विशेषज्ञों ने राजस्थान में गोडावण के लिए प्राथमिकता वाला क्षेत्र बढ़ाने का सुझाव दिया: केंद्र सरकार
शोभना सुरेश
- 07 Aug 2025, 05:24 PM
- Updated: 05:24 PM
नयी दिल्ली, सात अगस्त (भाषा) केंद्र सरकार ने बृहस्पतिवार को उच्चतम न्यायालय को सूचित किया कि राजस्थान में गोडावण (ग्रेट इंडियन बस्टर्ड) के पर्यावासों में अतिरिक्त 850 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र जोड़ने का सुझाव दिया गया है।
विलुप्तप्राय ये पक्षी विशेष रूप से राजस्थान और गुजरात में पाए जाते हैं और उनकी संख्या में चिंताजनक कमी का कारण उनके पर्यावास के निकट बने सौर संयंत्रों सहित ओवरहेड विद्युत पारेषण लाइन के साथ बार-बार टकराने को माना जा सकता है।
इन पक्षियों की आंखें उनके सिर के किनारों पर होती हैं इसलिए उनकी दृष्टि पार्श्व होती है तथा जब सामने तार आ जाते हैं तो उन्हें अपनी उड़ान का मार्ग बदलने में कठिनाई होती है।
यह देखते हुए कि ये पक्षी एक विलुप्तप्राय प्रजाति हैं और जिनके तत्काल संरक्षण की आवश्यकता है, उच्चतम न्यायालय ने पिछले वर्ष मार्च में एक विशेषज्ञ समिति का गठन किया था और बिजली के तारों को भूमि के नीचे बिछाने और राजस्थान तथा गुजरात में गोडावण (जीआईबी) के संभावित पर्यावासों पर सुझाव देने को कहा था।
यह मामला बृहस्पतिवार को न्यायमूर्ति पी एस नरसिम्हा और न्यायमूर्ति ए एस चंदुरकर की पीठ के समक्ष सुनवाई के लिए आया।
केंद्र की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने कहा कि शुरुआत में राजस्थान और गुजरात में लगभग 99,000 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र को निषिद्ध क्षेत्र घोषित किया गया था, जहां गोडावण के संरक्षण के लिए नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाएं नहीं लग सकीं।
मार्च 2024 के फैसले का हवाला देते हुए, भाटी ने कहा कि शीर्ष अदालत ने समिति का गठन किया था, जिसने राजस्थान और गुजरात के लिए दो रिपोर्ट पेश की हैं।
उन्होंने कहा कि फैसले में प्राथमिकता और संभावित क्षेत्रों का उल्लेख किया गया था।
भाटी ने कहा कि समिति का मत है कि राजस्थान में लगभग 13,000 वर्ग किलोमीटर का मूल प्राथमिकता वाला क्षेत्र निषिद्ध तथा प्राथमिकता वाला क्षेत्र बना रहना चाहिए।
उन्होंने रिपोर्ट के कुछ पहलुओं पर असहमति जताते हुए कहा, "इसके अलावा, समिति ने 850 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र को अतिरिक्त प्राथमिकता वाले क्षेत्र के रूप में जोड़ने की सिफारिश की है, जो पूरी तरह से निषिद्ध बनी रहनी चाहिए।"
भाटी ने कहा कि अदालत को दोनों रिपोर्ट पर विचार करना होगा।
राजस्थान के मामले में फैसले में कहा गया था कि 13,163 वर्ग किलोमीटर प्राथमिकता क्षेत्र, 78,580 वर्ग किलोमीटर संभावित क्षेत्र और 5,977 वर्ग किलोमीटर अतिरिक्त महत्वपूर्ण क्षेत्र हैं।
इसी प्रकार, गुजरात के मामले में फैसले में कहा गया था कि 500 वर्ग किलोमीटर प्राथमिकता क्षेत्र, 2,100 वर्ग किलोमीटर संभावित क्षेत्र और 677 वर्ग किलोमीटर अतिरिक्त महत्वपूर्ण क्षेत्र हैं।
सुनवाई के दौरान पीठ ने पूछा कि क्या समिति की सिफारिशों का कोई विरोध हुआ है।
पीठ ने मामले की सुनवाई 16 सितंबर के लिए स्थगित कर दी।
भाषा शोभना