असम:वन क्षेत्र से हटाए गए लोगों और सुरक्षा बलों के बीच झड़प में एक की मौत
पारुल माधव
- 17 Jul 2025, 10:00 PM
- Updated: 10:00 PM
ग्वालपाड़ा/गुवाहाटी, 17 जुलाई (भाषा) असम के ग्वालपाड़ा जिले के पैकन आरक्षित वनक्षेत्र में अतिक्रमण रोधी अभियान के दौरान हटाए गए लोगों और सुरक्षाकर्मियों के बीच बृहस्पतिवार को हुई झड़प में एक कथित अतिक्रमणकारी की मौत हो गई और पुलिसकर्मियों सहित कम से कम 20 लोग घायल हो गए। एक अधिकारी ने यह जानकारी दी।
मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा ने घटना के लिए कांग्रेस नेता राहुल गांधी को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने आरोप लगाया कि बुधवार को असम के दौरे पर आए राहुल ने अपने शब्दों से लोगों को पुलिस और वन कर्मियों पर हमला करने के लिए उकसाया।
ग्वालपाड़ा के जिला आयुक्त (डीसी) प्रदीप तिमुंग ने आरोप लगाया कि अतिक्रमणकारियों ने उन वन रक्षकों और पुलिसकर्मियों पर लाठी, पत्थरों और ईंटों से हमला किया, जो पैकन आरक्षित वनक्षेत्र में शनिवार को अतिक्रमण रोधी अभियान के बाद एक हिस्से की घेराबंदी करने गए थे।
उन्होंने कहा कि जवाबी कार्रवाई में पुलिस को स्थिति पर नियंत्रण पाने के लिए गोली चलानी पड़ी, जिसमें एक व्यक्ति की मौत हो गई और दो अन्य घायल हो गए।
तिमुंग ने बताया कि पथराव की घटना में कई पुलिसकर्मी और वनकर्मी घायल हो गए।
ग्वालपाड़ा के कृष्णाई रेंज के पैकन आरक्षित वनक्षेत्र में लगभग 135 हेक्टेयर भूमि पर अतिक्रमण रोधी अभियान से 1,080 परिवार प्रभावित हुए हैं और बेदखल किए गए लोगों में ज्यादातर बांग्ला भाषी मुसलमान शामिल हैं।
तिमुंग ने कहा, ‘‘भविष्य में अतिक्रमण न हो, यह सुनिश्चित करने के लिए वन विभाग एक नहर खोदना चाहता था। कल यह काम शांतिपूर्ण ढंग से किया गया, लेकिन आज सुबह जब टीम पहुंची, तो इलाके के लोगों ने उन पर पत्थरों और लाठियों से हमला कर दिया।’’
एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि अतिरिक्त बल तैनात किए गए हैं और हिंसा में शामिल होने के संदेह में कुछ लोगों को पूछताछ के लिए हिरासत में लिया गया है।
वन विभाग के एक अधिकारी ने कहा कि आरक्षित वन को सुरक्षित करने का काम जारी रहेगा और किसी भी तरह का अतिक्रमण नहीं होने दिया जाएगा।
मुख्यमंत्री शर्मा ने कहा कि सुरक्षाकर्मियों पर हमले में शामिल लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया जाएगा।
उन्होंने एक कार्यक्रम से इतर संवाददाताओं से कहा, "अगर कोई पुलिस पर हमला करता है, तो उसे कानूनी कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा।"
शर्मा ने कहा कि वहां अतिक्रमण हटाने का काम पहले ही पूरा हो चुका है और प्रशासन अब वन क्षेत्र को पुराने स्वरूप में लौटाने के लिए वृक्षारोपण शुरू करेगा।
बाद में उन्होंने 'एक्स' पर एक पोस्ट में दावा किया कि राहुल गांधी की "गैर-जिम्मेदाराना बयानबाजी" ने राज्य में जीवन और शांति को खतरे में डाल दिया है।
लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष के बुधवार के असम दौरे की तरफ इशारा करते हुए शर्मा ने कहा, ‘‘राहुल गांधी असम आए और उन्होंने अतिक्रमणकारियों को वन भूमि पर कब्जा करने के लिए खुलेआम उकसाया।’’
राहुल और कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने गुवाहाटी में पार्टी की प्रदेश इकाई के शीर्ष पदाधिकारियों के साथ बंद कमरे में चर्चा की थी।
राहुल ने ग्वालपाड़ा से लगभग 40 किलोमीटर दूर चायगांव में कार्यकर्ताओं की बैठक को संबोधित किया था। उन्होंने आरोप लगाया था कि असम की तरह ही, पूरे देश में लोगों से जमीन छीनकर कुछ उद्योगपतियों को दी जा रही है।
शर्मा ने कहा कि "उनके बेतुके शब्दों से उत्साहित होकर" भीड़ ने पैकन आरक्षित वनक्षेत्र पर अतिक्रमण करने की कोशिश करते हुए पुलिस और वन कर्मियों पर हमला किया।
उन्होंने कहा कि हमले से कम से कम 21 पुलिस अधिकारी और वन रक्षक गंभीर रूप से घायल हो गए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि कोई विकल्प न होने पर पुलिस को व्यवस्था बहाल करने के लिए गोली चलानी पड़ी, जिसमें एक अतिक्रमणकारी की मौत हो गई।
उन्होंने कहा, "राहुल गांधी के एक दिवसीय असम दौरे की यह विनाशकारी विरासत है। उनकी गैर-जिम्मेदाराना बयानबाजी ने सीधे तौर पर लोगों की जान जोखिम में डाल दी और हमारे राज्य में शांति भंग कर दी। असम के लोग इस विश्वासघात को न तो भूलेंगे और न ही माफ करेंगे।"
जिला उपायुक्त तिमुंग ने कहा कि यह स्पष्ट नहीं है कि अतिक्रमण रोधी अभियान कुछ दिन पहले ही शांतिपूर्ण ढंग से पूरा कर लिया गया था, तो अब प्रतिरोध क्यों हुआ।
उन्होंने कहा, ‘‘हमें कारण का विश्लेषण करना होगा। हमलावरों में बेदखल किए गए लोग और अन्य क्षेत्रों के निवासी भी शामिल हैं।’’
स्थानीय लोगों ने दावा किया कि भीड़ ने इलाके के एक सरकारी स्कूल में फर्नीचर को आग लगा दी, लेकिन दमकल की गाड़ियां मौके पर पहुंच गईं और आग पर काबू पा लिया।
घटना की खबर फैलते ही छात्र एवं युवा संगठनों के नेता और सदस्य पैकन के पास एकत्र हो गए, लेकिन उन्हें घटनास्थल पर जाने की अनुमति नहीं दी गई।
सुरक्षा बलों ने भीड़ को तितर-बितर करने के लिए लाठीचार्ज किया और हिंसा वाले क्षेत्र से लगभग दो किलोमीटर दूर अवरोधक लगा दिए।
अधिकृत लोगों को छोड़कर किसी को भी अवरोधक के पार जाने की अनुमति नहीं थी। साथ ही मीडियाकर्मियों को भी एक सीमा से आगे जाने से रोक दिया गया।
एक स्थानीय छात्र संगठन के नेता ने दावा किया कि वन क्षेत्र से हटाए गए लोगों का एक वर्ग तिरपाल के नीचे रह रहा है, क्योंकि उनके पास कहीं जाने के लिए कोई जगह नहीं है।
उन्होंने कहा, ‘‘ये लोग रहने की वैकल्पिक व्यवस्था की तलाश में हैं और उन्होंने प्रशासन से वहां से जाने के लिए कुछ और समय मांगा था, लेकिन अधिकारी अब क्षेत्र तक जाने वाले उस रास्ते को बंद करने की कोशिश कर रहे हैं। आज की घटना दुर्भाग्यपूर्ण है, लेकिन इन लोगों की स्थिति को समझना होगा।’’
भाषा पारुल