राज्यसभा में नहीं टूटा गतिरोध, हंगामे के बीच मणिपुर में राष्ट्रपति शासन बढ़ाने संबंधी प्रस्ताव पारित
मनीषा माधव
- 05 Aug 2025, 02:48 PM
- Updated: 02:48 PM
नयी दिल्ली, पांच अगस्त (भाषा) बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण सहित विभिन्न मुद्दों पर विपक्षी सदस्यों के हंगामे के कारण मंगलवार को राज्यसभा की बैठक एक बार के स्थगन के बाद दोपहर दो बज कर पंद्रह मिनट पर पूरे दिन के लिए स्थगित कर दी गई।
हंगामे के बीच ही मणिपुर में राष्ट्रपति शासन छह महीने और बढ़ाने के प्रावधान वाले सांविधिक संकल्प को ध्वनिमत से मंजूरी दी गई। लोकसभा इसे पहले ही मंजूरी दे चुकी है।
सदन की बैठक पूर्वाह्न11 बजे जब शुरू हुई तो बीते सप्ताह राज्यसभा में सदन के अंदर मार्शलों की जगह सीआईएसएफ के जवानों की तैनाती तथा बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण सहित विभिन्न मुद्दों पर विपक्षी सदस्यों ने हंगामा किया।
उपसभापति हरिवंश और सरकार दोनों ने ही सदन के अंदर मार्शलों की जगह सीआईएसएफ के जवानों की तैनाती किए जाने संबंधी विपक्ष का दावा सिरे से खाारिज कर दिया।
हरिवंश ने सदन को सूचित किया कि नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने बीते सप्ताह राज्यसभा में सीआईएसएफ के जवानों की तैनाती को लेकर उन्हें एक पत्र लिखा था। उन्होंने इस बात पर अफसोस जताया कि खरगे का वह पत्र मीडिया के पास पहुंच गया।
इसी दौरान विपक्षी दलों के सदस्यों ने हंगामा शुरू कर दिया। हरिवंश ने इन सदस्यों से शांत रहने और उनकी बात सुनने की अपील की। उन्होंने कहा ‘‘आपको आसन का पक्ष सुनना चाहिए। आप अपनी ही बात कहेंगे और आसन की बात नहीं सुनेंगे। ऐसा नहीं होगा।’’
शुक्रवार को लिखे पत्र में, खरगे ने कहा था कि सदन में सीआईएसएफ के जवान तैनात हैं और विपक्षी नेताओं को उनके लोकतांत्रिक अधिकारों का प्रयोग करने से रोक रहे हैं।
हरिवंश ने कहा कि सदन में बार-बार व्यवधान उत्पन्न किए जा रहे हैं और यह सवाल उठाया कि नारेबाजी करना, आसन के समक्ष आना और अन्य सदस्यों को बाधित करना कैसे लोकतांत्रिक विरोध का हिस्सा हो सकता है।
विपक्ष के नेता खरगे ने जवाब में कहा कि उन्होंने पत्र की जानकारी सदस्यों के हित में प्रेस नोट के जरिए साझा की। उन्होंने जोर देकर कहा कि विपक्ष लोकतांत्रिक तरीके से विरोध कर रहा है और करता रहेगा। उन्होंने सवाल किया, “सीआईएसएफ को सदन में लाया जा रहा है। क्या हम आतंकवादी हैं?”
इस पर उपसभापति ने कहा, “वे सीआईएसएफ के कर्मी नहीं थे, वे संसद सुरक्षा सेवा के कर्मी थे।”
कांग्रेस नेता ने सवाल किया कि संसद सुरक्षा सेवा सांसदों की सुरक्षा के लिए सक्षम है, लेकिन “क्या आप सदन को पुलिस और सेना के जरिए चलाना चाहते हैं?”
हरिवंश ने एक बार फिर दोहराया कि तैनात कर्मी संसद सेवा के थे। उन्होंने खरगे से आग्रह किया कि वे सदन को गुमराह न करें।
संसदीय कार्य मंत्री किरेन रीजीजू ने पूछा कि जब नेता प्रतिपक्ष भ्रामक तथ्य प्रस्तुत करते हैं या गलत जानकारी वाले पत्र लिखते हैं तो उनके विरुद्ध क्या कार्रवाई की जानी चाहिए।
उन्होंने कहा, “सदन में केवल मार्शल ही आ सकते हैं और उस दिन केवल मार्शल ही मौजूद थे। नेता प्रतिपक्ष भ्रामक जानकारी दे रहे हैं।”
इसके बाद उपसभापति ने फिर से खरगे को बोलने का मौका दिया। नेता प्रतिपक्ष ने पूछा, “क्या यह सदन आप चला रहे हैं या गृह मंत्री अमित शाह?”
हरिवंश ने तत्काल कहा कि यह आरोप “गलत” है।
सदन के नेता और केंद्रीय मंत्री जे. पी. नड्डा ने कहा कि उन्होंने विपक्ष में 40 वर्षों तक काम किया है और कांग्रेस को प्रभावी विपक्ष बनने के लिए उनसे “ट्यूशन” लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि विपक्ष के कुछ कृत्यों को लोकतांत्रिक विरोध नहीं, बल्कि “अराजकता” कहा जा सकता है।
उप सभापति ने कहा कि 25 जुलाई, 28 जुलाई, 31 जुलाई और 01 अगस्त को विपक्षी सदस्यों ने स्वयं तो हंगामा किया लेकिन सदन में इन तारीखों पर अपनी बात रख रहे दूसरे सदस्यों को भी बोलने से रोकने की कोशिश की। उन्होंने कहा कि यह अलोकतांत्रिक है।
उन्होंने कहा कि शून्यकाल और प्रश्नकाल दोनों ही सरकार की जवाबदेही तय करते हैं और सदस्य इनमें लोक महत्व से जुड़े मुद्दे तथा सवाल उठाते हैं।
हरिवंश ने कहा ‘‘वर्तमान सत्र में विभिन्न महत्वपूर्ण मुद्दों पर अब तक 150 तारांकित सवाल, 150 शून्यकाल के मुद्दे, तथा 150 विशेष उल्लेख उठाने का मौका था। लेकिन व्यवधान के कारण केवल 13 तारांकित प्रश्न, शून्यकाल के तहत पांच मुद्दे तथा 17 विशेष उल्लेख ही हो पाए। व्यवधान की वजह से सदन के 41 घंटे 11 मिनट गंवाए जा चुके हैं जिसकी भरपाई नहीं हो सकती।’’
द्रमुक के तिरूचि शिवा ने व्यवस्था का प्रश्न उठाते हुए कहा कि यह सदन विचार विमर्श और चर्चा के लिए है। उन्होंने कहा कि विपक्ष के सदस्य कई महत्वपूर्ण मुद्दों को सदन में उठाना चाहते हैं और उन्हें बोलने का अवसर दिया जाना चाहिए।
उन्होंने आसन के सामने आ कर हंगामा कर रहे सदस्यों से अपने स्थानों पर लौट जाने और शून्यकाल चलने देने का अनुरोध किया। अपनी बात का असर न होते देख हरिवंश ने 11 बज कर 45 मिनट पर बैठक को दोपहर दो बजे तक स्थगित कर दिया।
एक बार के स्थगन के बाद दोपहर दो बजे बैठक शुरू होने पर विपक्षी सदस्यों ने बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण सहित विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की मांग उठाई। कुछ सदस्य आसन के समीप आ कर ‘‘वोट की चोरी बंद करो’’ और ‘‘एसआईआर बंद करो’’ के नारे लगाने लगे।
हंगामे के बीच गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने मणिपुर में राष्ट्रपति शासन से संबंधित सांविधिक संकल्प को चर्चा एवं पारित करने के लिए सदन में पेश किया जिसके तहत राज्य में 13 फरवरी 2025 को संविधान के अनुच्छेद 356 के तहत लागू राष्ट्रपति शासन को 13 अगस्त से छह और महीने के लिए बढ़ाया जाना है।
उपसभापति हरिवंश ने चर्चा के लिए कई सदस्यों का नाम पुकारा किंतु वाईएसआर कांग्रेस के सुभाष चंद्र बोस पिल्लै और बीजू जनता दल के मुजीबुल्ला खान के अलावा किसी अन्य विपक्षी सदस्य ने चर्चा में भाग नहीं लिया।
हंगामे के कारण पिल्लै और खान की बात सुनी नहीं जा सकी। यह दोनों सदस्य जब बोल रहे थे तो कई विपक्षी सदस्य उनके आसपास खड़े होकर नारेबाजी कर रहे थे। उपसभापति ने नारेबाजी कर रहे सदस्यों से ऐसा नहीं करने को कहा किंतु उनकी अपील का कोई असर नहीं हुआ।
चर्चा का गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय ने जवाब दिया किंतु शोरशराबे के कारण उनका जवाब भी सुनाई नहीं दिया।
इसके उपरांत उपसभापति ने इस संकल्प को ध्वनिमत से पारित करवाया और दोपहर करीब सवा दो बजे बैठक को बुधवार, सुबह 11 बजे तक के लिए स्थगित कर दिया।
भाषा मनीषा