पाकिस्तान में समुचित कानून के बावजूद ट्रांसजेंडर समुदाय को लगातार भेदभाव का सामना करना पड़ रहा
संतोष सुरेश
- 12 Jun 2025, 04:04 PM
- Updated: 04:04 PM
कराची, 12 जून (भाषा) पाकिस्तान में लगभग 10 लाख की आबादी वाले ट्रांसजेंडर समुदाय को लगातार संघर्ष का सामना करना पड़ रहा है और यहां तक कि देश में बुनियादी किफायती, स्वच्छ और सुरक्षित आवास हासिल करने के लिए भी वे जूझ रहे हैं। समाजिक कार्यकर्ताओं और ट्रांसजेंडर समुदाय के प्रतिनिधियों ने यह बात कही।
उन्होंने कहा कि पाकिस्तान में वर्ष 2018 में समान अधिकारों की गारंटी देने वाला कानून बनाए जाने के बावजूद यह स्थिति है।
पाकिस्तान की जनगणना में आधिकारिक तौर पर ट्रांसजेंडर लोगों को मान्यता दिए जाने के सात साल बाद और ट्रांसजेंडर व्यक्ति (अधिकारों का संरक्षण) अधिनियम, 2018 के लागू होने के छह साल बाद, समुदाय के सामने सबसे बड़ी समस्या साफ-सुथरे आवास की कमी है।
सामाजिक कार्यकर्ताओं ने कहा कि ऐसी सुविधाओं के अभाव में लैंगिक रूप से अल्पसंख्यक वर्ग के सदस्य अपनी निजता की सुरक्षा को लेकर जूझ रहे हैं और उन्हें हेपेटाइटिस, एड्स और तपेदिक सहित अन्य स्वास्थ्य संबंधी खतरों का सामना करना पड़ता है।
स्वच्छ, सुरक्षित और किफायती आवास पाने की चुनौती इतनी गंभीर है कि इसने कराची में ट्रांसजेंडर समुदाय के अधिकांश लोगों को साझा सामुदायिक घरों में रहने के लिए मजबूर कर दिया है।
आसिया महमूदाबाद में चार अन्य दोस्तों के साथ रहती हैं। आसिया ने कहा कि उनका घर महंगा और जर्जर है, इसलिए वह अन्य लोगों के साथ मिलकर रहती हैं। ट्रांसजेंडर आसिया ने कहा, ‘‘हम सब मिलकर 20,000 रुपये मासिक किराया देते हैं, जो आम तौर पर 10,000 रुपये में मिल जाता है, लेकिन कम से कम हम साथ रहते हैं।’’
इस समुदाय के सदस्यों को केवल अधिक किराये की मार का ही सामना नहीं करना पड़ता है। कराची के महमूदाबाद झुग्गी क्षेत्र में ट्रांसजेंडर समुदाय की नेता सुंदरी बेगम ने कहा कि जब वे रहने के लिए किराये पर आवास लेना चाहती हैं, तो उन्हें आमतौर पर मकान मालिकों और संपत्ति से जुड़े एजेंट की ओर से भेदभाव और यहां तक कि इनकार का सामना करना पड़ता है।
आसिया की एक दोस्त हुस्ना ने बताया कि कुछ महीने पहले उसने अपनी दोस्त के साथ अख्तर कॉलोनी झुग्गी बस्ती में दो कमरों का एक छोटा सा घर किराये पर लिया था। हुस्ना ने कहा, ‘‘मकान मालिक ने हमसे ज्यादा किराया लिया, लेकिन जैसे ही हम वहां रहने लगे, हमें परेशान किया जाने लगा, हमारा मजाक उड़ाया गया और कुछ निवासियों ने हम पर घर छोड़ने का नैतिक दबाव डाला।’’ उन्होंने कहा कि एक बार उनके साथ हिंसा की गई, जिसके बाद वे सब वहां से चले गए।
कानूनी सहायता देने वाली वकील और मानवाधिकार कार्यकर्ता जिया अवान ने कहा कि ट्रांसजेंडर व्यक्ति (अधिकारों का संरक्षण) अधिनियम, 2018 हर क्षेत्र में ट्रांसजेंडर लोगों को समान अधिकार देता है, चाहे वह शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार या आवास हो। जिया ने कहा कि इस कानून के बारे में लोगों या पुलिस के बीच उचित समझ की कमी और इसके खराब क्रियान्वयन के कारण वास्तविकता बहुत अलग है।
जिया ने कहा कि एक और समस्या यह है कि अधिकांश ट्रांसजेंडर व्यक्ति शिक्षित नहीं हैं और बहुत गरीब पृष्ठभूमि से आते हैं तथा अपने कानूनी अधिकारों से अनजान होते हैं।
कराची के गुलबर्ग क्षेत्र में प्रॉपर्टी का कारोबार करने वाले जाहिद अहमद ने कहा कि वह और उनके जैसे अन्य लोग अक्सर दस्तावेजीकरण के लिए अपने राष्ट्रीय पहचान पत्र का इस्तेमाल करते हैं, क्योंकि ट्रांसजेंडर नागरिकों के पास अक्सर करार पर हस्ताक्षर करने के लिए पहचान पत्र नहीं होते हैं।
कम कमाई वाले लोगों के क्षेत्र में अपने साथी के साथ रहने वाली रानी ने अपना भयावह अनुभव साझा किया। रानी ने कहा, ‘‘आज भी जब हम बाहर होते हैं तो कुछ लोग हमारा मजाक उड़ाते हैं, हमें यौन संबंधी ‘वस्तु’ के रूप में देखते हैं और भद्दी टिप्पणियां करते हैं।’’
भाषा संतोष