रुपया 22 पैसे लुढ़ककर 87.88 प्रति डॉलर के सर्वकालिक निचले स्तर पर
राजेश राजेश अजय
- 05 Aug 2025, 09:13 PM
- Updated: 09:13 PM
मुंबई, पांच अगस्त (भाषा) अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में रुपया मंगलवार को 22 पैसे मुंह लुढ़ककर 87.88 प्रति डॉलर के सर्वकालिक निचले स्तर पर बंद हुआ। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत की ओर से रूसी तेल की निरंतर खरीद को लेकर भारतीय वस्तुओं पर शुल्क बढ़ाने की धमकी के बाद जोखिम से बचने की धारणा बढ़ गई, जो रुपये के लुढ़कने का प्रमुख कारण है।
विदेशी मुद्रा कारोबारियों ने कहा कि भारत-अमेरिका व्यापार समझौते की अनिश्चितता के कारण घरेलू बाजार की धारणा प्रभावित होने से रुपये में और गिरावट आने की आशंका है।
इसके अलावा, कमजोर शेयर बाजार ने निवेशकों की धारणा को और प्रभावित किया। हालांकि, भारतीय रिजर्व बैंक के कथित हस्तक्षेप से रुपये ने अपने नुकसान को कुछ हद तक कम कर लिया।
उन्होंने कहा कि कमजोर डॉलर और कच्चे तेल की कीमतों में रातोंरात गिरावट से भी रुपये का नुकसान कुछ कम हुआ।
अंतरबैंक विदेशी मुद्रा बाजार में रुपया, अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 87.95 प्रति डॉलर पर कमजोर रुख के साथ खुला। यह दिन के कारोबार का सबसे निचला स्तर है जो इससे पहले इस वर्ष 10 फरवरी को दिन के कारोबार के दौरान यह स्तर देखने को मिला था। कारोबार के दौरान रुपये ने 87.75 के दिन के उच्चतम स्तर को छुआ लेकिन अंत में 22 पैसे की जोरदार गिरावट के साथ 87.88 प्रति डॉलर पर बंद हुआ।
रुपया सोमवार को 48 पैसे टूटकर अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 87.66 पर बंद हुआ था।
भारत के खिलाफ एक नई व्यापारिक धमकी देते हुए, राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सोमवार को कहा कि वह भारत पर अमेरिकी शुल्क में ‘काफी’ वृद्धि करेंगे। उन्होंने भारत पर भारी मात्रा में रूसी तेल खरीदने और उसे बड़े मुनाफे पर बेचने का आरोप लगाया।
पिछले हफ्ते, ट्रंप प्रशासन ने सभी भारतीय वस्तुओं पर 25 प्रतिशत शुल्क लगा दिया था। अमेरिकी राष्ट्रपति ने ‘अधिकांश’ रूसी सैन्य उपकरण और कच्चा तेल खरीदने पर जुर्माना लगाने की भी घोषणा की।
मिराए एसेट शेयरखान के शोध विश्लेषक अनुज चौधरी ने कहा, ‘‘ हमारा अनुमान है कि रुपये में गिरावट जारी रहेगी क्योंकि भारत-अमेरिका व्यापार समझौते को लेकर अनिश्चितता घरेलू बाजार की धारणा को प्रभावित कर रही है। घरेलू शेयर बाजारों में कमजोरी और विदेशी पूंजी की निकासी से रुपये पर और दबाव पड़ सकता है।’’
चौधरी ने कहा, ‘‘ भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति से पहले रुपया भी कमजोर रह सकता है। बाजार को केंद्रीय बैंक से रेपो दर में और कटौती की उम्मीद है। हालांकि, सितंबर में फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में कटौती की बढ़ती संभावनाओं के बीच अमेरिकी डॉलर की कमजोरी, रुपये को निचले स्तर पर सहारा दे सकती है।’’
वहीं भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की मौद्रिक नीति के फैसले से पहले निवेशक भी सतर्क हैं। छह सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) बुधवार को अगली द्विमासिक मौद्रिक समीक्षा की घोषणा करेगी।
एचडीएफसी सिक्योरिटीज के वरिष्ठ शोध विश्लेषक दिलीप परमार ने कहा कि संभावित शुल्क बढ़ोतरी की चिंताओं का भारतीय रुपये पर असर पड़ा है।
कमजोर शुरुआत के बाद, सरकारी बैंकों से अपेक्षित डॉलर प्रवाह और आयातित वस्तुओं की कम कीमतों के कारण स्थानीय मुद्रा एक सीमित दायरे में स्थिर रही। हालांकि, विदेशी पूंजी की निरंतर निकासी और व्यापार अनिश्चितताओं के बीच सतर्कता बनी हुई है।
परमार ने कहा, ‘‘अब सारा ध्यान भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति घोषणा पर है। हालांकि, यथास्थिति की उम्मीद है, लेकिन किसी भी आश्चर्यजनक ब्याज दर में कटौती से बाजार की धारणा को बल मिल सकता है।’’
इस बीच, छह प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले अमेरिकी डॉलर की स्थिति को दर्शाने वाला डॉलर सूचकांक 0.18 प्रतिशत की बढ़त के साथ 98.68 पर पहुंच गया।
घरेलू शेयर बाजारों में सेंसेक्स 308.47 अंक की गिरावट के साथ 80,710.25 अंक पर, जबकि निफ्टी 73.20 अंक के नुकसान के साथ 24,649.55 अंक पर बंद हुआ।
अंतरराष्ट्रीय मानक ब्रेंट क्रूड 0.97 प्रतिशत फिसलकर 68.09 डॉलर प्रति बैरल पर रहा।
शेयर बाजार के आंकड़ों के मुताबिक, विदेशी संस्थागत निवेशक (एफआईआई) पूंजी बाजार में शुद्ध बिकवाल रहे और उन्होंने मंगलवार को शुद्ध रूप से 22.48 करोड़ रुपये के शेयर बेचे।
भाषा राजेश राजेश