एसआईआर का मुद्दा न्यायालय में विचाराधीन, नियम के तहत लोकसभा में नहीं हो सकती चर्चा: रीजीजू
वैभव अविनाश
- 06 Aug 2025, 03:23 PM
- Updated: 03:23 PM
नयी दिल्ली, छह अगस्त (भाषा) संसदीय कार्य मंत्री किरेन रीजीजू ने बुधवार को कहा कि बिहार में मतदाता सूचियों के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) का मुद्दा उच्चतम न्यायालय में विचाराधीन है और लोकसभा के कार्य संचालन और प्रक्रियाओं के नियमों एवं परिपाटी के तहत इस मुद्दे पर सदन में चर्चा नहीं हो सकती।
रीजीजू ने एसआईआर के मुद्दे पर लोकसभा में कांग्रेस समेत विपक्षी दलों के सदस्यों के शोर-शराबे के बीच कहा कि सरकार किसी भी मुद्दे पर सदन में चर्चा करने के लिए तैयार है और समय-समय पर यह आश्वासन भी देती रही है, लेकिन संसद में किसी भी विषय पर चर्चा संवैधानिक प्रावधानों के अनुरूप होनी चाहिए और सदन के कार्य संचालन और प्रक्रिया के नियमों के तहत होनी चाहिए।
उन्होंने विपक्ष पर पहले दिन से एसआईआर मुद्दे पर संसद की कार्यवाही को बाधित करने का आरोप लगाते हुए कहा, ‘‘हम सब जानते हैं कि एसआईआर का मामला उच्चतम न्यायालय में विचाराधीन है। सदन के कार्य संचालन और प्रक्रियाओं के नियम 186 (8) के तहत सदन में उसी मुद्दे पर चर्चा की जा सकती है जो किसी अदालत में विचाराधीन विषय से जुड़ा नहीं हो।’’
रीजीजू ने सदन के कामकाज के नियम 352 (1) का उल्लेख करते हुए कहा कि सदन के किसी सदस्य को यहां ऐसे विषय का उल्लेख करने का अधिकार नहीं है जिस पर अदालत में निर्णय लंबित है।
मंत्री ने कहा कि विपक्ष जो विषय उठाने का प्रयास कर रहा है वह स्पष्ट रूप से अदालत में विचाराधीन है, इसलिए इस पर सदन में चर्चा नहीं हो सकती।
उन्होंने कहा कि एसआईआर का मुद्दा भारत निर्वाचन आयोग के कर्तव्य और जिम्मेदारियों से जुड़ा है जो एक स्वायत्त निकाय है। उन्होंने कहा कि इस सदन में पहले भी यह तय हो चुका है कि निर्वाचन आयोग के कार्यक्षेत्र से जुड़े मुद्दों को यहां नहीं लाया जा सकता।
रीजीजू ने कहा कि 14 दिसंबर 1988 को जब एक सदस्य ने निर्वाचन आयोग पर सवाल उठाने की कोशिश की थी तो तत्कालीन लोकसभा अध्यक्ष बलराम जाखड़ ने व्यवस्था दी थी कि निर्वाचन आयोग के कामकाज और फैसलों पर सदन में टिप्पणी नहीं की जा सकती।
रीजीजू ने कहा कि तत्कालीन अध्यक्ष जाखड़ ने कहा था, ‘‘मैं नियम नहीं तोड़ सकता।’’
संसदीय कार्य मंत्री ने कहा, ‘‘मौजूदा संवैधानिक प्रावधानों के तहत सदन निर्वाचन आयोग के कामकाज पर टिप्पणी नहीं कर सकता। इस संबंध में नियम बहुत स्पष्ट हैं और निर्वाचन आयोग जैसे स्वायत्त निकाय के कामकाज पर सदन में चर्चा नहीं हो सकती।’’
उन्होंने हंगामा कर रहे विपक्षी सदस्यों को आड़े हाथ लेते हुए कहा, ‘‘क्या वे इस सदन के स्थापित नियम तोड़ना चाहते हैं, संविधान के प्रावधानों की अवहेलना करना चाहते हैं। आप (विपक्ष) इस देश के नियमों का पालन करना चाहते हैं या नहीं।’’
रीजीजू ने आरोप लगाया कि विपक्ष के सांसद मानसून सत्र के पहले दिन से इस सदन के कामकाज के नियमों और सदन में स्थापित परंपराओं को तोड़ने की कोशिश कर रहे हैं।
उन्होंने विपक्ष के सदस्यों से कार्यवाही चलने देने की अपील करते हुए कहा कि सदन में महत्वपूर्ण विधेयकों पर चर्चा होनी है और विपक्ष को सहयोग करना चाहिए।
रीजीजू ने यह भी कहा कि विपक्ष के आग्रह पर सरकार खेल संबंधी दो विधेयकों के आज की कार्यसूची में सूचीबद्ध होने के बाद भी उन पर जोर नहीं दे रही है और उन्हें बाद में लिया जाएगा।
गौरतलब है कि कांग्रेस और कई अन्य विपक्षी दलों ने बुधवार को लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को पत्र लिखकर आग्रह किया कि लोकसभा की कार्यसूची में सूचीबद्ध खेल से संबंधित राष्ट्रीय खेल शासन विधेयक, 2025 और राष्ट्रीय डोपिंग रोधी (संशोधन) विधेयक, 2025 को संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) के विचार के लिए भेजा जाए।
मानसून सत्र की शुरुआत से ही विपक्ष के सदस्य संसद के अंदर और बाहर एसआईआर के मुद्दे पर प्रदर्शन कर रहे हैं और इस पर सदन में चर्चा की मांग कर रहे हैं।
भाषा वैभव