न्यायालय ने मेडिकल दाखिलों के लिए तेलंगाना के अधिवास नियम पर फैसला सुरक्षित रखा
गोला नरेश
- 05 Aug 2025, 04:31 PM
- Updated: 04:31 PM
नयी दिल्ली, पांच अगस्त (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को तेलंगाना सरकार की एक याचिका समेत उन याचिकाओं पर फैसला सुरक्षित रख लिया, जिनमें इस दक्षिणी राज्य में मेडिकल कॉलेजों में दाखिले को लेकर लागू अधिवास नियम को रद्द करने वाले आदेश को चुनौती दी गयी है।
तेलंगाना सरकार ने ‘तेलंगाना मेडिकल एंड डेंटल कॉलेज एडमिशन रूल्स’, 2017 को 2024 में संशोधित करते हुए यह प्रावधान जोड़ा था कि केवल वे छात्र जो कक्षा 12 तक पिछले लगातार चार वर्षों से राज्य में पढ़ाई कर रहे हों, उन्हें ही राज्य के कोटे के तहत मेडिकल और डेंटल कॉलेजों में प्रवेश मिलेगा।
बहरहाल, तेलंगाना उच्च न्यायालय ने इस नियम को खारिज करते हुए कहा था कि राज्य के स्थायी निवासियों को केवल इसलिए मेडिकल कॉलेज में प्रवेश का लाभ नहीं देना गलत है कि उन्होंने कुछ समय के लिए राज्य से बाहर रहकर पढ़ाई की है।
प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति के. विनोद चंद्रन की पीठ ने मंगलवार को दोनों पक्षों की दलीलें सुनीं, जिनमें तेलंगाना सरकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी भी शामिल थे।
राज्य के चार साल की पढ़ाई के अधिवास नियम का बचाव करते हुए सिंघवी ने कहा कि जब एक बार निवास का नियम बना दिया जाता है, तो एक न्यूनतम सीमा तय करना अनिवार्य हो जाता है।
उन्होंने कहा कि यह नियम एक सरकारी आदेश और राष्ट्रपति के आदेश द्वारा समर्थित है, और “स्थायी निवासी” की परिभाषा तय करने का अधिकार अदालतों को नहीं, केवल राज्य को है।
मुख्य न्यायाधीश ने नियम के व्यावहारिक असर पर सवाल उठाते हुए उदाहरण दिया, “अगर तेलंगाना के किसी न्यायाधीश का बिहार में तबादला होता है और उसका बेटा 9वीं से 12वीं तक बिहार में पढ़ता है, तो वह छात्र अपने गृह राज्य में दाखिले से वंचित हो जाएगा?’’
उन्होंने कहा, ‘‘माना कि कोई छात्र तेलंगाना में पैदा हुआ और बड़ा हुआ, लेकिन 10वीं और 11वीं के लिए कोचिंग के कारण कोटा चला गया। या कोई तेलंगाना का आईएएस अधिकारी दिल्ली में पदस्थ है और उसका बच्चा दो साल बाहर पढ़ता है तो क्या ऐसे छात्रों को अयोग्य ठहरा देना चाहिए?’’
न्यायमूर्ति चंद्रन ने सवाल उठाया, ‘‘अगर कोई व्यक्ति तेलंगाना में चार साल बस खाली बैठा रहे, तो वह पात्र हो जाता है। लेकिन जो छात्र पढ़ाई के लिए बाहर गया, वह अपात्र हो गया। क्या यह विरोधाभास नहीं है?’’
उच्चतम न्यायालय ने 20 सितंबर, 2024 को उच्च न्यायालय के उस आदेश पर रोक लगा दी थी जिसमें कहा गया था कि केवल राज्य से बाहर रहने के कारण किसी स्थायी निवासी को मेडिकल कॉलेज में प्रवेश से वंचित नहीं किया जा सकता।
हालांकि, राज्य सरकार ने उच्च न्यायालय में याचिका दायर करने वाले 135 छात्रों को 2024 में मेडिकल और डेंटल कॉलेजों में एक बार के लिए दाखिले की छूट देने पर सहमति जताई थी।
भाषा गोला