मलयालम कवि थम्पी ने फिल्म वित्त पोषण विवाद पर अडूर गोपालकृष्णन का समर्थन किया
गोला पवनेश
- 05 Aug 2025, 03:43 PM
- Updated: 03:43 PM
तिरुवनंतपुरम, पांच अगस्त (भाषा) वरिष्ठ मलयालम कवि, गीतकार और फिल्म निर्माता श्रीकुमारन थम्पी ने वंचित समुदायों के फिल्म निर्माताओं के लिए सरकारी वित्त पोषण पर प्रसिद्ध निर्देशक अडूर गोपालकृष्णन की टिप्पणियों को लेकर पैदा विवाद के बीच मंगलवार को उनका पुरजोर समर्थन किया।
गोपालकृष्णन का बचाव करते हुए थम्पी ने कहा कि दादा साहब फाल्के पुरस्कार विजेता विश्व के महान फिल्म निर्माताओं में से एक हैं और उन्होंने उनकी (गोपालकृष्णन की) हालिया टिप्पणियों को लेकर की गई आलोचना पर सवाल उठाया।
थम्पी ने यहां पत्रकारों से कहा, ‘‘उनके बयान में क्या गलत है? सरकार हाशिए पर मौजूद वर्गों के फिल्म निर्माताओं को बढ़ावा देने के लिए 1.5 करोड़ रुपये दे रही है, यह जनता का पैसा है।’’
थम्पी ने कहा कि इस बात में कुछ भी अनुचित नहीं है कि वित्त पोषण से पहले पात्रता का मूल्यांकन किया जाए।
उन्होंने कहा, ‘‘हम यूं ही जनता का पैसा नहीं बांट सकते। इसमें क्या गलत है अगर कोई कहता है कि यह धन राशि फिल्म निर्माण का आवश्यक प्रशिक्षण देने के बाद ही दी जानी चाहिए?’’
थम्पी ने यह भी स्पष्ट किया कि गोपालकृष्णन ने अपनी टिप्पणी में न तो महिलाओं को और न ही दलित फिल्म निर्माताओं को निशाना बनाया। उन्होंने कहा, “उन्होंने (गोपालकृष्णन ने) केवल इतना कहा कि जिन्हें सरकारी सहायता दी जा रही है, उन्हें सिनेमा की पर्याप्त जानकारी होनी चाहिए। कैमरा कोई खिलौना नहीं है।”
अनुभवी फिल्म निर्देशक ने पार्श्वगायिका पुष्पावती की भी आलोचना की, जिन्होंने रविवार को एक सरकारी फिल्म समारोह के दौरान अडूर गोपालकृष्णन के भाषण के बीच में विरोध दर्ज कराया था।
थम्पी ने कहा, ‘‘भाषण के बीच में उन्हें टोकना गलत था। वह भाषण खत्म होने के बाद बोल सकती थीं।’’
यह विवाद तब शुरू हुआ जब अडूर गोपालकृष्णन ने कहा कि केरल राज्य फिल्म विकास निगम की ओर से हाशिए के समुदायों के फिल्म निर्माताओं को 1.5 करोड़ रुपये की सहायता देने की योजना अपने अपेक्षित परिणाम नहीं दे पाई है। उन्होंने सुझाव दिया कि ऐसे इच्छुक फिल्मकारों को वित्तीय सहायता देने से पहले विशेषज्ञों से प्रशिक्षण प्रदान किया जाना चाहिए।
अडूर गोपालकृष्णन ने अपने बयान का बचाव करते हुए सोमवार को कहा था कि उनका उद्देश्य नए फिल्मकारों को सशक्त बनाना और उनकी तकनीकी दक्षता को बेहतर करना था।
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