उर्वरक निकाय आईएमएमए ने सूक्ष्मपोषक उत्पादों के लिए केंद्रीकृत लाइसेंस व्यवस्था की मांग की
राजेश राजेश रमण
- 04 Aug 2025, 07:38 PM
- Updated: 07:38 PM
नयी दिल्ली, चार अगस्त (भाषा) भारतीय सूक्ष्म उर्वरक विनिर्माता संघ (आईएमएमए) ने सोमवार को सूक्ष्मपोषक उर्वरकों के राष्ट्रव्यापी विपणन में तेजी लाने के लिए केंद्रीकृत लाइसेंस और राष्ट्रीय दिशानिर्देशों की मांग की।
हालांकि समग्र नियामक ढांचा केंद्रीय स्तर पर आवश्यक वस्तु अधिनियम के उर्वरक नियंत्रण आदेश (एफसीओ) के अंतर्गत आता है, विनिर्माताओं को प्रत्येक राज्य में कृषि या उर्वरक नियंत्रण प्राधिकरणों से लाइसेंस और प्रमाण पत्र प्राप्त करना होगा जहां वे बिक्री या उत्पादन करने की योजना बनाते हैं।
आईएमएमए अध्यक्ष राहुल मीरचंदानी के अनुसार, बहु-राज्य अनुमोदन की आवश्यकता बोझिल और समय लेने वाली है क्योंकि प्रत्येक राज्य की अपनी लाइसेंसिंग प्रक्रिया और समय-सीमा होती है।
मीरचंदानी ने पीटीआई-भाषा से कहा, ‘‘देरी और प्रशासनिक बोझ को कम करने के लिए इस अनुमोदन प्रक्रिया को एकीकृत और सरल बनाने की आवश्यकता है, जिससे सूक्ष्मपोषक उर्वरकों का राष्ट्रव्यापी विपणन तेजी से हो सके।’’
सूक्ष्मपोषक उर्वरक कृषि फसलों में जिंक, बोरॉन और आयरन जैसे प्रमुख पोषक तत्वों की कमी को पूरा करते हैं।
मीरचंदानी ने कहा, ‘‘अप्रचलित राज्य अधिसूचित ग्रेड सूक्ष्म पोषक, उर्वरक क्षेत्र में नवाचार में बाधा डालते हैं। अब समय आ गया है कि स्थिर फॉर्मूलेशन से गतिशील ढांचे की ओर रुख किया जाए।’’
उन्होंने कहा, ‘‘एक केंद्रीकृत लाइसेंसिंग और विश्लेषणात्मक सत्यापन समय की मांग है।’’
मीरचंदानी ने कहा कि सूक्ष्म पोषक तत्वों के लिए राज्य-अधिसूचित ग्रेड पुराने हो गए हैं। कई मामलों में नवीनतम अधिसूचनाएं एक दशक से भी पुरानी हैं और कुछ राज्यों में दो से तीन दशक से भी पुरानी हैं।
आईएमएमए ने जल-घुलनशील उर्वरक नियमों के समान व्यापक राष्ट्रीय दिशानिर्देशों का सुझाव दिया है जो सूक्ष्म पोषक मिश्रणों में प्रत्येक पोषक तत्व के लिए न्यूनतम और अधिकतम अनुमेय सीमाएं निर्दिष्ट करते हैं।
इन सीमाओं के भीतर, विनिर्माताओं को क्षेत्रीय मृदा स्वास्थ्य रिपोर्ट, मौसम के रुझान, फसल प्रणालियों और उभरती पोषक तत्वों की कमियों के अनुरूप फॉर्मूलेशन डिजाइन करने की अनुमति दी जानी चाहिए।
आईएमएमए ने यह भी कहा कि आवश्यक वस्तु अधिनियम के तहत सूक्ष्म पोषक उर्वरकों को विनियमित करने की कोई आवश्यकता नहीं है क्योंकि खाद्यान्नों की कोई कमी नहीं है और इन उत्पादों पर सरकारी सब्सिडी नहीं मिलती है।
एसोसिएशन ने जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से निपटने के लिए विकसित नवीन सूक्ष्म पोषक ग्रेडों को शीघ्र स्वीकृति प्रदान करने के साथ-साथ क्षेत्र में सुधारों का आह्वान किया।
भाषा राजेश राजेश