आईएसएल के 11 क्लबों ने भारतीय फुटबॉल की ‘वर्तमान स्थिति’ को शीर्ष अदालत के सामने लाने का आग्रह किया
आनन्द
- 08 Aug 2025, 08:52 PM
- Updated: 08:52 PM
नयी दिल्ली, आठ अगस्त (भाषा) इंडियन सुपर लीग (आईएसएल) के भविष्य की अनिश्चितता के कारण पैदा हुई स्थिति के बीच इसके 11 क्लबों ने अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ (एआईएफएफ) से भारतीय फुटबॉल की ‘वर्तमान स्थिति’ को उच्चतम न्यायालय के समक्ष लाने का आग्रह किया है।
उच्चतम न्यायालय में इस राष्ट्रीय महासंघ के संविधान से संबंधित एक मामला पहले से ही लंबित है।
आईएसएल क्लबों ने इस पत्र में कहा कि एआईएफएफ अगर इस अनुरोध पर कार्रवाई नहीं करता है, तो उनके पास स्वतंत्र रूप से कानूनी कार्रवाई करने के अलावा और कोई विकल्प नहीं बचेगा।
आईएसएल के 13 क्लबों में से, मोहन बागान सुपर जायंट और ईस्ट बंगाल ने इस पत्र पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं।
यह घटनाक्रम एआईएफएफ द्वारा सितंबर में सुपर कप प्रस्तावित किए जाने के एक दिन बाद आया है। सुपर कप सितंबर के दूसरे या तीसरे सप्ताह में कराने की पेशकश की ताकि आईएसएल क्लबों को पर्याप्त प्रतिस्पर्धी मैच मिल सकें हालांकि इससे आईएसएल के प्रारूप और शुरूआत की तिथि को लेकर संशय बना हुआ है ।
यह कदम आईएसएल आयोजक एफएसडीएल द्वारा लीग को ‘रोकने’ के बाद उठाया गया था। यह रोक राष्ट्रीय महासंघ के साथ 2010 में हस्ताक्षरित मास्टर राइट्स एग्रीमेंट (एमआरए) के नवीनीकरण पर अनिश्चितता के कारण लगाई गई थी।
शीर्ष अदालत के मसौदा संविधान पर अंतिम फैसला आने तक एआईएफएफ को एमआरए (एफएसडीएल के साथ) की नयी शर्तों पर तब तक बातचीत न करने को कहा है।
आईएसएल के 11 क्लबों ने एआईएफएफ अध्यक्ष कल्याण चौबे को संबोधित एक संयुक्त पत्र में कहा, ‘‘हम एआईएफएफ से भारत में फुटबॉल के नियामक और कार्यवाही के प्रमुख पक्ष के रूप में इस स्थिति को शीर्ष अदालत के संज्ञान में लाने का आग्रह करते हैं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘ऐसा मामले को तत्काल सूचीबद्ध करने और निर्णय के लिए प्रस्तुत करके और माननीय न्यायालय को वर्तमान स्थिति से अवगत कराकर किया जा सकता है ताकि आईएसएल और संबंधित प्रतियोगिताएं आगे बढ़ सकें।’’
उन्होंने कहा, ‘‘हमारा मानना है कि ऐसा कदम कानूनी रूप से स्वीकार्य है और भारतीय फुटबॉल, एआईएफएफ के अपने नियामक अधिदेश और सभी संबंधित हितधारकों के कल्याण की सुरक्षा के हित में है।’’
क्लबों ने स्पष्ट किया कि एआईएफएफ अगर उनके अनुरोध पर कार्रवाई नहीं करता है तो वे स्वयं उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाएंगे।
उन्होंने कहा, ‘‘हमें एआईएफएफ को कानूनी रूप से समर्थन देने और इस दिशा में संयुक्त रूप से काम करने में खुशी होगी। इससे भारतीय फुटबॉल और उसके सभी घटकों के हितों की रक्षा होगी। सभी संबंधित पक्षों के हित में यह होगा कि एआईएफएफ मुख्य पक्ष और नियामक के रूप में इस संबंध में तत्काल पहल करे।’’
उन्होंने कहा, ‘‘ आईएसएल क्लब कानूनी सलाह के आधार पर राहत के लिए स्वतंत्र रूप से भी शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाने की तैयारी कर रहे हैं। ’’
भाषा आनन्द