पोलावरम-बनकाचेरला परियोजना के विकल्प के रूप में ‘चार चरणीय जल सिद्धांत’ अपनाएं: भाजपा नेता
राखी धीरज
- 07 Aug 2025, 09:22 PM
- Updated: 09:22 PM
हैदराबाद, सात अगस्त (भाषा) भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता एम. शशिधर रेड्डी ने बृहस्पतिवार को आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू से आग्रह किया कि वे इंजीनियर टी. हनुमंत राव द्वारा प्रस्तावित ‘ चार चरणीय जल सिद्धांत’ (एफडब्ल्यूसी) को पोलावरम (गोदावरी)-बनकाचेरला लिंक परियोजना (पीबीएलपी) के वैकल्पिक समाधान के रूप में अपनाने पर गंभीरता से विचार करें।
राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) के पूर्व उपाध्यक्ष शशिधर रेड्डी ने मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में कहा कि एफडब्ल्यूसी कम लागत वाला विकल्प है जिसे लगभग दो वर्षों में क्रियान्वित किया जा सकता है।
‘चार चरणीय जल सिद्धांत’ विभिन्न संरचनाओं और तकनीकों के माध्यम से वर्षा जल संचयन, मृदा नमी प्रतिधारण और भूजल पुनर्भरण पर जोर देती है। इसका उद्देश्य पहले के तरीकों की तुलना में भूजल पुनर्भरण और सिंचाई लाभों को बढ़ाना है।
शशिधर रेड्डी ने कहा, ‘‘यह मॉडल प्रति वर्ष तीन फसलों के लिए जल आपूर्ति करने में सक्षम है और करीब 30 लाख एकड़ भूमि को सिंचाई सुविधा उपलब्ध करवा सकता है जिसकी कुल लागत लगभग 4,500 करोड़ रुपये होगी।”
रेड्डी ने कहा कि यह लागत बनकाचेरला परियोजना के न्यूनतम अनुमानित खर्च 81,900 करोड़ रुपये की तुलना में बेहद कम है।
उन्होंने पत्र में याद दिलाया कि चंद्रबाबू नायडू ने वर्ष 2000 में तत्कालीन संयुक्त आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री रहते हुए ‘नीरू-मीरू’ (जल संरक्षण पर आधारित कार्यक्रम) की शुरुआत की थी, जिससे सूखे की स्थिति से निपटने में उल्लेखनीय सफलता मिली थी।
नायडू को लिखे पत्र में रेड्डी ने कहा, ‘‘मैं आपको दूरदर्शी नेता मानता हूं और आश्वस्त हूं कि आप पोलावरम-बनकाचेरला परियोजना को छोड़कर एफडब्ल्यूसी को अपनाने पर गंभीरता से विचार करेंगे।’’
रेड्डी ने बताया कि एफडब्ल्यूसी में वर्षा जल, सतही जल, भूजल और मिट्टी की नमी को मुख्य संसाधन के रूप में इस्तेमाल करने पर जोर दिया गया है ताकि जल उपलब्धता और कृषि उत्पादकता में सुधार हो सके।
इस मॉडल के अंतर्गत पक्के ढांचों की जगह सरल और कम लागत वाली कच्ची संरचनाओं जैसे जलाशय, तलाब और खाई आदि के निर्माण को बढ़ावा दिया जाता है।
आंध्र प्रदेश सरकार द्वारा प्रस्तावित पोलावरम-बनकाचेरला लिंक परियोजना को लेकर तेलंगाना ने आपत्ति जताई है। तेलंगाना सरकार ने जल शक्ति मंत्रालय को शिकायत की है कि यह परियोजना राज्य के हितों को नुकसान पहुंचा सकती है।
भाषा
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