मानचित्र में राजस्थान को तत्कालीन मराठा साम्राज्य का हिस्सा दिखाए जाने पर विवाद
पृथ्वी जोहेब
- 05 Aug 2025, 08:53 PM
- Updated: 08:53 PM
जैसलमेर/जयपुर, पांच अगस्त (भाषा) राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) की एक किताब के मानचित्र में वर्तमान राजस्थान को तत्कालीन मराठा साम्राज्य के अंतर्गत दर्शाए जाने पर विवाद खड़ा हो गया है। राज्य के अनेक पूर्व राजपरिवारों के सदस्यों ने इस पर आपत्ति जताई है।
एनसीईआरटी की आठवीं कक्षा की सामाजिक विज्ञान की पाठ्यपुस्तक में इस नक्शे में भारतीय उपमहाद्वीप के उस बड़े भूभाग को दर्शाया गया है जो 1759 में तत्कालीन मराठा साम्राज्य के अधीन था। इसमें मराठा नियंत्रण या उसके प्रभाव वाले छायांकित क्षेत्र में वर्तमान राजस्थान के जैसलमेर, मेवाड़ (वर्तमान उदयपुर), बूंदी और जयपुर समेत कुछ हिस्से शामिल हैं।
मेवाड़ के पूर्ववर्ती राजपरिवार के सदस्य और राजसमंद से भारतीय जनता पार्टी की सांसद महिमा कुमारी व उनके पति, विधायक विश्वराज सिंह समेत कई पूर्व राजपरिवारों ने इस चित्रण पर आपत्ति जताई है और इसे तथ्यात्मक रूप से गलत, भ्रामक और एजेंडे पर आधारित बताया है।
जैसलमेर के पूर्ववर्ती राजपरिवार के सदस्य चैतन्य राज सिंह ने सोमवार रात इस मुद्दे को उठाया। उन्होंने 'एक्स' पर एक पोस्ट में इस मानचित्र को "ऐतिहासिक रूप से भ्रामक, तथ्यहीन और गंभीर रूप से आपत्तिजनक" बताया है।
उन्होंने कहा कि इस प्रकार की अपुष्ट और ऐतिहासिक साक्ष्य विहीन जानकारी न केवल एनसीईआरटी जैसी संस्थाओं की विश्वसनीयता पर प्रश्नचिह्न लगाती है, बल्कि हमारे गौरवशाली इतिहास और जनभावनाओं को भी आघात पहुंचाती है।
इस पोस्ट में केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान और एनसीईआरटी को टैग करते हुए, उन्होंने सरकार से आग्रह किया कि इस प्रकार की 'त्रुटिपूर्ण, दुर्भावनापूर्ण और एजेंडे से प्रेरित हरकत' को गंभीरता से लेते हुए तत्काल संशोधन करवाया जाए।
उन्होंने लिखा, "यह केवल एक तथ्य संशोधन नहीं, बल्कि हमारी ऐतिहासिक गरिमा, आत्मसम्मान और राष्ट्रीय पाठ्यक्रम की सत्यनिष्ठा से जुड़ा विषय है। इस विषय पर त्वरित एवं ठोस कार्रवाई की अपेक्षा है।'
सिंह ने कहा कि जैसलमेर रियासत के संदर्भ में उपलब्ध प्रामाणिक ऐतिहासिक स्रोतों में कहीं भी मराठा आधिपत्य, आक्रमण, कराधान या प्रभुत्व का कोई उल्लेख नहीं मिलता।
उन्होंने कहा कि इसके विपरीत, हमारी राजकीय पुस्तकों में भी स्पष्ट उल्लेखित है कि जैसलमेर रियासत में मराठाओं का कभी भी, कोई दखल नहीं रहा।
मंगलवार को भाजपा विधायक और पूर्व मेवाड़ राजघराने के सदस्य विश्वराज सिंह और उनकी पत्नी व राजसमंद से सांसद महिमा कुमारी ने भी इस नक्शे की निंदा की। सिंह ने 'एक्स' पर लिखा, “पहले इसे अंग्रेजों के अधीन बताकर गलत तरीके से प्रस्तुत किया गया, अब मराठों के अधीन - एनसीईआरटी में शिक्षाविदों को कौन शिक्षित करेगा? क्या वे भारत का तथ्यात्मक इतिहास प्रस्तुत करने में सक्षम हैं - इसमें गंभीर संदेह है।"
अलवर के पूर्व राजघराने के सदस्य, पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस नेता भंवर जितेंद्र सिंह ने कहा कि इतिहास को तथ्यों के आधार पर प्रस्तुत करना चाहिए, न कि क्षेत्रीय या राजनीतिक एजेंडों के आधार पर।
उन्होंने 'एक्स' पर लिखा, “एनसीईआरटी की आठवीं कक्षा की सामाजिक विज्ञान की पाठ्यपुस्तक में मराठा साम्राज्य के विस्तार का नक्शा और दावा ऐतिहासिक रूप से गलत व भ्रामक है। अचरज है कि इस नक्शे में पूरे राजस्थान पर ही मराठा आधिपत्य दर्शाया गया है, जोकि कभी हुआ ही नहीं।”
सिंह ने लिखा, “मराठा इतिहास पाठ्यपुस्तकों में हमेशा से शामिल होता रहा है, लेकिन पूरे राजस्थान को मराठा नियंत्रण में दर्शाता यह नक्शा इस बार के नए संस्करण - जुलाई 2025 में जोड़ा गया है।”
सिंह ने कहा कि ऐतिहासिक तथ्य है कि 18वीं सदी में राजस्थान की रियासतें - चाहे मारवाड़, मेवाड़, बीकानेर, जयपुर, भरतपुर, जैसलमेर, अलवर या अन्य... सभी अपनी स्वतंत्रता और स्वायत्तता बनाए रखने में सक्षम थीं।
उन्होंने कहा कि 18वीं सदी में राजस्थान की शक्तिशाली राजपूत रियासतें और भरतपुर जाट रियासत अपनी स्वतंत्र शासन व्यवस्था, सैन्य शक्ति, और सांस्कृतिक पहचान के लिए प्रसिद्ध थीं। इन शासकों ने मुगल, मराठा, और बाद में अंग्रेजों के खिलाफ अपनी स्वायत्तता बनाए रखने के लिए लगातार संघर्ष किया।
सिंह के अनुसार, “इतिहास को धार्मिक या क्षेत्रीय आधार पर तोड़-मरोड़कर प्रस्तुत करना तथ्यों को मिथक में बदल देता है। एनसीईआरटी (की किताब) में की गई यह गलती राजस्थान के शूरवीर शासकों की वीरता, स्वतंत्रता, और सांस्कृतिक योगदान को कमजोर करने की कोशिश है।”
बूंदी के पूर्व राजघराने के सदस्य ब्रिगेडियर (सेवानिवृत्त) भूपेश सिंह हाड़ा ने इसे एक काल्पनिक साम्राज्य बताया।
उन्होंने लिखा, “यह कौन सा कपोल- कल्पित साम्राज्य है जिसने राजपूताना पर शासन किया?'
उन्होंने कहा, “हम मराठों के अधीन कभी नहीं थे - हमारे स्वाभिमान को मनगढ़ंत कहानियों से मत आहत कीजिए। अपने ही लोगों पर अत्याचार कर लूटपाट करने को साम्राज्य नहीं बोला जाता।”
केंद्रीय शिक्षा मंत्री और एनसीईआरटी को टैग करते हुए उन्होंने कहा, "कृपया यह दिखावा बंद करें, हमारे बच्चों का ब्रेनवॉश न करें।"
इस नक्शे में भारतीय उपमहाद्वीप के उस विशाल भूभाग को दर्शाया गया है जो कथित तौर पर 1759 में मराठा साम्राज्य के अधीन आता था। इस भूभाग में राजस्थान को भी शामिल किया गया है। यह मानचित्र उत्तर-पश्चिम में पेशावर से लेकर दक्षिण में तंजावुर तक, और पश्चिम में सूरत और मुंबई से लेकर पूर्व में कटक और पटना तक मराठा प्रभाव को भी दर्शाता है।
भाषा पृथ्वी