हिमालय क्षेत्र में भू-विशेषताएं ही है आकस्मिक बाढ़ की वजह: आईआईटी गांधीनगर का अध्ययन
राजकुमार सुरेश
- 06 Aug 2025, 05:47 PM
- Updated: 05:47 PM
नयी दिल्ली, छह अगस्त (भाषा) हिमालय में अचानक आने वाली बाढ़ की पीछे की वजह मुख्य रूप से उस क्षेत्र की भू-विशेषताएं होती हैं, जबकि पश्चिमी तट और मध्य भारत में आने वाली ऐसी बाढ़ पर जल प्रवाह को प्रभावित करने वाले कारकों का असर होता है।
गांधीनगर के भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) के अनुसंधानकर्ताओं द्वारा देश भर में ऐसे स्थलों को लेकर तैयार किये गये मानचित्र से यह बात सामने आयी है।
‘एनपीजे नेचुरल हैज़र्ड्स’ नामक पत्रिका में प्रकाशित अध्ययन में पाया गया है कि देश भर में तीन-चौथाई आकस्मिक बाढ़ अत्यधिक वर्षा तथा हाल की एवं लंबी बारिश की वजह से जमीन की नमी के कारण आती है।
अध्ययन में कहा गया है कि शेष एक-चौथाई आकस्मिक बाढ़ पूरी तरह से अत्यधिक वर्षा के कारण आती है।
भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) का कहना है कि यह चरम मौसमीय घटना प्रभावित क्षेत्र के संदर्भ में अत्यधिक स्थानीय होती है तथा वर्षा शुरू होने से लेकर बाढ़ (अत्यधिक जलजमाव) के चरम पर पहुंचने तक की छोटी अवधि तक होती है, जो आमतौर पर छह घंटे से कम होती है।
टीम ने कहा कि ऐसे स्थलों के विश्लेषण का एक प्रमुख निष्कर्ष यह है कि कई बेसिन में अत्यधिक वर्षा अधिक आम और तीव्र होती जा रही है, जबकि ये अचानक बाढ़ की संभावना वाले क्षेत्र नहीं होते हैं।
टीम ने कहा, ‘‘यह इस बात का द्योतक है कि जलवायु का गर्म होना भविष्य में अचानक बाढ़ के नए स्थलों को जन्म दे सकता है।’’
अध्ययन में वर्णित मानचित्र में उन उप-बेसिनों में उत्पन्न होने वाले खतरे की भी पहचान की गई है, जहां वर्तमान में अचानक बाढ़ की कम आशंका है।
अनुसंधानकर्ताओं ने लिखा, ‘‘आकस्मिक बाढ़ के स्थल मुख्यतः हिमालय, पश्चिमी तट और मध्य भारत में केंद्रित हैं। जहां हिमालय में भू-आकृति संबंधी कारक अचानक बाढ़ के लिए ज़िम्मेदार हैं, वहीं पश्चिमी तट और मध्य भारत में जलविज्ञान संबंधी कारक (अचानक बाढ़ के लिए) ज़िम्मेदार हैं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘अत्यधिक वर्षा और पूर्ववर्ती आर्द्र दशाओं का संयोजन अधिकांश (लगभग तीन-चौथाई) अचानक बाढ़ का कारण बनता है, जबकि शेष (लगभग एक-चौथाई) बाढ़ पूरी तरह से अत्यधिक वर्षा के कारण होती हैं।’’
अध्ययन में 1981-2020 के दौरान आईएमडी द्वारा दर्ज तापमान के आंकड़ों और 'आपातकालीन घटना डेटाबेस' (ईएम-डीएटी) समेत डेटासेट से आकस्मिक बाढ़ के आंकड़ों का विश्लेषण किया गया।
भाषा राजकुमार