बेंगलुरु भगदड़: कर्नाटक सरकार ने भीड़ प्रबंधन के लिए एसओपी जारी की
अमित दिलीप
- 01 Jul 2025, 10:36 PM
- Updated: 10:36 PM
बेंगलुरु, एक जुलाई (भाषा) कर्नाटक सरकार ने कार्यक्रमों और जनसमूह एकत्र होने वाले समारोह में भीड़ प्रबंधन के लिए जारी अपनी मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) में ‘सिमुलेशन’ और जोखिम मूल्यांकन, स्थल सुरक्षा ऑडिट, कार्यक्रम आयोजकों के साथ समन्वय, भीड़ प्रबंधन योजना का जमीनी स्तर पर क्रियान्वयन और पहुंच नियंत्रण जैसे उपायों को अनिवार्य किया है।
किसी प्रक्रिया के अनुकरणात्मक रूप से प्रस्तुत करने को ‘सिमुलेशन’ कहा जाता है।
पुलिस अधिकारियों और कार्यक्रम आयोजकों के लिए दिशा-निर्देश के तौर पर 26 जून को जारी इस एसओपी को मंगलवार को मीडिया के सामने जारी किया गया।
चार जून को एम. चिन्नास्वामी स्टेडियम के सामने भगदड़ की दुखद घटना के बाद इस एसओपी को जारी किया गया। उक्त घटना में 11 लोगों की मौत हो गई थी। उक्त घटना के बाद योजना और भीड़ प्रबंधन की तीखी आलोचना हुई थी।
एसओपी में सामान्य सिद्धांत शामिल हैं, जिसके अनुसार पुलिस की प्रतिक्रिया में जीवन की सुरक्षा, अधिकारों की सुरक्षा, संपत्ति की क्षति की रोकथाम और संभावित संघर्षों को कम करने को प्राथमिकता दी जानी चाहिए।
इसमें कहा गया है, ‘‘आधुनिक सभाएं प्रायः स्वतःस्फूर्त होती हैं और सोशल मीडिया से प्रभावित होती हैं, जिसके लिए अनुकूल रणनीतियों की आवश्यकता होती है। साथ ही शुरुआती योजना, हितधारकों के साथ समन्वय और न्यूनतम बल प्रयोग आवश्यक मार्गदर्शक सिद्धांत हैं।’’
इसमें पूर्व-कार्यक्रम योजना और तैयारियों के लिए भी दिशानिर्देश दिए गए हैं, जिनमें ‘सिमुलेशन’ और जोखिम आकलन, भीड़ की आवाजाही के लिए व्यावहारिक और स्थानिक विश्लेषण ‘सिमुलेशन’ आयोजित करना, उपलब्ध उपकरणों का उपयोग करके बाधाओं और संभावित उच्च जोखिम वाले क्षेत्रों की पहचान करना शामिल है।
इसके अनुसार, अन्य उपाय जो किए जाने चाहिए, वे हैं - यह सुनिश्चित करना कि आयोजन स्थल पर सुरक्षा मानकों का अनुपालन हो, जिसमें क्षमता सीमा, प्रवेश/निकास मार्ग, आपातकालीन निकासी योजना और संचार अवसंरचना शामिल है, तथा यदि आयोजन स्थल सुरक्षा ऑडिट में विफल हो जाते हैं, तो उन्हें अधिक भीड़ वाले आयोजनों के लिए अनुमोदित नहीं किया जाना चाहिए।
एसओपी के अनुसार, पुलिस अधिकारियों को आयोजकों के साथ संपर्क करके कार्यक्रम की प्रकृति, तिथि और समय, अपेक्षित भीड़ और किसी भी तरह के विरोध-प्रदर्शन, सभा की योजना जैसी महत्वपूर्ण जानकारी जुटानी चाहिए।
इसके अनुसार पुलिस अधिकारियों को परमिट की स्थिति के बारे में भी जानकारी जुटानी होगी और संबद्ध विभागों (अग्निशमन, स्वास्थ्य) के साथ समन्वय करना होगा और यह जांच करनी होगी कि क्या विरोध-प्रदर्शन और प्रदर्शनों की आशंका है, कार्यक्रम के संबंध में आस-पास के महत्वपूर्ण प्रतिष्ठानों को क्या कोई खतरा है।
इसमें कहा गया है कि इसी तरह के आयोजनों में पूर्व के व्यवहार, आपातकालीन सेवाओं की उपलब्धता और आपसी सहायता पर गौर करने की जरूरत है।
इसमें कहा गया है कि एक भीड़ प्रबंधन योजना विकसित करने की जरूरत है, जिसमें पुलिस और सुरक्षा कर्मचारियों के लिए स्पष्ट रूप से तय भूमिकाएं निर्धारित हों।
इसमें कहा गया है कि योजना में तैनात सभी एजेंसियों के बीच समन्वय रणनीति तथा प्रवेश को सुव्यवस्थित करने के लिए डिजिटल टिकटिंग और आरक्षित सीट व्यवस्था का उपयोग भी शामिल होना चाहिए।
भाषा अमित