गतिरोध खत्म करने के लिए विपक्ष का सुझाव, एसआईआर के बजाय चुनाव सुधारों पर हो चर्चा
हक हक वैभव
- 06 Aug 2025, 04:21 PM
- Updated: 04:21 PM
नयी दिल्ली, छह अगस्त (भाषा) विपक्षी दलों ने संसद के दोनों सदनों में जारी गतिरोध खत्म करने के मकसद से सुझाव दिया है कि मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के बजाय चुनाव सुधारों पर चर्चा कराई जाए क्योंकि अतीत में ऐसी कई चर्चाएं हो चुकी हैं।
विपक्ष के सूत्रों ने बताया कि इस सुझाव पर फिलहाल सरकार की तरफ से कोई जवाब नहीं आया है।
हालांकि, सरकार के सूत्रों का कहना है कि संसद में चुनाव सुधारों के मुद्दे पर भी चर्चा की संभावना नहीं है।
इससे पहले संसदीय कार्य मंत्री किरेन रीजीजू ने बुधवार को लोकसभा में कहा कि बिहार में मतदाता सूचियों के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) का मुद्दा उच्चतम न्यायालय में विचाराधीन है और लोकसभा के कार्य संचालन और प्रक्रियाओं के नियमों एवं परिपाटी के तहत इस मुद्दे पर सदन में चर्चा नहीं हो सकती।
मानसून सत्र में पिछले कई दिनों से एसआईआर के मुद्दे को लेकर विपक्ष के हंगामे के कारण लोकसभा और राज्यसभा की कार्यवाही बाधित हुई है। विपक्ष इस मामले पर संसद में विशेष चर्चा की मांग कर रहा है।
विपक्ष के एक वरिष्ठ नेता ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, ‘‘विपक्ष की तरफ से यह सुझाव दिया गया है कि एसआईआर पर नहीं, बल्कि चुनाव सुधारों पर चर्चा कराई जाए। यह बीच का रास्ता निकालने का प्रयास किया गया है। सरकार की तरफ से कोई जवाब नहीं आया है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘संसद में अतीत में कई मौकों पर चुनाव सुधारों को लेकर चर्चा हुई है।’’
उधर, लोकसभा में कांग्रेस के उप नेता गौरव गोगोई ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘‘भाजपा के नेतृत्व वाली राजग सरकार की याद ताज़ा करने के लिए यह बताना जरूरी है कि संसद में चुनाव सुधारों और निर्वाचन आयोग के कामकाज पर चर्चा का एक लंबा इतिहास रहा है। 1961 में राज्यसभा में चुनाव संचालन नियमों में संशोधन पर चर्चा हुई थी, इस चर्चा का नेतृत्व तत्कालीन कानून मंत्री गोपाल स्वरूप पाठक ने किया था।’’
उन्होंने कहा, ‘‘1981 में कांग्रेस सांसद मनुभाई पटेल ने चुनाव कानूनों की समीक्षा के लिए एक संसदीय समिति गठित करने का प्रस्ताव पेश किया था। 1991 में उच्च सदन में मौजूदा चुनाव कानूनों में संशोधन की तत्काल आवश्यकता पर बहस हुई थी। 2015 में राज्यसभा के तत्कालीन नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आज़ाद ने अनिवासी भारतीयों के लिए ‘प्रॉक्सी’ और ‘ई-पोस्टल’ मतदान पर एक ध्यानाकर्षण प्रस्ताव पेश किया था। कानून मंत्री डीवी सदानंद गौड़ा ने विपक्ष की मांग स्वीकार कर ली थी कि उनके सुझावों पर विचार किया जाए।’’
गोगोई के अनुसार, हाल में 2019 में चुनाव सुधारों पर एक अल्पकालिक चर्चा में तत्कालीन कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने भी भाग लिया था।
उन्होंने कहा, ‘‘इसके कई उदाहरण हैं। सरकार को चुनाव सुधारों पर लंबे समय से लंबित और ज़रूरी चर्चा में देरी नहीं करनी चाहिए। आइए, संसद में चुनाव सुधारों पर चर्चा करें।’’
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