चौहान ने कृषि क्षेत्र में योगदान के लिए पंजाब के किसानों की सराहना की
राजेश राजेश रमण
- 05 Jun 2025, 08:53 PM
- Updated: 08:53 PM
चंडीगढ़, पांच जून (भाषा) केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बृहस्पतिवार को पटियाला के एक खेत में ट्रैक्टर चलाया और कहा कि अगर कोई मंत्री खेती के लिए वाहन नहीं चला सकता, तो वह किसानों के संघर्ष को सही मायने में नहीं समझ सकता।
एक दिन के दौरे पर पंजाब आये चौहान ने हरित क्रांति का जिक्र करते हुए खाद्यान्न उत्पादन में राज्य के किसानों के योगदान को भी याद किया और कहा कि वह उपजाऊ भूमि, राज्य के उत्पादकों और उनके जोश और जुनून को नमन करते हैं।
उन्होंने किसानों को आश्वासन दिया कि उनके साथ चर्चा के बाद उनकी समस्याओं को हल करके कृषि क्षेत्र को आगे बढ़ाया जाएगा।
मंत्री का पंजाब दौरा ऐसे समय में हुआ है जब किसान संगठन - संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य की कानूनी गारंटी की मांग कर रहे हैं।
पिछले महीने, केंद्र ने एसकेएम (गैर-राजनीतिक) और केएमएम के साथ उनकी मांगों पर चर्चा करने के लिए प्रस्तावित चार मई की बैठक को टाल दिया था, क्योंकि उन्होंने वार्ता में राज्य सरकार के प्रतिनिधियों की भागीदारी का विरोध किया था।
पटियाला के रौनी में कृषि विज्ञान केंद्र में 'विकसित कृषि संकल्प अभियान' के बारे में चौहान ने कहा कि इसका उद्देश्य वैज्ञानिक ज्ञान को ‘प्रयोगशाला से भूमि तक’ पहुंचाकर कृषि अनुसंधान और कृषक समुदाय के बीच की खाई को पाटना है।
उन्होंने कहा, ‘‘इस पहल के तहत, कृषि वैज्ञानिक स्थानीय परिस्थितियों के बारे में पहले से जानकारी रखने वाले गांवों का दौरा करते हैं और किसानों से बातचीत करते हैं, मिट्टी के पोषक तत्वों, जलवायु और उपयुक्त फसल किस्मों के आधार पर उत्पादकता में सुधार के लिए उपयुक्त मार्गदर्शन प्रदान करते हैं।’’
किसानों को कीट नियंत्रण और कृषि रसायनों के उचित उपयोग के बारे में भी शिक्षित किया जाता है।
मंत्री ने कहा कि इन बातचीत के दौरान एकत्र की गई जानकारी का उपयोग अनुसंधान को उस दिशा में ले जाने के लिए किया जा रहा है जो इस क्षेत्र की वास्तविक जरूरतों को पूरा करती है।
उन्होंने कहा कि इस अभियान के दौरान एकत्र किए गए जमीनी स्तर के आंकड़ों के आधार पर भविष्य की कृषि नीतियां तैयार की जाएंगी।
चौहान ने भारतीय कृषि के लिए छह प्रमुख उद्देश्यों को रेखांकित किया - उत्पादकता बढ़ाना, उत्पादन लागत कम करना, उचित मूल्य सुनिश्चित करना, फसल के नुकसान की भरपाई करना, विविधीकरण को प्रोत्साहित करना और भविष्य की पीढ़ियों के लिए प्राकृतिक संसाधनों को संरक्षित करना।
बाद में पटियाला के अमरगढ़ में एक सभा को संबोधित करते हुए, उन्होंने कहा कि कृषि देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है। अभी भी 50 प्रतिशत आबादी कृषि क्षेत्र पर निर्भर है।
चौहान ने कहा, ‘‘हम चाहते हैं कि देश दुनिया की खाद्य टोकरी बने और यह असंभव नहीं है।’’
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