तेलंगाना और आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री जल मुद्दों पर आयोजित केंद्र की बैठक में शामिल होंगे
योगेश वैभव
- 15 Jul 2025, 12:48 PM
- Updated: 12:48 PM
हैदराबाद, 15 जुलाई (भाषा) तेलंगाना के मुख्यमंत्री ए रेवंत रेड्डी और आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू 16 जुलाई को केंद्र द्वारा जल संबंधी मुद्दों पर आयोजित बैठक में भाग लेंगे। तेलंगाना सरकार के सूत्रों ने मंगलवार को यह जानकारी दी।
यह बैठक केंद्रीय जल शक्ति मंत्री सी. आर. पाटिल की पहल पर आयोजित की जा रही है।
सूत्रों ने बताया कि बैठक में तेलंगाना सरकार अपनी लंबे समय से लंबित परियोजनाओं को मंजूरी और धन देने के लिए केंद्र पर दबाव बनाएगी।
यह पूछे जाने पर कि क्या बैठक में आंध्र प्रदेश सरकार द्वारा प्रस्तावित पोलावरम (गोदावरी)-बनकचरला नदी लिंक परियोजना पर चर्चा की जाएगी, सूत्रों ने कहा कि तेलंगाना पक्ष पहले अपनी लंबित परियोजनाओं को मंजूरी देने पर जोर देगा।
तेलंगाना सरकार ने पहले आंध्र की बनकचरला नदी लिंक परियोजना पर केंद्र को अपनी आपत्ति जताते हुए कहा था कि इससे तेलंगाना के हितों को नुकसान होगाा।
तेलंगाना सरकार ने सोमवार को कृष्णा और गोदावरी नदी के जल में अपने उचित हिस्से की सुरक्षा के लिए प्रयास तेज करने और केंद्र पर दबाव बनाने का निर्णय लिया।
राज्य सरकार की ओर से सोमवार को जारी एक विज्ञप्ति में कहा गया कि मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी ने अधिकारियों को गोदावरी नदी के पानी में राज्य के हितों की रक्षा के लिए कदम उठाने और वर्षों की उपेक्षा का स्थायी समाधान खोजने का निर्देश दिया।
राज्य सरकार ने पिछली भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) सरकार पर 10 वर्षों तक सत्ता में रहने के बावजूद कृष्णा नदी जल में राज्य का हिस्सा सुरक्षित करने में विफल रहने का आरोप लगाया।
विज्ञप्ति में कहा गया है कि बीआरएस सरकार ने तेलंगाना को उसके हिस्से के रूप में 299 टीएमसी (हजार मिलियन क्यूबिक फीट) पानी मिलने पर सहमति जताई थी, जबकि पड़ोसी आंध्र प्रदेश को 512 टीएमसी पानी मिला।
विज्ञप्ति में आरोप लगाया गया कि बीआरएस सरकार चुप रही, जबकि आंध्र प्रदेश ने कृष्णा नदी का पानी मोड़ दिया और अवैध परियोजनाएं बनाईं।
नायडू ने पहले कहा था कि पोलावरम (गोदावरी)-बनकचरला परियोजना का उद्देश्य गोदावरी नदी के अतिरिक्त जल को आंध्र के सूखा प्रभावित क्षेत्रों तक ले जाना है।
उन्होंने इस बात पर जोर दिया था कि तेलंगाना को चिंता करने की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि केवल गोदावरी नदी के अतिरिक्त पानी का ही उपयोग किया जाएगा, जो अन्यथा समुद्र में बह जाएगा।
भाषा योगेश