निजी कंपनियों में प्रवर्तक हिस्सेदारी आठ साल के निचले स्तर पर आईः रिपोर्ट
प्रेम प्रेम रमण
- 04 Aug 2025, 03:17 PM
- Updated: 03:17 PM
नयी दिल्ली, चार अगस्त (भाषा) देश में निजी स्वामित्व वाली सूचीबद्ध कंपनियों में प्रवर्तकों की हिस्सेदारी अप्रैल-जून तिमाही में गिरकर आठ वर्षों के निचले स्तर 40.58 प्रतिशत पर आ गई। इस दौरान प्रवर्तकों ने 54,732 करोड़ रुपये मूल्य की हिस्सेदारी बेची।
प्राइम डेटाबेस ग्रुप की पहल प्राइमइन्फोबेस.कॉम की तरफ से जारी आंकड़ों में यह जानकारी दी गई है।
आंकड़ों के मुताबिक, जून तिमाही के अंत में सूचीबद्ध निजी कंपनियों में प्रवर्तक हिस्सेदारी 40.58 प्रतिशत थी जो मार्च तिमाही के 40.81 प्रतिशत से कम है।
इससे पहले इतनी कम प्रवर्तक हिस्सेदारी सितंबर, 2017 में 40.19 प्रतिशत रही थी। पिछले तीन वर्षों में इस हिस्सेदारी में गिरावट का सिलसिला लगातार जारी है। मार्च 2022 में 45.13 प्रतिशत पर रही प्रवर्तक हिस्सेदारी में अब तक 4.55 प्रतिशत की कुल गिरावट आ चुकी है।
प्राइम डेटाबेस ग्रुप के प्रबंध निदेशक प्रणव हल्दिया ने कहा कि प्रवर्तकों की हिस्सेदारी बिक्री के कई कारण हो सकते हैं। बाजार की तेजी का लाभ उठाना, कर्ज चुकाने की रणनीति, पारिवारिक उत्तराधिकार की योजना, परोपकारी उद्देश्य, अन्य क्षेत्रों में निवेश, न्यूनतम सार्वजनिक शेयरधारिता (एमपीएस) मानकों को पूरा करना और व्यक्तिगत खर्चों को इसकी वजह बताया गया है।
उन्होंने कहा कि हाल में आए आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) कंपनियों में अपेक्षाकृत कम प्रवर्तक हिस्सेदारी और बाजार का संस्थागत स्वरूप भी इस गिरावट के कारणों में शामिल हैं।
मार्च, 2025 तिमाही में प्रवर्तकों की हिस्सेदारी 40.81 प्रतिशत थी।
हालांकि हल्दिया का मानना है कि जब तक प्रवर्तकों के पास अब भी पर्याप्त हिस्सेदारी बनी रहती है, बिक्री भारी छूट पर नहीं होती और कंपनी के बुनियादी कारकों में कोई बड़ा बदलाव नहीं होता, तब तक चिंता की जरूरत नहीं है।
यह विश्लेषण नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) की सूची में शामिल 2,131 कंपनियों में से 2,086 द्वारा दाखिल आंकड़ों पर आधारित है।
इस दौरान सूचीबद्ध कंपनियों में प्रवर्तक के तौर पर सरकार की हिस्सेदारी 9.27 प्रतिशत से मामूली रूप से बढ़कर 9.39 प्रतिशत हो गई। वहीं घरेलू संस्थागत निवेशकों की हिस्सेदारी बढ़कर 17.82 प्रतिशत हो गई, जो अब तक का सर्वोच्च स्तर है।
दूसरी ओर, विदेशी संस्थागत निवेशकों की हिस्सेदारी 13 वर्षों के निचले स्तर 17.04 प्रतिशत पर आ गई, जबकि उन्होंने 38,674 करोड़ रुपये का शुद्ध निवेश किया।
देश के सबसे बड़े संस्थागत निवेशक भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) की हिस्सेदारी 284 कंपनियों में घटकर औसतन 3.68 प्रतिशत रह गई, जो मार्च में 3.72 प्रतिशत थी। हालांकि इस दौरान एलआईसी ने 9,914 करोड़ रुपये का शुद्ध निवेश किया।
भाषा प्रेम प्रेम