निर्वाचन आयोग की कार्रवाई पर ममता ने कहा, सरकार अधिकारियों को निलंबित नहीं करेगी
आशीष सुरेश
- 06 Aug 2025, 09:44 PM
- Updated: 09:44 PM
(फोटो के साथ)
झारग्राम (पश्चिम बंगाल), छह अगस्त (भाषा) पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने निर्वाचन आयोग द्वारा निलंबित अधिकारियों के साथ राज्य सरकार के खड़े होने का संकल्प जताते हुए बुधवार को आयोग पर हमला बोला और उसके कदम की वैधता पर सवाल उठाया। उन्होंने आयोग पर भाजपा के "बंधुआ मजदूरों" की तरह काम करने का आरोप लगाया।
झारग्राम में एक जनसभा को संबोधित करते हुए तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो ने आरोप लगाया कि “निर्वाचन आयोग की अनुचित कार्रवाई” 2026 के विधानसभा चुनावों से पहले राज्य के कर्मचारियों को “आतंकित” करने का एक प्रयास है। बनर्जी ने कहा कि उनकी सरकार अपने अधिकारियों के साथ खड़ी रहेगी और उन्हें निलंबित नहीं करेगी।
उन्होंने कहा, "कल राज्य सरकार के कुछ अधिकारियों को नोटिस भेजकर निलंबित कर दिया गया। अभी तो चुनाव की घोषणा भी नहीं हुई है। किस कानून के तहत ऐसा किया जा सकता है? वे तो यहां तक कह रहे हैं कि प्राथमिकी दर्ज कराई जाएगी। मैं सरकारी कर्मचारियों से कहना चाहती हूं, डरो मत। ऐसा नहीं होगा। मैं ऐसा नहीं होने दूंगी।"
बनर्जी की यह टिप्पणी निर्वाचन आयोग द्वारा पश्चिम बंगाल में चार अधिकारियों- दो निर्वाचन पंजीकरण अधिकारी (ईआरओ) और दो सहायक निर्वाचन पंजीकरण अधिकारी (एईआरओ) तथा एक डाटा एंट्री ऑपरेटर एवं एक अस्थायी कर्मचारी- को निलंबित करने के एक दिन बाद आई है। इन अधिकारियों पर दक्षिण 24 परगना और पूर्व मेदिनीपुर जिलों के क्रमश: बरुईपुर पूर्व और मोयना विधानसभा क्षेत्रों में मतदाता सूची तैयार करते समय कथित रूप से अनियमितताएं बरतने का आरोप है।
बनर्जी ने कहा, "हम आपको निलंबित नहीं करेंगे... हम आपकी सुरक्षा करेंगे। मैं आपकी पहरेदार बनी रहूंगी।"
तृणमूल सुप्रीमो ने आरोप लगाया कि निर्वाचन आयोग केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के इशारे पर काम कर रहा है और 2026 के विधानसभा चुनावों में भाजपा को फायदा पहुंचाने के लिए मतदाता सूची में छेड़छाड़ की बुनियाद तैयार कर रहा है।
बनर्जी ने कहा, "वे (निर्वाचन आयोग) भाजपा के बंधुआ मजदूरों की तरह व्यवहार कर रहे हैं। वे अमित शाह के एजेंट बनकर कुर्सियों पर बैठे हैं। आप संविधान के लिए काम कर रहे हैं या भाजपा के लिए? गृह मंत्री को लगता है कि वे जो कहेंगे वही होगा और सभी को आंख मूंदकर उसका पालन करना होगा, लेकिन यह गुजरात नहीं, बंगाल है।"
निर्वाचन आयोग ने मंगलवार को पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव मनोज पंत को भेजे पत्र में चार अधिकारियों- दक्षिण 24 परगना के बरुईपुर पूर्व से देबोत्तम दत्ता चौधरी (ईआरओ) और तथागत मंडल (एईआरओ) और पूर्व मेदिनीपुर के मोयना से बिप्लब सरकार (ईआरओ) और सुदीप्त दास (एईआरओ) के साथ एक डाटा एंट्री ऑपरेटर को मतदाता सूची में "गलत तरीके से नाम जोड़ने" का हवाला देते हुए तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया।
आयोग ने राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी की एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए दोनों निर्वाचन क्षेत्रों की मतदाता सूची में "गलत तरीके से नाम जोड़े जाने" का जिक्र किया।
आयोग ने निर्देश दिया कि सभी पांच सरकारी अधिकारियों के ख़िलाफ़ प्राथमिकी दर्ज की जाए और अनुशासनात्मक कार्यवाही शुरू की जाए।
बनर्जी ने निर्वाचन आयोग के दावों को "राजनीतिक षड्यंत्र" बताकर खारिज कर दिया। कार्रवाई को "प्रतिशोधात्मक" और "अवैध" बताते हुए बनर्जी ने कहा कि निलंबन का उद्देश्य चुनाव से पहले सरकारी कर्मचारियों में भय पैदा करना है।
बनर्जी ने कहा, "क्या आप निर्वाचन आयोग की कुर्सी पर बैठकर अमित शाह के एजेंट की तरह काम कर रहे हैं? क्या गृह मंत्री सोचते हैं कि वे जो कहेंगे वही होगा और बाकी देश को उसका पालन करना होगा?"
बनर्जी ने दावा किया कि भाजपा ने पिछले चुनावों में "छल से जीत हासिल की" और अब निर्वाचन आयोग की मदद से उसी फॉर्मूले को दोहराने की कोशिश कर रही है। उन्होंने कहा, "आपको अचानक 20 प्रतिशत वोटों का उछाल देखने को मिला। किसकी मदद से? निर्वाचन आयोग की मदद से! आपको बहुमत भी नहीं मिला था। अब आप पिछले दरवाज़े से एनआरसी कराने के लिए सूची से नाम हटाना चाहते हैं। ऐसा नहीं होगा। यह बंगाल है।"
भाजपा पर पिछले दरवाजे से राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) की योजना बनाने का आरोप लगाते हुए बनर्जी ने कहा कि पार्टी मतदाता सूची में छेड़छाड़ करके अल्पसंख्यकों और विपक्षी दलों के समर्थकों को निशाना बनाना चाहती है।
बनर्जी ने कहा, "मैं आपकी पहरेदार बनी रहूंगी। जब कोई आपके लिए आवाज़ नहीं उठाएगा, तब मैं उठाऊंगी। बंगाल के सरकारी कर्मचारियों को चिंता करने की ज़रूरत नहीं है। आप जनता के लिए काम करते हैं, और आपकी देखभाल करना हमारा फ़र्ज़ है।"
भाषा आशीष