कालेश्वरम परियोजना पर न्यायिक आयोग ने केसीआर को ‘अनियमितताओं’ के लिए जिम्मेदार पाया
प्रशांत संतोष
- 05 Aug 2025, 12:11 AM
- Updated: 12:11 AM
हैदराबाद, चार अगस्त (भाषा) कालेश्वरम परियोजना की जांच कर रहे न्यायिक आयोग ने निर्माण और अन्य पहलुओं से संबंधित अनियमितताओं के लिए पूर्व मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव को “प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से” जिम्मेदार ठहराया।।
मुख्यमंत्री ए. रेवंत रेड्डी ने संवाददाताओं को बताया कि राज्य मंत्रिमंडल ने सोमवार को सचिवालय में आयोजित बैठक में आयोग की रिपोर्ट पर चर्चा की और उसे स्वीकार कर लिया।
कैबिनेट बैठक के बाद पत्रकारों को जानकारी देते हुए सिंचाई मंत्री एन उत्तम कुमार रेड्डी ने कहा कि आयोग ने अपनी रिपोर्ट में केसीआर के भतीजे टी. हरीश राव, जो बीआरएस शासन के दौरान सिंचाई मंत्री थे, और तत्कालीन वित्त मंत्री एटाला राजेंद्र (जो अब भाजपा सांसद हैं) को भी दोषी पाया है। रेड्डी के साथ मुख्यमंत्री और अन्य मंत्री भी मौजूद थे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार जल्द ही विधानसभा की बैठक बुलाएगी और मामले पर गहन चर्चा के बाद रिपोर्ट पर अपनी भावी कार्रवाई तय करेगी।
न्यायिक आयोग के अध्यक्ष रहे उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश एवं पूर्व लोकपाल न्यायमूर्ति पिनाकी चंद्र घोष ने 31 जुलाई को सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंपी।
आयोग ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव परियोजना में इसकी योजना और निर्माण से लेकर परियोजना का हिस्सा रहे तीन बैराजों के संचालन और रखरखाव तक अनियमितताओं के लिए प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से जिम्मेदार थे।
आयोग ने यह भी बताया कि इस परियोजना को कैबिनेट की मंजूरी नहीं मिली थी और अंतिम विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) के बिना ही काम शुरू कर दिया गया था।
मीडिया के साथ साझा किये गए रिपोर्ट के सारांश में कहा गया है कि तत्कालीन मुख्यमंत्री अपनी “स्वतंत्र इच्छा” से मेदिगड्डा में बैराज का निर्माण करने के लिए पूर्व-निर्धारित और इच्छुक थे और निर्णय लेने से जुड़े अधिकारियों ने उन्हें इसमें सहायता की।
आयोग ने निष्कर्ष निकाला कि पूरी परियोजना में “व्यापक प्रक्रियात्मक एवं वित्तीय अनियमितताएं” व्याप्त थीं।
पूर्ववर्ती सरकार और केसीआर के खिलाफ आरोपों का जवाब देते हुए बीआरएस नेता एस. निरंजन रेड्डी ने मांग की कि आयोग की रिपोर्ट का सारांश जारी करने के बजाय उसे सार्वजनिक किया जाना चाहिए।
उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि आयोग की रिपोर्ट को कानूनी तौर पर चुनौती दी जा सकती है।
उन्होंने कहा कि सरकार स्थानीय निकाय चुनावों से पहले रिपोर्ट के नाम पर जनता का ध्यान भटकाने की कोशिश कर रही है।
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