पटोले ने मतदान फुटेज नष्ट करने के निर्वाचन आयोग के आदेश की आलोचना की, केंद्र के साथ मिलीभगत का आरोप
प्रशांत अविनाश
- 20 Jun 2025, 08:59 PM
- Updated: 08:59 PM
नागपुर, 20 जून (भाषा) कांग्रेस नेता नाना पटोले ने शुक्रवार को चुनाव प्रक्रिया की सीसीटीवी, वेबकास्टिंग और वीडियो फुटेज को 45 दिनों के बाद नष्ट करने के निर्वाचन आयोग के निर्देश की आलोचना की और उस पर केंद्र सरकार के साथ “साठगांठ” करने का आरोप लगाया।
निर्वाचन आयोग ने “दुर्भावनापूर्ण विमर्श” बनाने के लिए उसके इलेक्ट्रॉनिक आंकड़ों के इस्तेमाल की आशंका के चलते, 30 मई को एक पत्र में राज्य निर्वाचन अधिकारियों को निर्देश दिया कि यदि फैसले को उससे पहले अदालत में चुनौती नहीं दी जाती है तो वे 45 दिनों के बाद ऐसे फुटेज को नष्ट कर दें।
महाराष्ट्र विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष पटोले ने यहां एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि हरियाणा में चुनाव के बाद कुछ लोगों ने पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था और अदालत ने आयोग को चुनाव प्रक्रिया की सीसीटीवी फुटेज उपलब्ध कराने का निर्देश दिया था।
उन्होंने आरोप लगाया कि इसके बाद निर्वाचन आयोग ने केंद्रीय कानून मंत्रालय को पत्र लिखकर चुनाव संचालन नियम की धारा 93 में संशोधन करने को कहा।
कांग्रेस नेता ने कहा कि केंद्र सरकार ने “दिन-रात काम किया” और नियमों में संशोधन किया।
पटोले ने दावा किया, “इससे पता चलता है कि केंद्र सरकार और निर्वाचन आयोग की मिलीभगत है।” उन्होंने पूछा कि निर्वाचन आयोग को जानकारी छिपाने की आवश्यकता क्यों पड़ी और सरकार क्यों नहीं चाहती कि लोगों को पता चले कि कितने मतदाता मतदान केन्द्र पर गए।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है और निर्वाचन आयोग के इस आदेश को चुनौती दी है।
अहमदाबाद में 12 जून को एअर इंडिया विमान के दुर्घटनाग्रस्त होने और अप्रैल के पहलगाम आतंकवादी हमले का जिक्र करते हुए उन्होंने पूछा कि प्रधानमंत्री और गृह मंत्री ने इन घटनाओं की जिम्मेदारी क्यों नहीं ली और इस्तीफा क्यों नहीं दिया?
उन्होंने कहा कि मुंबई में 26/11 के आतंकवादी हमले के बाद कांग्रेस ने जिम्मेदारी ली थी और महाराष्ट्र के तत्कालीन मुख्यमंत्री विलासराव देशमुख से इस्तीफा देने को कहा था।
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