शाह ने कई बार कहा, परिसीमन मुद्दे पर दक्षिणी राज्यों की चिंताओं का ध्यान रखा जाएगा: गृह मंत्रालय
पारुल माधव
- 05 Jun 2025, 09:26 PM
- Updated: 09:26 PM
नयी दिल्ली, पांच जून (भाषा) केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कई मौकों पर स्पष्ट किया है कि परिसीमन की प्रक्रिया को लेकर दक्षिणी राज्यों की चिंताओं का ध्यान रखा जाएगा और सभी संबंधित पक्षों से उचित समय पर इस पर चर्चा की जाएगी। गृह मंत्रालय के प्रवक्ता ने बृहस्पतिवार को यह बात कही।
मंत्रालय का यह बयान तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के जनगणना से जुड़े परिसीमन अभ्यास पर चिंता जताने के एक दिन बाद आया है।
प्रवक्ता ने कहा, “माननीय गृह मंत्री ने कई मौकों पर स्पष्ट किया है कि परिसीमन की प्रक्रिया को लेकर दक्षिणी राज्यों की चिंताओं का ध्यान रखा जाएगा और सभी संबंधित पक्षों से उचित समय पर इस पर चर्चा की जाएगी।”
जनगणना 2021 में होनी थी और प्रक्रिया से जुड़ी सभी तैयारियां पूरी कर ली गई थीं, लेकिन कोविड-19 महामारी के प्रकोप के कारण इसे स्थगित कर दिया गया।
प्रवक्ता ने कहा कि कोविड-19 महामारी का असर काफी समय तक जारी रहा और इससे शिक्षा सहित सभी क्षेत्रों में व्यवधान पैदा हुआ।
जनगणना के लिए लगभग 30 लाख गणनाकारों की जरूरत है। प्राथमिक विद्यालयों के शिक्षक इस अभ्यास के लिए प्रमुख गणनाकार होते हैं।
प्रवक्ता ने कहा कि कोविड-19 महामारी के बाद जनगणना कराने से “प्राथमिक शिक्षा में भारी व्यवधान उत्पन्न हो सकता था।”
उन्होंने कहा, “जिन देशों ने कोविड-19 के तुरंत बाद जनगणना कराई, उन्हें जनगणना के आंकड़ों की गुणवत्ता और इसके दायरे को लेकर समस्याओं का सामना करना पड़ा।”
प्रवक्ता के मुताबिक, सरकार ने जनगणना की प्रक्रिया तत्काल शुरू करने का फैसला किया है और यह अभ्यास (जनगणना की) संदर्भ तिथि एक मार्च 2027 को पूरी हो जाएगी।
प्रवक्ता ने यह भी कहा कि जनगणना के लिए बजट कभी भी बाधा नहीं रहा है, क्योंकि सरकार हमेशा धन का आवंटन सुनिश्चित करती है।
भारत में जातिगत गणना के साथ 16वीं जनगणना 2027 में होगी, जिसमें लद्दाख जैसे बर्फीले क्षेत्रों के लिए संदर्भ तिथि एक अक्टूबर, 2026 होगी, जबकि बाकी देश में इस प्रक्रिया की संदर्भ तिथि एक मार्च 2027 होगी।
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने बुधवार को घोषणा की कि जातिगत गणना के साथ-साथ जनगणना-2027 को दो चरणों में आयोजित करने का फैसला लिया गया है।
तमिलनाडु के मुख्यमंत्री स्टालिन ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया कि भारतीय संविधान में यह प्रावधान है कि 2026 के बाद पहली जनगणना के उपरांत परिसीमन किया जाना चाहिए और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने अब जनगणना को 2027 तक “टाल” दिया है, जिससे तमिलनाडु के संसदीय प्रतिनिधित्व को “कम करने की उनकी योजना स्पष्ट हो गई है।”
स्टालिन ने लिखा, “मैंने इस बारे में आगाह किया था। अब यह सामने आ रहा है। भाजपा का साथ देकर पलानीस्वामी न केवल चुप हैं, बल्कि इस विश्वासघात में भागीदार भी हैं। अब यह स्पष्ट है कि उन्होंने दिल्ली के दबाव में आकर आत्मसमर्पण कर दिया है।”
मुख्यमंत्री ने कहा, “तमिलनाडु के लोग निष्पक्ष परिसीमन की मांग को लेकर एकजुट हैं। हमें केंद्र सरकार से स्पष्ट जवाब चाहिए।”
भाषा पारुल